पुलवामा हमला: ये हैं 16 राज्यों के वो 40 शहीद जवान जिन्होंने देश के लिए दी जान
By स्वाति सिंह | Published: February 16, 2019 04:24 PM2019-02-16T16:24:28+5:302019-02-16T16:34:41+5:30
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बृहस्पतिवार को आतंकियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था.इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए हैं।ज्यादातर जवान छुट्टी के बाद फिर से ड्यूटी पर लौट रहे थे।
पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमले में 40 जवान शहीद हो गये। शहीदों के परिजनों समेत पूरा देश इस हृदयविदारक घटना से गम में डूब गया।
यूपी, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखण्ड, असम समेत 16 राज्यों के इन शहीदों की सूची साफ हो जाता है कि भारतीय सुरक्षाबल और सेना सही मायनों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
लोकमत न्यूज़ देशवासियों की सुरक्षा के लिए जाने देने वाले पुलवामा हमले के 40 शहीदों का संक्षिप्त परिचय पेश कर रहा है-
1-श्याम बाबू, कानपुर देहात, यूपी
गुरुवार रात 10 बजे श्याम बाबू के पिता राम प्रसाद (60) को बताया गया कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में उनका बेटा शहीद हो गया है। इस खबर के मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। सीआरपीएफ कांस्टेबल श्याम बाबू अपने पीछे अपनी पत्नी रूबी देवी (29), पांच साल के बेटे आयुष और छह महीने की बेटी आयुषी छोड़ गए हैं।
श्याम बाबू के भतीजे ने मीडिया को बताया कि राम प्रसाद की लगभग छह साल पहले शादी हुई थी। 2005 में उन्हें पहली पोस्टिंग मिली थी। उनके घर का निर्माण चल रहा था, और वह पिछले दिसंबर में 45 दिनों के लिए छुट्टी पर घर आए थे। इसके बाद उन्होंने 29 जनवरी को ड्यूटी ज्वाइन की लेकिन 1 फरवरी को फिर से छुट्टी पर आ गए। जब 10 फरवरी को वह रवाना हुए तो हमें नहीं पता था कि यह आखिरी बार हम उन्हें देखेंगे।'
2- अजित कुमार आजाद, उन्नाव, यूपी
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में आज मातम पसरा हुआ है। पुलवामा में हुए वीभत्स आतंकी हमले में शहीद हुए 49 सैनिकों में अजीत कुमार आजाद भी शामिल थे। अजीत के परिवार में पत्नी मीना व दो बच्चे ईशा (7) व श्रेया (4) हैं। शहीद की बड़ी बेटी ईशा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी इच्छा है कि सरकार आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए।
अजीत कुमार के पिता पिता प्यारे लाल एक सेवानिवृत्त आयकर अधिकारी हैं। अपार दुःख से जूझ रहे प्यारेलाल ने मीडिया से कहा कि "मेरे बेटे ने देश के लिए अपनी जान दी है और मुझे उस पर गर्व है।"
अजीत कुमार के पिता ने बताया कि साल 2007 में अजीत कुमार की पहली पोस्टिंग के बाद से ही वह अक्सर कहते थे कि एक दिन यह सुनने को मिलेगा कि उन्होंने देश के लिए अपनी जान दे दी। वह जनवरी में एक महीने की छुट्टी पर घर आया और 10 फरवरी को वापस चला गया। अजीत कुमार ने जून में वापस आने के लिए कहा था।'
अजीत पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। अजीत कुमार की बेटी ईशा ने कहा कि मेरे पिता एक अच्छे इंसान थे और उन्होंने हमें अच्छी चीजें भी सिखाईं। अजीत कुमार की बेटी ने कहा कि उसके पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे। ईशा ने बताया 'हम दोनों ही अब आर्मी स्कूल में पढ़ाई करेंगे।
3- अमित कुमार, शामली, यूपी
पुलवामा में शहीद हुए जवान अमित कुमार बेहद गरीब परिवार से थे। छह भाई-बहनों में सबसे छोटे अमित 2017 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वह अभी अविवाहित थे। कुछ समय पहले ही अमित छुट्टी में शामली आए थे और उनकी शादी की बातचीत शुरू हुई थी।
12 फरवरी को अमित ने वापस लौटकर ड्यूटी ज्वाइन की। अमित के पिता सोमपाल ने कि उनके बेटे ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए है।। उन्होंने कहा 'मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उनके भाई ने 'हमें भी बॉर्डर पर भेजा तो हम भाई की शहादत का बदला लेंगे।'
4- प्रदीप सिंह, कन्नौज, यूपी
कन्नौज जिले में तिरवा थाना क्षेत्र के अजान सुखसेनपुर गांव के रहने वाले प्रदीप कुमार यादव उस बस में सवार थे जिसे आंतकवादियों ने निशाना बनाया। प्रदीप यादव भी 10 फरवरी को गांव से वापस ड्यूटी पर गए थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं।
5- विजय कुमार मौर्य, देवरिया, यूपी
देवरिया के भटनी थाना क्षेत्र में जयदेव छपिया गांव के शहीद विजय कुमार मौर्य (30) के पिता आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने की मांग कर रहे हैं ।
विजय कुमार के पिता रामायण मौर्य ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है, जिसने देश के लिए जीवन कुर्बान किया लेकिन सरकार को पाकिस्तान को जल्द से जल्द करारा जवाब देना चाहिए । कार्रवाई इतनी कड़ी होनी चाहिए कि पाकिस्तान कभी भी हमारी जमीन पर घुसपैठ कर हमारे सैनिकों को मारने की हिम्मत ना करने पाए।'
सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन के जवान विजय कुमार नौ साल पहले इस बल में शामिल हुए थे । साल 2014 में उनकी शादी हुई थी। विजय के परिवार में पत्नी विजयलक्ष्मी और डेढ़ साल की एक बेटी है। वह छुट्टियां पूरी करने के बाद नौ फरवरी को ही जम्मू के लिए रवाना हुए थे ।
शहीद की पत्नी ने कहा कि वह अपना पति खो चुकी हैं और उनकी बेटी ने पिता खोया है। जब भी ऐसी घटनाएं होती हैं, कई सारे लोग भावनाएं व्यक्त करते हैं लेकिन चार-पांच दिन बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है और सरकार कभी कुछ नहीं करती ।
6- राम वकील माथुर, मैनपुरी, यूपी
उत्तर प्रदेश के 40 वर्षीय राम वकील माथुर 14 फरवरी को हुए पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हो गए। राम वकील दो दशकों से सीआरपीएफ में कार्यरत थे। राम वकील के परिवार में पत्नी गीता व तीन बच्चे हैं। राम वकील ने अपनी पत्नी से वापस लौट कर अपना घर बनाने का वादा किया था। वकील ने घर के लिए ज़मीन ख़रीद ली थी और बैंक से लोन के लिए भी आवेदन किया था।
7- रोहितांश लांबा, राजस्थान
राजस्थान में जन्मे रोहितांश ने साल 2011 में CRPF जॅाइन की थी। 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में रोहितांश के शहीद होने की खबर से पूरा गांव शोक में डूब गया। रोहितांश की मौत की खबर के बाद उनके भाई जीतेंद्र लांबा की तबीयत बिगड़ गई। रोहितांश का सवा दो महीने का बेटा है जिसका नाम ध्रुव है।
8- सुखजिंदर सिंह
सुखजिंदर सिंह अमृतसर जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले थे। शहीद सुखजिंदर के पिता और उनका परिवार अब भी सदमे में है। सुखजिंदर का सात महीने का बेटा है। सुखजिंदर शादी के सात साल बाद पिता बने थे। पुलवामा हमले के एक घंटे पहले ही उन्होंने अपने परिवार से बात की थी। सुखजिंदर सीआरपीएफ की नौकरी से रिटायर होने के बाद अपने परिवार के साथ विदेश में बसना चाहते थे।
9- रतन ठाकुर, भागलपुर, बिहार
बिहार के भागलपुर के रहने वाले रतन ठाकुर भी पुलवामा हमले में शहीद हो गए। रतन के निधन से उनका परिवार गहरे शोक में डूब गया है लेकिन उनका पिता ने मीडिया से कहा कि वो अब भी अपने दूसरे बेटे को देश के लिए कुर्बान करने को तैयार हैं।
रतन ठाकुर के पिता राम निरंजन ठाकुर ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश जताते हुए कहा, "मेरा एक बेटा भारत माता की सेवा करते हुए शहीद हो चुका है, मैं अपने दूसरे बेटे को भी भारत माता को समर्पित कर दूंगा, लेकिन पाकिस्तान को इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। वहां एक बकरी का बच्चा भी जिंदा नहीं रहना चाहिए।" शहीद रतन ठाकुर के पिता ने कहा कि वह खुद भी 'इस आग में कूदने के लिए तैयार' हैं लेकिन पाकिस्तान को सबक जरूर सिखाया जाना चाहिए।
10-प्रदीप कुमार, शामली
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बृहस्पतिवार को हुए हमले में शामली जनपद के कस्बा बनत के मोहल्ला प्रताप नगर निवासी प्रदीप कुमार (38) और शामली के मोहल्ला रेलपार कुड़ाना रोड निवासी अमित कुमार कोरी (22) शहीद हो गए।
प्रदीप कुमार की शहादत का पता गुरुवार की रात में ही चल गया था। प्रदीप कुमार की बटालियन में ही उसके साथी ने उनके शहीद होने की पुष्टि कर दी थी।
जिलाधिकारी अखिलेश सिंह और पुलिस अधीक्षक अजय कुमार कस्बा बनत के मोहल्ला प्रताप नगर पहुंचे। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रदीप की शहादत पर पूरे देश को गर्व है। पूरा देश शहीद के परिवार के साथ खड़ा है।
11- पंकज कुमार त्रिपाठी, महराजगंज
उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के फरेंदा थाना अंतर्गत हरपुर गांव निवासी ओमप्रकाश त्रिपाठी के बड़े बेटे पंकज कुमार त्रिपाठी 2012 में सीआरपीएफ में कॉन्स्टेबल (चालक) के पद पर नियुक्त हुए थे। शहीद पंकज की तीन बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। छोटा भाई अभी ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में शहीद हुए महराजगंज जिले के लाल पंकज त्रिपाठी की शहादत पर उनके पिता को गर्व है। पंकज के पिता ने कहा कि वह पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई चाहते हैं। 2010 में पंकज की शादी रोहिणी से हुई। शहीद पंकज अभी बीते रविवाद को ही छुट्टी से वापस लौटे थे।
जम्मू- कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए 42 जवानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का एक जवान भी शामिल है। चौबेपुर के तोफापुर निवासी 26 वर्षीय रमेश यादव गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। घटना की सूचना मिलते ही परिजनों सहित पूरे क्षेत्र में मातम छा गया।
12- रमेश यादव, वाराणसी, यूपी
चौबेपुर के तोफापुर निवासी 26 वर्षीय रमेश यादव गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए। रमेश यादव 61 बटालियन सीआरपीएफ़ में तैनात थे। रमेश के बड़े भाई कर्नाटक में दूध का व्यवसाय करते हैं, जबकि उनके पिता गाँव पर ही खेती बाड़ी का काम करते हैं।
रमेश की पाँच साल पहले ही शादी हुई थी और उनका डेढ़ साल का एक बेटा है। बेटे के एक पैर में कुछ परेशानी है जिस पर रमेश ने अगली छुट्टी में आने पर इलाज कराने का वादा किया था। रमेश पिछले मंगलवार को ही छुट्टी से वापस गए थे।
13- महेश कुमार, प्रयागराज, यूपी
प्रयागराज के मेजा विधानसभा क्षेत्र में टुडिहार गांव के निवासी महेश यादव 118 बटालियन में तैनात थे। वह पुलवामा हमले में गुरुवार को शहीद हो गए। महेश के दो बच्चे साहिल पांच साल व समर छह साल का है।
महेश के पिता राजकुमार यादव ऑटो चलाते हैं। महेश अभी पांच दिन पहले ही घर आए थे और बीते मंगलवार को ड्यूटी जॉइन करने के लिए वापस लौटे थे। आत्मघाती हमले के लगभग तीन घंटे महेश कुमार ने फोन कर अपनी पत्नी एवं बहन से बात की थी।
14- अवधेश यादव, चंदौली, यूपी
अवधेश कुमार यादव अभी 11 फरवरी को वापस ड्यूटी पर लौटे थे। वह उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के बहादुरपुर गांव से थे।
34 वर्षीय अवधेश कुमार यादव की 2010 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। वह हेड कांस्टेबल के पद पर जम्मू कश्मीर में तैनात था।
अवधेश के परिवार में पिता हरिकेश यादव के अलावा मां मालती देवी हैं, जो कैंसर से पीड़ित है। दो बहनों की शादी हो चुकी है। छोटा भाई बृजेश यादव पढ़ाई कर रहा है। तीन साल पहले ही अवधेश की शादी हुई थी। उनका 3 साल का निखिल बेटा भी है।
15- कौशल कुमार रावत, आगरा
47 वर्षीय कौशल कुमार रावत 1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनके दो बेटे और एक बेटी है। बेटी की शादी हो चुकी है, पत्नी ममता और छोटे बेटे विशाल के साथ कौशल कुमार रावत गुड़गांव में रहते थे। जनवरी में ही कौशल का ट्रांसफर सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) से जम्मू-कश्मीर हुआ था। वह ट्रांसफर के बाद 15 दिन की छुट्टी के बाद गुड़गांव से 12 फरवरी को ज्वानिंग के लिए रवाना हुए थे। शहीद कौशल के परिवार के 20 लोग सीआरपीएफ और सेना में रहे हैं।
16- वीवी वसंत कुमार, केरल
शहीद हुए जवान वीवी वसंत कुमार महज एक हफ्ते पहले ही परिवार के साथ छुट्टियां मनाकर ड्यूटी पर लौटे थे। वसंत कुमार केरल के वायनाड जिले के सुदूर लक्कीड़ी स्थित अपने घर में अपने परिजन के साथ पांच दिन बिताने के बाद कश्मीर में अपनी नई तैनाती पर सेवाएं देने लौटे ही थे। जवान वीवी वसंत कुमार के भाई ने कहा 'मेरा बड़ा भाई देश के लिए शहीद हुआ है और हमें उनकी शहादत पर गर्व है।'वसंत के घर में उनकी मां शांता और पत्नी शीना हैं। उनके दो बच्चे बेटा अमनदीप (5) और बेटी अनामिका (8) हैं।
17- नारायण लाल गुर्जर, राजसमंद, राजस्थान
शहीद जवान तीन दिन पहले ही गांव में 15 दिन की छुट्टी बिताकर लौटे थे। बचपन में ही नारायण लाल के माता-पिता की मौत हो गई थी। उनके दो बच्चे मुकेश और हेमलता है। वह 16 साल से सीआरपीएफ में थे।
18- हेमराज मीणा, कोटा, राजस्थान
हेमराज मीणा 12 फरवरी को ही ड्यूटी पर लौटे थे। हेमराज के परिवार में उनकी पत्नी मधु और 4 बच्चें हैं। उनकी बेटी रीना (18) बीए प्रथम वर्ष की छात्रा, अंतिमा (15) कक्षा नौवीं में हैं और बड़ा बेटा अजय (12) कक्षा सातवीं, ऋषभ (4) प्राथमिक विद्यालय में है।
19- जीतराम गुर्जर, भरतपुर
भरतपुर नगर क्षेत्र के गांव सुन्दरावली निवासी थे। जीतराम घर से दो दिन पहले ही पुलवामा लौटे थे। गांव में उनके शहादत की खबर पहुंचने के बाद से मातम का माहौल छाया हुआ है। शहीद की 4 साल पहले ही शादी हुई थी और उसके दो बच्चे हैं।
20- भागीरथ सिंह, धौलपुर, राजस्थान
राजस्थान के धौलपुर जिले के राजाखेडा उपखंड क्षेत्र के गांव जैतपुर का लगभग 27 वर्षीय भागीरथ सिंह छह साल पहले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में भर्ती हए थे। लगभग चार साल पहले उनकी शादी हुई थी। भागीरथ का तीन साल का बेटा विनय और डेढ़ साल की बेटी शिवांगी है। भागीरथ सिंह के छोटे भाई बलवीर सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही हैं।
21- जयमल सिंह, मोगा, पंजाब
पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ की बस के चालक जयमल सिंह भी शहीद हो गए। ड्राइविंग उनकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं था, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने पहली बार स्टेयरिंग थामा था। वह कुछ दिन पहले ही छुट्टी से लौटे थे। जयमल की शादी 17 साल पहले सुखजीत कौर से हुई थी। जयमल अपनी बटालियन में एमटी इंचार्ज थे।
