10 वर्षों में सबसे बुरी हालात में रेलवे, 100 रुपये कमाने के लिये 98.44 रुपये व्यय किए, मोदी सरकार को एक और झटका
By भाषा | Updated: December 2, 2019 20:34 IST2019-12-02T20:34:47+5:302019-12-02T20:34:47+5:30
इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत, 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया।

अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है।
भारतीय रेल का परिचालन अनुपात (ओआर) वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया जो पिछले 10 वर्षों में सबसे खराब है। यह बात नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट से सामने आई है।
इसके साथ ही कैग ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके। रेलवे में इस परिचालन अनुपात (ओआर) का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रुपये कमाने के लिये 98.44 रुपये व्यय किये।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008..09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009..10 में 95.28 प्रतिशत, 2010..11 में 94.59 प्रतिशत, 2011..12 में 94.85 प्रतिशत, 2012..13 में 90.19 प्रतिशत, 2013..14 में 93.6 प्रतिशत, 2014..15 में 91.25 प्रतिशत, 2015..16 में 90.49 प्रतिशत, 2016..17 में 96.5 प्रतिशत तथा 2017..18 में 98.44 प्रतिशत दर्ज किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016..17 में 2,68,759.62 करोड़ रूपये से 2017..18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रूपये हो गया । जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
इसमें कहा गया है कि कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017..18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था । रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है ।
यद्यपि अतिरिक्त बजटीय संसाधन और डीजल सेस की हिस्सेदारी 2017..18 में बढ़ गई है । तथापि 2012..17 के दौरान प्राप्ति के औसत आंकड़ों की तुलना में माल भाड़ा, यात्री आय, जीबीएस और अन्य हिस्सेदारी 2017..18 में घट गई । नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015..20 तक पांच वर्ष की अवधि के लिये लक्षित 1.5 लाख करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता की तुलना में प्रथम तीन वर्षो :2015 से 2018: के दौरान अनुमानित राशि लक्ष्य से कम है ।
रेलवे पिछले दो वर्षो के दौरान इस राशि को पूर्ण रूप से खर्च नहीं कर सका था । कैग की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता रोकी जा सके।
इसमें सिफारिश की गई है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल द्वारा वहन किए गए पूंजीगत व्यय में कटौती हुई है। रेलवे पिछले दो वर्ष में आईबीआर-आईएफ के तहत जुटाए गए धन को खर्च नहीं कर सका। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग करना सुनिश्चित करे।