मुंबई, छह अक्टूबर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि मुंबई के तट के निकट एक क्रूज पोत पर दो अक्टूबर को की गई स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की छापेमारी ‘‘फर्जी’’ थी और इस दौरान कोई मादक पदार्थ नहीं मिला था।
पार्टी ने छापेमारी के दौरान एनसीबी के दल के साथ दो लोगों की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया और आरोप लगाया कि इनमें से एक व्यक्ति भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सदस्य था।
भाजपा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यदि कोई सबूत नहीं होता, तो अदालत ने इस मामले में बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत मंजूर कर ली होती। एनसीबी ने भी इन आरोपों को निराधार बताया है।
गोवा जा रहे पोत से शनिवार को कथित रूप से नशीले पदार्थ बरामद करने के बाद एनसीबी आर्यन खान समेत 17 लोगों को गिरफ्तार कर चुका है।
राकांपा के प्रवक्ता एवं महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने यहां दावा किया, ‘‘यह (छापेमारी) फर्जी नाटक था। उन्हें पोत पर कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला।’’
उन्होंने कुछ वीडियो भी जारी किए, जिनके बारे में बताया जा रहा है कि ये वीडियो छापेमारी से संबंधित हैं। राकांपा नेता ने कहा कि एक वीडियो में आर्यन खान को ले जाता दिख रहा ‘गोसावी’ नाम का व्यक्ति एनसीबी का अधिकारी नहीं है और उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल के अनुसार वह कुआलालम्पुर में रहने वाला एक निजी जासूस है।
मलिक ने आरोप लगाया कि इसके अलावा एक अन्य वीडियो में दो व्यक्ति इस मामले में गिरफ्तार अरबाज मर्चेंट को ले जाते दिख रहे हैं और इनमें से एक भाजपा का सदस्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि ये दोनों एनसीबी के अधिकारी नहीं हैं, तो वे हाई-प्रोफाइल लोगों (आर्यन और मर्चेंट) को क्यों ले जा रहे थे।’’
मलिक ने दावा किया कि मर्चेंट के साथ देखा गया व्यक्ति 21 से 22 सितंबर को गुजरात में था और उसका संबंध मुंद्रा बंदरगाह से 3,000 किलोग्राम हेरोइन की जब्ती के मामले से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने भाजपा से इस व्यक्ति की पहचान उजागर करने को कहा।
मलिक ने कहा, ‘‘भाजपा महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड को बदनाम करने के लिए पूरे एनसीबी का इस्तेमाल कर रही है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीबी उन लोगों को निशाना बना रहा है, जो भगवा दल के खिलाफ हैं।
उल्लेखनीय है कि मलिक के दामाद समीर खान को मादक पदार्थों के एक कथित मामले में 13 जनवरी, 2021 को एनसीबी ने गिरफ्तार किया था। समीर खान को सितंबर में जमानत पर रिहा गया है।
इस बीच एनसीबी के उप महानिरीक्षक ज्ञानेश्वर सिंह ने एक बयान में कहा कि एजेंसी पर लगाए गए ‘‘कुछ आरोप’’ निराधार हैं और ये संभवत: ‘‘उन कानूनी कार्रवाई के जवाब में’’ लगाए गए हैं, जो उसने पहले की हैं। उन्होंने कहा कि एनसीबी की प्रक्रिया ‘‘पेशेवर और कानूनी रूप से पारदर्शी और निष्पक्ष रही है और रहेगी।’’
एजेंसी ने कहा, ‘‘प्रभाकर सेल, किरण गोसावी, मनीष भानुशाली, ऑब्रे गोमेज, आदिल उस्मानी, वी वेगनकर, अपर्णा राणे, प्रकाश बहादुर, शोएब फैज और मुजम्मिल इब्राहिम नाम के व्यक्ति एनसीबी से स्वतंत्र गवाह (पंच) के रूप में जुड़े थे।’’
मलिक के आरोपों का जवाब देते हुए स्थानीय भाजपा विधायक अतुल भाटखलकर ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने लॉकडाउन में शराब की दुकानें सबसे पहले खोलीं, उसने चंद्रपुर में प्रतिबंध हटाने का भी फैसला किया और अब नवाब मलिक ने एनसीबी पर आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि जब आर्यन को अदालत में पेश किया गया था, तो फौजदारी मामलों के एक वरिष्ठ वकील ने उनका प्रतिनिधित्व किया।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘उन्होंने (आर्यन के वकील ने) आर्यन के बचाव में दलीलें दीं, लेकिन अदालत ने उनकी हिरासत एनसीबी को केवल इसलिए सौंप दी, क्योंकि उनके खिलाफ ठोस सबूत थे। यदि कोई सबूत नहीं होता, तो उन्हें तत्काल जमानत मिल गई होती।’’
उन्होंने कहा कि मलिक के आरोप अदालत की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं। भाजपा नेता ने यह भी सवाल किया कि क्या मलिक अपने दामाद की ओर से एनसीबी पर निशाना साध रहे हैं।
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