प्रशांत किशोर के बिहार की राजनीति में संभावित एंट्री से मची खलबली, सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 3, 2022 03:17 PM2022-05-03T15:17:56+5:302022-05-03T15:23:07+5:30
कांग्रेस में एंट्री से चूके प्रशांत किशोर बिहार में नया सियासी पैंतरा आजमाने की जुगत में हैं। इस कारण बिहार के राजनैतिक दल खासे बेचैन नजर आ रहे हैं। बिहार सरकार में गठबंधन की भागीदार बनी भाजपा उन्हें चुनावी 'वोट कटवा' के तौर पर देख रहा है तो जदयू इस मामले में खामोश है।
पटना: कांग्रेस में एंट्री से चूके राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने इशारों में इस बात की संभावना जाहिर की है कि वो बिहार की सियासत में एंट्री ले सकते हैं। वहीं प्रशांत किशोर के इस सियासी बाजीगरी से बिहार के राजनैतिक दल खासे बेचैन नजर आ रहे हैं।
बिहार सरकार में गठबंधन की भागीदार बनी भाजपा उन्हें चुनावी 'वोट कटवा' के तौर पर देख रहा है तो जदयू इस मामले में खामोश है। यही कारण है कि जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रशांत किशोर के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने मंगलवार को सधी हुई टिप्पणी की और कहा, "मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है।"
समाचार वेबसाइट 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक प्रशांत किशोर आगामी 5 मई को पटना में स्थिति को साफ कर सकते हैं और राजनीति में अपनी सक्रिय भागिदारी के बारे में स्पष्ट बयान जारी कर सकते हैं। यही कारण है कि प्रशांत किशोर बीते रविवार से पटना में मौजूद हैं और यही कारण है कि कई राजनीतिक दलों में बेचैनी बनी हुई है।
इससे पहले 2 मई को प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था, "लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने के लिए मैंने 10 साल तक रोलरकोस्टर की भूमिका निभाई। जैसे ही बीते हुए पन्नों को पलटता हूं, तो लगता है कि अब रियल मास्टर्स की भूमिका में आने का समय हो गया है। लोगों के मुद्दों को समझने के लिए और 'जन सुराज' के लिए और लोगों की भलाई के लिए गुड गवर्नेंस के लिए। इसकी शुरुआत बिहार से"
My quest to be a meaningful participant in democracy & help shape pro-people policy led to a 10yr rollercoaster ride!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 2, 2022
As I turn the page, time to go to the Real Masters, THE PEOPLE,to better understand the issues & the path to “जन सुराज”-Peoples Good Governance
शुरुआत #बिहार से
वहीं किशोर के राजनीति में आने की संभावना पर भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'पीके एक राजनीतिक बिचौलिया हैं और उनकी नई पार्टी दरअसल राजनीति की नई दुकान होगी क्योंकि वह पैसे लेकर राजनीतिक दलों और नेताओं को तरह-तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं।"
इसके साथ ही आनंद ने कहा, "पीके वोट कटवा हो सकते हैं और शायद इसीलिए वो राजनीति पार्टी बना रहे हों। पीके राजनीति में स्टेपनी या सेफ्टी वाल्व की तरह अपनी पहचान बनाने जा रहे हैं।"
भाजपा के इतर जदयू इस मामले में काफी संभल कर प्रतिक्रिया दे रहा है। जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा कि पता नहीं प्रशांत किशोर अब बिहार में क्या करेंगे क्योंकि उन्होंने वो पहले ही कुछ कदम उठाकर पीछे खिंच चुके हैं।
इसके साथ ही जदयू प्रवक्ता ने कहा, "पीके की राजनीतिक पार्टी से नीतीश सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि नीतीश सरकार अपने पांच साल का कार्यकाल बिना किसी अड़चन के पूरा करेगी।"
भाजपा और जदयू के अलावा राजद ने भी पीके की संभावित राजनीतिक महत्वाकांक्षा को खारिज करते हुए उसे नकार दिया है। इस संबंध में राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि पीके के राजनीतिक में आने से उनकी पार्टी पर कोई असर नहीं होने वाला है क्योंकि उनके पास पहले से ही फायर ब्रांड युवा नेता तेजस्वी यादव हैं।
राजद प्रवक्ता तिवारी ने कहा, "बिहार की जनता ने पूरे मन से तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है, इसलिए पीके के आने से कोई अंतर नहीं आने वाला है।"
हालांकि कयास इस बात के भी लगाये जा रहे हैं कि प्रशांत किशोर फिलहार राजनीतिक दल बनाने से बचें और उससे पहले बिहार की जनता से सीधा संवाद बनाने और उनकी नब्ज टटोलने के लिए 'जन सुराज' कार्यक्रम की शुरूआत करें।