कश्मीर में लंबी खिंची सर्दी और बर्फबारी, बढ़ी सेना की मुसीबतें

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 3, 2023 02:46 PM2023-02-03T14:46:38+5:302023-02-03T14:48:13+5:30

बर्फबारी को देखते हुए बार्डर एरिया में हाई अलर्ट जारी किया गया है। फिलहाल इस बार अभी तक कहीं भी बर्फ की सुनामी में जवानों के मारे जाने की खबर नहीं है पर खतरा अभी टला नहीं है।

Prolonged winter and snowfall in Kashmir increased army troubles | कश्मीर में लंबी खिंची सर्दी और बर्फबारी, बढ़ी सेना की मुसीबतें

पाकिस्तान से सटी एलओसी पर सर्दियों में भी डटे हैं जवान

Highlightsबर्फीले तूफान भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती814 किमी लंबी पाकिस्तान से सटी एलओसी पर सर्दियों में भी डटे हैं जवानबर्फबारी को देखते हुए बार्डर एरिया में हाई अलर्ट जारी किया गया है

जम्मू: इस बार मौसम के बिगड़े मिजाज और लंबी खिचीं सर्दियों ने सेना की परेशानी भी बढ़ा दी हैं। कश्मीर में भारी बर्फबारी से भारत पाक सीमा पर सैनिकों के लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं। इस बर्फबारी की आड़ में आतंकी घुसपैठ की कोशिश करते हैं ऐसे में सैनिकों को ज्यादा चौकन्ना रहने की जरुरत होती है। बर्फबारी को देखते हुए बार्डर एरिया में हाई अलर्ट जारी किया गया है। कई फुट बर्फ होने के बावजूद सैनिक मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाने में जुटे हैं।

छोटे-बड़े बर्फीली सुनामी सेना के जवानों को 814 किमी लंबी पाकिस्तान से सटी एलओसी पर सर्दियों में सामना होता ही रहता है। हालांकि वर्ष 2010 में आए बर्फीले तूफान उसके लिए घातक साबित हुए थे। फिलहाल इस बार अभी तक कहीं भी बर्फ की सुनामी में जवानों के मारे जाने की खबर नहीं है पर खतरा अभी टला नहीं है।
वर्ष 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध के बाद भारतीय सेना ने अपनी दुर्गम सीमा चौकियों को खाली करने से तौबा कर ली। दरअसल करगिल युद्ध भी इसी नीति का दुष्परिणाम था जब सर्दी के मौसम में दोनों पक्षों के बीच हुए मौखिक समझौते के तहत दुर्गम सीमा चौकियों को खाली छोड़ दिया जाता था और फिर गर्मियों की शुरूआत के साथ ही पुनः उन पर कब्जा जमा लिया जाता था।

इसे भुलाया नहीं जा सकता कि वर्ष 2003 में जुलाई महीने में भी पाक सेना ने ऐसे ही मौखिक समझौते को तोड़ कर गुरेज सेक्टर में ही दो भारतीय सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया था और बाद में मिराज तथा जगुआर लड़ाकू विमानों की मदद से यह कब्जे छुड़वाए गए थे जिसमें पाकिस्तान के 100 तथा भारत के 15 के करीब सैनिक मारे गए थे। नतीजा सामने है। मौखिक समझौतों के टूटने का जो भय भारतीय सेना को डरा रहा है उस कारण वह दुर्गम और दुरूह क्षेत्रों की सीमा चौकिओं पर जवानों को तैनात करने का खतरा मोल लिए हुए है। जबकि इन चौकियों पर तैनाती की सच्चाई यह है कि साल के 12 महीनों में से 11 महीने तक यह शेष देश से कटी रहती हैं और वहां रसद और जवान पहुंचाने का एकमात्र साधन हेलिकाप्टर ही होते हैं।

सेना प्रवक्ता के अनुसार, "भारतीय सेना करगिल युद्ध जैसा खतरा मोल नहीं ले सकती। अतः वह एलओसी पर आए दिन आने वाले बर्फीले तूफानों की दुश्वारियों से निपटने को अपने जवानों को प्रशिक्षण देती है। यही कारण है कि अक्सर भारतीय जवानों की हिम्मत को पहाड़ भी सलाम करते हैं।"

Web Title: Prolonged winter and snowfall in Kashmir increased army troubles

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे