राजस्थान चुनावः जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़ को मिलता है सबसे ज्यादा चुनावी धन?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: November 9, 2018 09:56 AM2018-11-09T09:56:06+5:302018-11-09T09:56:06+5:30

राजस्थान के बाहर से कोलकाता, मुंबई, असम, गुजरात, दक्षिण भारत से उम्मीदवारों को आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है। क्योंकि जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़ के व्यवसायी, उद्योगपति देश-दुनिया में सफल हैं, इसलिए राजस्थान के बाहर से सबसे ज्यादा चुनावी धन इन क्षेत्रों को मिलता है।

Rajasthan Election: more money spend in Jaipur, Shekhawati, Marwar, Mewar | राजस्थान चुनावः जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़ को मिलता है सबसे ज्यादा चुनावी धन?

राजस्थान चुनावः जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़ को मिलता है सबसे ज्यादा चुनावी धन?

दीपावली गुजर गई और अब कांग्रेस-भाजपा सहित विभिन्न सियासी दलों के उम्मीदवारों की बेचैनी इसलिए बढ़ती जा रही है कि यदि जल्दी ही उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं हुई तो चुनावी धन सहयोग जुटाने में भारी परेशानी हो जाएगी। चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों को जहां पार्टियां किश्तों में धन उपलब्ध करवाती हैं, वहीं स्थानीय सहयोग के साथ-साथ बड़ा आर्थिक सहयोग राजस्थान से बाहर रह रहे राजस्थानियों से मिलता है।

राजस्थान के बाहर से कोलकाता, मुंबई, असम, गुजरात, दक्षिण भारत से उम्मीदवारों को आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है। क्योंकि जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़, मेवाड़ के व्यवसायी, उद्योगपति देश-दुनिया में सफल हैं, इसलिए राजस्थान के बाहर से सबसे ज्यादा चुनावी धन इन क्षेत्रों को मिलता है।

पार्टियां भी चुनाव लड़ने के लिए किश्तों में धन उपलब्ध करवाती हैं, लेकिन इसमें वे प्रत्याशी मात खा जाते हैं जिनकी सीधी एप्रोच केन्द्रीय आर्थिक प्रबंधन से नहीं होती है।

राजेश पायलट-अ बायोग्राफी की लेखिका रमा पायलट के हवाले से छपी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री राजेश पायलट को भी पहला चुनाव लड़ने में चुनावी धन के अभाव में पसीना आ गया था। कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष सीताराम केसरी बड़ी मुश्किल से उन्हें बहुत मामूली रकम देने के लिए तैयार हुए। 

रमा पायलट के अनुसार, आनंद लोक जहां हम रहा करते थे, कांग्रेस के मुख्यालय 24, अकबर रोड से काफी दूर होता था। वहां से अकबर रोड के लिए कोई बस भी नहीं आती थी। ऑटो से 15 रुपये आने के और 15 रुपये जाने के लगते थे। मैं उनके पास रोज जाती थी और वो मुझे टरका देते थे। जब मैं उनसे पैसे मांगती तो वो कहते- कहां है हमारे पास पैसा? पार्टी सत्ता में नहीं है। हम तो लोगों से पैसे ले रहे हैं। 

मैंने कहा आप के पास जो पैसे लेने आ रहे है, उन्हें तो आप पैसे दे रहे हैं, लेकिन केसरी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। एक दिन तो वे आनंदलोक से अकबर रोड पांच बार गई। खीज में वो बोले- देखिए, हमारे पास सिर्फ दस हजार रुपये हैं। इन्हीं से काम चलाइए। यहां तक कि उन्होंने एक कागज पर रसीदी टिकट लगा कर मुझसे दस्तखत कराए, तब जा कर उन्होंने वो छोटी सी रकम मेरे हवाले की। कई बार तो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के पास चुनावी राशि उन तक पहुंचती भी नहीं है। बीच में से राशि कहां गायब हो जाती है? यह सियासी शोध का विषय है।

गुजरात के पूर्व मंत्री हंसमुख भाई पटेल दक्षिण राजस्थान में कांग्रेस के पर्यवेक्षक बन कर आए थे। चुनाव से एक दिन पहले ठेठ गांव में रह रहे एक उम्मीदवार को तीसरी किश्त पहुंचाने रात को वे कांग्रेस नेता दीपक श्रीमाल के साथ उसके घर पहुंचे तो वह पैसे पा कर धन्य हो गया। तीसरी किश्त पाते हुए उसने बताया कि- उसे तो पहली बार कोई चुनावी राशि मिली है, वह तो धनाभाव में लगभग टूट ही गया था, इसने उसे नई ताकत दी है। 

English summary :
Rajasthan Vidhan Sabha Chunav 2018 Election Fund latest updates in hindi. The anxiety of the candidates of various political parties, including the Congress-BJP, is increasing so that if the list of candidates is not declared on time for the upcoming Rajasthan Assembly Elections 2018, then there will be huge problems in raising election funding.


Web Title: Rajasthan Election: more money spend in Jaipur, Shekhawati, Marwar, Mewar

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