प्रयाग-इलाहाबाद-प्रयागराजः इन तीन नामों के सफर में लग गई सदियां, बेहद रोचक है इसकी कहानी

By आदित्य द्विवेदी | Published: October 15, 2018 12:22 PM2018-10-15T12:22:12+5:302018-10-15T12:42:17+5:30

Prayag to Allahabad to Prayagraj: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर 'प्रयागराज' किए जाने की घोषणा कर दी है। जानें नामों के प्रयाग से इलाहाबाद और अब प्रयागराज होने की की सदियों लंबी रोचक कहानी...

Prayag to Allahabad to Prayagraj: Interesting history and importance of this place | प्रयाग-इलाहाबाद-प्रयागराजः इन तीन नामों के सफर में लग गई सदियां, बेहद रोचक है इसकी कहानी

प्रयाग-इलाहाबाद-प्रयागराजः इन तीन नामों के सफर में लग गई सदियां, बेहद रोचक है इसकी कहानी

को कहि सकई प्रयाग प्रभाऊ, कलुष पुंज कुंजर मगराऊ।
सकल काम प्रद तीरथराऊ, बेद विदित जग प्रगट प्रभाऊ।।

गोस्वामी तुलसीदास (1532 ई-1623 ई) जब प्रयागराज के महात्म्य पर यह चौपाई लिख रहे थे तो उस वक्त इलाहाबाद नाम अस्तित्व में नहीं था। हिंदू धर्म की मान्यता है कि ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा ने सबसे पहला यज्ञ यहीं किया था। इसी वजह से इस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा। ऐतिहासिक उल्लेख की बात करें तो इस शहर का इलाहाबाद नाम अकबर ने 1583 में दिया था। इलाहाबाद अरबी शब्द ‘इलाह’ और फारसी शब्द ‘आबाद’ से मिलकर बना था जिसका हिंदी में अर्थ होता है ईश्वर का शहर मतलब जहाँ भगवान रहते हैं।

योगी सरकार ने क्यों बदला नाम?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का ऐलान कर दिया है। साधु समाज लंबे वक्त से इसकी मांग करता रहा था। राज्यपाल राम नाईक ने भी इस पर मुहर लगा दी है। सीएम योगी का तर्क है कि हमने इस धार्मिक नगरी का स्वाभाविक नाम देने का फैसला किया है। इससे शहर का गौरव बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी में नाम बदलने के लिए दिए गए प्रस्ताव पर राज्यपाल रामनाईक ने भी सहमति जता दी थी। वहीं इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने की योगी की घोषणा के साथ ही कई लोगों और संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है।

दरअसल, गोमुख से इलाहाबाद तक जहां कहीं भी कोई सहायक नदी गंगा से मिलती है उस स्थान को प्रयाग कहा गया है, जैसे- देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग आदि। इस तरह जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है उसे प्रयागराज कहा जाएगा। इसे संगम नगरी, कुंभ नगरी और तीर्थराज भी कहा गया है।

प्रयाग का पौराणिक महत्व

प्रयागे माघमासे तु त्र्यहं स्नानस्य यत्फलम्। 
नाश्वमेधसस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।

'पद्मपुराण' के अनुसार प्रयाग में माघ मास के समय तीन दिन संगम स्नान करने से प्राप्त फल पृथ्वी पर एक हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने से भी नहीं प्राप्त होता। यहां प्रत्येक 12 वर्ष में कुंभ का आयोजन होता है और प्रत्येक वर्ष माघ महीने में कल्पवास की प्रथा चली आ रही है। भारत के अंतिम हिंदू सम्राट माने जाने वाले हर्षवर्धन के समय भी प्रयाग की महत्ता अपने चरम पर थी। 

चीनी यात्री ह्वेनसांग ने प्रयाग में आयोजित महामोक्ष परिषद का उल्लेख करते हुए लिखा था कि राजा हर्ष यहां आकर अपना सर्वस्व दान कर देता था। कुंभ मेले में संगम स्नान का प्रथम ऐतिहासिक अभिलेख भी हर्ष के समय में ही प्राप्त होता है।

यहां देखें प्रयाग से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री-

English summary :
Know Allahabad, a city in Uttar Pradesh state, history, importance and rarely known facts. Triveni Sangam, the sangam of the three main holy river Ganga, Yamuna and "invisible" Saraswati rivers, is in Allahabad. Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath announced to change the name this holy city from Allahabad to Prayagraj.


Web Title: Prayag to Allahabad to Prayagraj: Interesting history and importance of this place

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