आरक्षण कोटा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, योग्य छात्रों को नौकरी लेने से नहीं रोक पाएगा कोटा पॉलिसी, जानें पूरा मामला

By अनुराग आनंद | Updated: December 19, 2020 13:42 IST2020-12-19T13:31:10+5:302020-12-19T13:42:36+5:30

न्यायमूर्ति उदय ललित की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आरक्षण कोटा मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मेधावी उम्मीदवारों की सहायता करनी चाहिए, चाहे उनकी श्रेणियां और जाति कुछ भी हो। पूरा मामला समझने के लिए नीचे पढ़ें...

Quota policy isn’t meant to deny merit: Supreme Court | आरक्षण कोटा पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, योग्य छात्रों को नौकरी लेने से नहीं रोक पाएगा कोटा पॉलिसी, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई जरूरी नहीं है कि आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्र समान्य वर्ग से नौकरी नहीं ले सकते हैं।कोर्ट ने साफ किया कि समान्य वर्ग के कोटे का मतलब ही है कि यह सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए चाहे वह किसी जाति या धर्म से आते हों।

नई दिल्ली: आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को योग्य पाए जाने के बाद उनके कोटा से बाहर जनरल कोटा में अवसर मिलना चाहिए या नहीं? आरक्षण से जुड़े इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोटा की नीति मेधावी उम्मीदवारों को नौकरी के अवसरों से वंचित नहीं कर सकता है, भले ही वे आरक्षित श्रेणियों से संबंधित हों या फिर नहीं हों। 

एचटी खबर के मुताबिक,  इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने 'सांप्रदायिक आरक्षण' के विचार के खिलाफ फैसला सुनाया है।

मेधावी छात्र आरक्षित वर्ग के कोटे के बाहर समान्य वर्ग के कोटे से भी ले सकेंगे नौकरी-

न्यायमूर्ति उदय ललित की अध्यक्षता वाली एससी पीठ ने इस मामले में एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि समान्य कोटे के तहत आने वाले सीटों को भरने के लिए किसी भी दूसरे तरीके को अपनाए बिना सिर्फ और सिर्फ योग्यता को प्राथमिकता दिया जाएगा।

कोर्ट ने कहा कि समान्य वर्ग के कोटे में मेधावी उम्मीदवारों को मौका दिया ही जाना चाहिए, चाहे उनकी श्रेणियां और जाति कुछ भी हों। इस तरह से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को कोटे के बाहर नौकरी दिए जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने साफ किया कि ओपेन कैटेगरी (समान्य वर्ग कोटे) में सीटों को भरने की प्रतियोगिता पूरी तरह से योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।

कोर्ट में फैसला सुनाते हुए जस्टिस एस रविंद्र भट ने कहा कि किसी भी तरह का आरक्षण किसी वर्ग विशेष को पब्लिक सर्विस में अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका देता है। ऐसे में यह कोई जरूरी नहीं है कि आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्र समान्य वर्ग से नौकरी नहीं ले सकते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि समान्य वर्ग के कोटे का मतलब ही है कि यह सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए चाहि वह किसी जाति या धर्म से आते हों। इस कोटे के तहत सेलेक्शन का सबसे बेहतर मापदंड योग्यता ही है। 

इससे पहले SC ने कहा था- आरक्षित वर्ग को सामान्य कैटेगरी कोटे से नहीं मिलेगी नौकरी

इससे पहले एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कुल उलट फैसला सुनाया था। राजस्थान पत्रिका खबर के मुताबिक, आरक्षण पाने वाले लोगों से जुड़े मामले में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को अब केवल आरक्षित श्रेणी में ही सरकारी नौकरी मिलेगी।

कोटे में सीटें न मिलने पर उन्हें जनरल कोटा नहीं दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने एक याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को उसी वर्ग में नौकरी मिलेगी, चाहे उसने जनरल कैटेगरी के उम्मीदवार से ज्यादा अंक क्यों न प्राप्त किए हों। आरक्षित श्रेणी के लोग सरकारी नौकरी के लिए आरक्षित कोटे में आवेदन करते हैं।

Web Title: Quota policy isn’t meant to deny merit: Supreme Court

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