दो दिन से सियासी चर्चाओं में छाए चिदंबरम प्रकरण पर प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना था कि इस देश के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार है कि वो अपने बचाव के जो भी ऑप्शन हैं, उनके अंतर्गत प्रयास करे. मुझे बहुत आश्चर्य है कि चिदंबरम को अभियुक्त बनाया गया, जिस रूप में छापेमारी हुई, उसकी आवश्यकता नहीं थी.
उन्होंने ट्वीट किया कि चिदंबरम ने विभिन्न पदों पर रहकर देश के लिए कई दशकों तक सेवाएं दी हैं, ऐसे व्यक्ति के लिए प्रतिशोध को आधार बना कर कार्रवाई की जा रही है, ऐजेंसिज के ऊपर दबाव है चाहे सीबीआई हो या ईडी. जबकि, सुप्रीम कोर्ट का ऑप्शन खुला है कि कोई अभियुक्त भी बनता है, तब भी जो ऑप्शन है, वह पूरा उपयोग करता है.
लोअर कोर्ट से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जाते हैं, डिस्ट्रिक्ट से हाईकोर्ट, हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं...हर नागरिक को यह अधिकार है कि वह अपने जितने ऑप्शन हैं, उनका उपयोग करे, उसके बाद में जो फैसला हो उसे मान लिया जाता है...यदि कोई फैसले को नहीं मानता हो तो आप उसे दोष दे सकते हो.
उनका यह भी कहना था कि- पहले जिस रूप में एजेंसीज रात भर घर जा रही थी, दो घंटे के नोटिस में बुला रही थी, उसकी आवश्यकता नहीं थी, एजेंसियों के ऊपर दबाव डालकर कार्रवाई करवाई जा रही है...मैं समझता हूं कि यह देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं!