केरल, राजस्थान और पंजाब के बाद पश्चिम बंगाल में CAA पर विधानसभा में प्रस्ताव पास
By भाषा | Updated: January 27, 2020 18:06 IST2020-01-27T17:02:20+5:302020-01-27T18:06:33+5:30
पश्चिम बंगाल सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विधानसभा में सोमवार को एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव में केंद्र सरकार से सीएए को रद्द करने और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के क्रियान्वयन एवं राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अद्यतन की योजनाओं को निरस्त करने की अपील की गई है।

राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच तकरार का नया मुद्दा बन कर उभरा है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सोमवार को राज्य सरकार द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को पारित कर दिया जिसमें इस कानून को तत्काल निरस्त करने और एनपीआर तथा प्रस्तावित एनआरसी को वापस लेने की मांग की गई।
प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान और मानवता के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि इस कानून को तत्काल निरस्त किया जाए। हम एनपीआर को भी निरस्त कराना चाहते हैं।’’
प्रस्ताव का विपक्षी दलों कांग्रेस और माकपा नीत वाम मोर्चा दोनों ने समर्थन किया। भाजपा विधायक दल ने प्रस्ताव का विरोध किया और सीएए के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।
केरल, राजस्थान और पंजाब-- नये नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव पहले ही पारित कर चुके हैं। यह कानून राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच तकरार का नया मुद्दा बन कर उभरा है।
एक ओर जहां तृणमूल कांग्रेस इस विवादित कानून का पूरी ताकत के साथ विरोध कर रही है, वहीं दूसरी ओर भाजपा इसे लागू करने पर जोर दे रही है। इससे पहले राज्य विधानसभा ने सितंबर 2019 में एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था जिसका भाजपा ने विरोध किया था।
West Bengal Assembly passes resolution against #CitizenshipAmendmentAct. The resolution was moved by the state government. pic.twitter.com/9u0Mapebiq
— ANI (@ANI) January 27, 2020