केदारनाथ में भाजपा नेताओं को पुरोहितों ने दिखाए काले झंडे, त्रिवेंद्र बिना दर्शन किए लौटे

By भाषा | Published: November 1, 2021 09:08 PM2021-11-01T21:08:54+5:302021-11-01T21:08:54+5:30

Priests showed black flags to BJP leaders in Kedarnath, Trivendra returned without seeing | केदारनाथ में भाजपा नेताओं को पुरोहितों ने दिखाए काले झंडे, त्रिवेंद्र बिना दर्शन किए लौटे

केदारनाथ में भाजपा नेताओं को पुरोहितों ने दिखाए काले झंडे, त्रिवेंद्र बिना दर्शन किए लौटे

देहरादून, एक नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पांच नवंबर के दौरे से पहले केदारनाथ में सोमवार को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक को देवस्थानम बोर्ड को लेकर आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा।

त्रिवेंद्र सिंह को तीर्थ पुरोहितों ने मंदिर तक भी नहीं पहुंचने दिया और उन्हें बाबा के दर्शन किए बिना ही उल्टे पांव लौटना पड़ा। तीनों नेता शुक्रवार को प्रस्तावित प्रधानमंत्री के दौरे की व्यवस्था देखने केदारनाथ पहुंचे थे।

पूर्व मुख्यमंत्री के केदारनाथ पहुंचने पर हेलीपैड से मंदिर के रास्ते में तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उन्हें वहां से वापस जाने को मजबूर कर दिया।

इससे पहले, एक अन्य हैलीकॉप्टर से वहां पहुंचे धनसिंह और कौशिक को भी मंदिर परिसर में पुरोहितों का भारी विरोध झेलना पड़ा लेकिन उन्होंने किसी तरह अंदर पहुंच कर भगवान केदारनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना की।

गौरतलब है कि चारधाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के प्रावधान वाला अधिनियम दो साल पहले त्रिवेंद्र सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में ही राज्य विधानसभा में पारित किया गया था।

चारों धामों—बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि बोर्ड का गठन उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन है और इसे भंग करने की मांग को लेकर वे लंबे समय से आंदोलनरत हैं।

पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने के बाद जुलाई में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के परीक्षण और उसमें 'सकारात्मक संशोधन' का सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। इस समिति ने पिछले महीने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे दी, लेकिन वह अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।

केदारानाथ के एक पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने भाजपा सरकार को 'धर्मविरोधी' बताते हुए कहा कि चारों धामों में तीर्थ पुरोहितों का सब्र अब खत्म हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री धामी ने 11 सितंबर की बैठक में उन्हें 30 अक्टूबर तक सब्र रखने को कहा था और इसलिए अब उग्र आंदोलन शुरू कर दिया गया है।

बाद में, कौशिक ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के बारे में उनकी पुरोहितों के साथ बातचीत हुई है जिसमें उन्होंने पूजा पाठ की व्यवस्था को लेकर कुछ शंका प्रकट की है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें आश्वासन दिया कि हम उनकी बात को मुख्यमंत्री के सामने प्रभावशाली ढंग से रखेंगे।’’

इस बीच, केदारनाथ जाकर भी भगवान भोले के दर्शन नहीं कर सके त्रिवेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘बाबा केदार के अंतर्दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और सभी के मंगल की कामना की।’’

कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पुरोहितों को सत्ता में आने पर देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का पहले ही आश्वासन दे चुके हैं।

वहीं, ताजा घटनाक्रम पर चुटकी लेते हुए राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा नेताओं और मंत्रियों को काले झंडे दिखाकर तीर्थ पुरोहितों ने अभी ट्रेलर दिखाया है और आगे पूरी पिक्चर बाकी है जो चुनाव में दिखेगी।

उधर, उत्तरकाशी में भी देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के व्यापारिक प्रतिष्ठान सोमवार को पूरी तरह बंद रहे जबकि पुरोहितों ने विरोध में श्रद्धालुओं का पूजा पाठ भी नहीं कराया।

पुरोहितों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द ही इस पर निर्णय नहीं किया तो भाजपा को उग्र आंदोलन के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव में भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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