राहुल गांधी ने 'मिशन शक्ति' के लिए डीआरडीओ को दी बधाई, पीएम मोदी पर कसा तंज
By विकास कुमार | Published: March 27, 2019 03:40 PM2019-03-27T15:40:56+5:302019-03-27T15:47:05+5:30
यह तकनीक दुनिया में केवल तीन देशों के पास है जिसमें अमेरिका, रूस और चीन है. इस तकनीक के आने से भारत अंतरिक्ष में किसी भी देश के स्पाई सैटलाइट को मार गिराने की क्षमता हासिल की है.
भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में महाशक्ति बनने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है. राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने इस बात की जानकारी दी है कि डीआरडीओ ने अंतरिक्ष में लाइव सैटलाइट को मार गिराने का सफलतापूर्वक परिक्षण किया है.
यह तकनीक दुनिया में केवल तीन देशों के पास है जिसमें अमेरिका, रूस और चीन है. इस तकनीक के आने से भारत अंतरिक्ष में किसी भी देश के स्पाई सैटलाइट को मार गिराने की क्षमता हासिल की है.
Well done DRDO, extremely proud of your work.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 27, 2019
I would also like to wish the PM a very happy World Theatre Day.
पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने इसके लिए डीआरडीओ को बधाई देने के साथ पीएम मोदी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी को वर्ल्ड थिएटर डे की शुभकामनाएं देता हूँ.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के करीबी अहमद पटेल ने डीआरडीओ को बधाई देते हुए मिशन शक्ति को यूपीए सरकार के द्वारा शुरू किया गया इनिशिएटिव बताया है.
The UPA government had initiated the ASAT program which has reached fruition today
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) March 27, 2019
I congratulate our space scientists & the visionary leadership of Dr Manmohan Singhhttps://t.co/pJHBVGo5GA
देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि यूपीए सरकार ने 2012 में मिशन शक्ति के प्रशिक्षण को टाल दिया था और मोदी सरकार ने इसे आगे बढ़ाया.
FM Arun Jaitley on #MissionShakti: The process started in 2014 after the PM gave the permission, it's a huge achievement, not only we have become space power but we are now in big four. We should not forget that tomorrow's wars will not be the same as yesterday's wars. pic.twitter.com/gEWdpVXWuz
— ANI (@ANI) March 27, 2019
अरुण जेटली ने आगे कहा कि ये बहुत समय पहले से हमारे वैज्ञानिकों की इच्छा थी और उनका कहना था कि हमारे पास ये क्षमता है लेकिन उस समय की सरकार हमे ये करने की अनुमति नहीं देती थी.