22- मनिंदर सिंह, गुरदासपुर, पंजाब
मनिंदर सिंह पंजाब के गुरदासपुर के दीनानगर का रहने वाले थे। उनकी अभी शादी भी नहीं हुई थी। शहीद के पिता पंजाब रोडवेज से रिटायर्ड कर्मचारी हैं। उनका भाई भी सीआरपीएफ का जवान है। मनिंदर सिंह के भाई इन दिनों असम में तैनात हैं। मनिंदर सिंह की मां की मौत पहले ही हो चुकी है। दो दिन पहले ही मनिंदर छुट्टी से ड्यूटी पर लौटे थे।
23- मोहनलाल, उत्तरकाशी, उत्तराखंड
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के बड़कोट गाँव के निवासी मोहन लाल बच्चों की पढ़ाई के लिए देहरादून शिफ्ट हो गए थे। मोहन लाल रतूड़ी सीआरपीएफ में एएसआइ के पद पर तैनात थे।
24- वीरेंद्र सिंह, ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड
उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिला के खटीमा के ग्राम मोहम्मदपुर भुड़िया निवासी वीरेंद्र सिंह पुत्र दीवान सिंह दो दिन पहले ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे। वह 20 दिन की छुट्टी लेकर घर गए थे। वीरेंद्र के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी राही 5 साल की है, जबकि उनका बेटा रेहान ढाई साल का है।
25 -संजय राजपूत, बुलढाणा, महाराष्ट्र
संजय राजपूत महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के रहने वाले हैं। 49 वर्षीय संजय राजपूत नागपुर में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। संजय राजपूत ने 20 वर्ष की सेवा पूरी कर ली थी, जिसके बाद उन्होंने सीआरपीएफ में अपनी सेवा पांच वर्ष के लिए और बढ़वा ली थी। उनके दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र 13 और 10 साल है।
26- नितिन शिवाजी राठौड़, बुलढाणा, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के लोणार तालुका चोरपांगरा गांव के नितिन शिवाजी राठौर के घर में उनकी पत्नी वंदना, बेटा जीवन, बेटी जीविका, मां सावित्री बाई, पिता शिवाजी हैं। वह अपने घर में एकमात्र कमाने वाले शख्स थे। नितिन 2006 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनके दोनों बच्चे अभी नाबालिग हैं।
27- जी सुब्रमण्यम, तमिलनाडु
जी सुब्रमण्यम परिवार के साथ पोंगल मनाकर अभी पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर लौटे थे। तमिलनाडु के सवालापेरी के रहने वाले सुब्रमण्यम 2014 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे। सुब्रमण्यम जम्मू कश्मीर जाने से पहले उत्तर प्रदेश और चेन्नई में तैनात रह चुके थे। उनकी 2017 में शादी हुई थी।
28- सी शिवचंद्रन, तमिलनाडु
तमिलनाडु के सबसे पिछड़े जिलों में से एक अरियालुर के करगुड़ी गाँव के निवासी शिवचंद्रन 2010 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे। उनका एक दो साल का बेटा भी है। उनके पिता और माता दोनों खेत मजदूर हैं। उनकी पत्नी गर्भवती है।
29- विजय सोरेंग, झारखंड
विजय सोरेंग गुमला के बसिया थाना इलाके के फरसामा गांव के रहने वाले थे। विजय के पिता बृज सोरेन भी फौज में थे। बृज सोरेन 1973 में बृज फौज में भर्ती हुए थे और 1990 में सेवानिवृत्त हुए थे। विजय के पिता ने मीडिया से कहा, 'मुझे अपने बेटे विजय सोरेंग पर गर्व है।' 1973 में बृज फौज में भर्ती हुए थे और 1990 में सेवानिवृत्त हुए थे।
30- बबलू सांतरा, पश्चिम बंगाल
सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल बबलू सांतरा बचपन से ही काफी मेहनती थे। कॉलेज के प्रथम वर्ष में पढ़ाई के दौरान वे सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। बबलू के घर में बूढ़ी मां, पत्नी मीता सांतरा, चार साल की एक बेटी पियाली सांतरा है। अगले कुछ महीनों में वह सेवानिवृत्त होने वाले थे।
31- सुदीप विश्वास, पश्चिम बंगाल
चार साल पहले नौकरी ज्वाइन करने वाले सुदीप विश्वास के परिवार में पिता संन्यासी विश्वास, माँ ममता विश्वास और एक छोटी बहन है, जिसकी शादी हो चुकी है। कुछ दिनों पहले ही वह 20 दिनों की छुट्टी लेकर घर आए थे।
32- मानेश्वर बसुमतारी, असम
एक महीने की अपनी छुट्टी पूरा कर मानेश्वर बसुमतारी अपनी ड्यूटी पर वापस लौटने के लिए 4 फरवरी को घर से निकले थे। असम के बाक्सा जिले के तामूलपुर थानांतर्गत कालीबारी गांव के मानेश्वर ब्रह्म सीआरपीएफ में वर्ष 1990 में भर्ती हुए थे।
33- मनोज कुमार बेहरा, ओडिशा
पुलवामा आतंकी हमले के कुछ घंटे पहले ही मनोज कुमार बेहरा ने ओडिशा के कटक जिले में रतनपुर गांव में अपने घर फोन कर बात की थी। मनोज की दो साल पहले ही इतिलता से शादी हुई थी और उनकी एक बेटी है। वर्ष 2006 में सीआरपीएफ में शामिल हुए बेहरा ने अपनी मां सावित्री से भी बात की थी।
34- प्रसन्न कुमार साहू, ओडिशा
ओडिशा के जगदीशपुर जिले में नौगांव के रहने वाले प्रसन्न कुमार साहू पुलवामा हमले में शहीद हो गए। उनकी किशोरवय बेटी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से कहा 'मुझे अपने पिता पर गर्व है जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।' वह सीआरपीएफ की 61 वीं बटालियन में तैनात थे और पिछले साल नवंबर में घर आए थे।
35- संजय कुमार सिन्हा, पटना
बिहार के मसौढ़ी के तारेगना मठ मोहल्ला निवासी संजय कुमार सिन्हा (45) सीआरपीएफ के 176 बटालियन में हवलदार थे। वे एक माह की छुट्टी बिताने के बाद आठ फरवरी को ड्यूटी के लिए रवाना हुए थे। संजय अभी कैंप भी नहीं पहुंचे थे कि रास्ते में आतंकी हमले में शहीद हो गए।
36- तिलक राज, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के जावील के रहने वाले तिलक राज 14 फरवरी को हुए हमले से तीन दिन पहले ही अपने घर से जम्मू-कश्मीर के लिए निकले थे। 31 साल के तिलक राज अप्रैल 2007 में अर्धसैनिक बल में शामिल हुए थे। वह अपने पीछे पत्नी सावित्री देवी और 22 वर्षीय बेटे को छोड़ गए हैं। पिछले महीने ही उनके बेटे का जन्म हुआ है।
37- अश्विनी कुमार, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के बलपुर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर खुड़ावल के रहने वाले सीआरपीएफ जवान अश्विनी कुमार पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए। सीआरपीएफ की 35वीं बटालियन में तैनात अश्विनी 2017 से श्रीनगर में पोस्टेड थे।
38- नसीर अहमद, जम्मू कश्मीर
जम्मू-कश्मीर के राजौरी के रहने वाले सीआरपीएफ हेड कॉन्सटेबल नसीर अहमद (46) पुलवामा हमले में शहीद हो गए। शहीद जवान अपने पीछे पत्नी शाजिया कौसर और दो बच्चे फलक (8 साल) और कशेस (6 साल) छोड़ गए। नसीर अहमद 2014 में आई भीषण बाढ़ के समय पुलवामा में ही थे और उन्होंने दर्जनों लोगों की जान बचाई थी।
39- एच गुरु, कर्नाटक
गुरु कर्नाटक के मांड्या जिले के मड्डुर के रहने वाले थे। वह 10 फरवरी को ही ड्यूटी पर लौटे थे। गुरु की पत्नी कविता ने मीडिया बताया, ''मुझे कल मेरे पति का फोन आया था लेकिन मैं इसे उठा नहीं पाई क्योंकि मैं किसी काम में लगी हुई थी। मुझे नहीं पता था वह बात करने का आखिरी मौका था।"
40- कुलविंदर सिंह, पंजाब
पंजाब में रोपड़ जिले के 28 वर्षीय कुलविंदर सिंह पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए.कुलविंदर 10 फरवरी को अपने घर से ड्यूटी पर लौटे थे। वह सीआरपीएफ की 92वीं बटालियन में सिपाही के तौर पर भर्ती हुए थे।