चुनावी हार से बीजेपी को अंदरूनी झटका, मोदी टीम जलवा खत्म, आंखे दिखाने लगा "दूसरा पक्ष"

By प्रदीप द्विवेदी | Published: December 22, 2018 03:11 PM2018-12-22T15:11:52+5:302018-12-22T15:19:41+5:30

चुनावी हार ही वह वजह है कि 2014 के बाद पहली बार केन्द्र में नेतृत्व परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा शुरू हुई है और बतौर पीएम फेस नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ आदि के नाम सामने आ रहे हैं.

PM Modi team's inner monopoli broken in BJP, started showing eyes "the other side" | चुनावी हार से बीजेपी को अंदरूनी झटका, मोदी टीम जलवा खत्म, आंखे दिखाने लगा "दूसरा पक्ष"

चुनावी हार से बीजेपी को अंदरूनी झटका, मोदी टीम जलवा खत्म, आंखे दिखाने लगा "दूसरा पक्ष"

केन्द्र में पीएम मोदी सरकार बनने के बाद सत्ता और संगठन, दोनों जगह पीएम मोदी टीम के एकाधिकार की जो सियासी समीकरण बनाई जा रही थी, उसे साधने में काफी हद तक कामयाबी मिल गई थी, लेकिन राजस्थान सहित तीन प्रमुख चुनावों में भाजपा की हार से एकाधिकार की सियासी समीकरण फिर उलझ गई है और अब उसे सुलझाना आसान नहीं है.

इस हार से न केवल संगठन पर पीएम मोदी टीम की पकड़ कमजोर हुई है, बल्कि इसके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष प्रभाव भविष्य में जीएसटी संशोधन, राज्यसभा के चुनाव आदि पर भी नजर आएंगे.

यह हार ही वह वजह है कि 2014 के बाद पहली बार केन्द्र में नेतृत्व परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा शुरू हुई है और बतौर पीएम फेस नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ आदि के नाम सामने आ रहे हैं.

जीएसटी संशोधन जैसे मुद्दों पर राज्य सरकारों की भी भूमिका है, करीब बीस राज्यों में भाजपा और समर्थित दलों की सरकार होने के कारण जीएसटी जैसे मामलों में केन्द्र सरकार का पक्ष मजबूत था, लेकिन अब केन्द्र और राज्य सरकारों से संबंधित संयुक्त मामलों में भाजपा का पक्ष कमजोर हुआ है, मतलब... अब एकतरफा निर्णय करना इतना आसान नहीं होगा.

वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने लोकसभा चुनाव में बहुमत हांसिल किया था और राज्यसभा में बहुमत हांसिल करने की ओर कदम बढ़ाए थे, लेकिन प्रादेशिक चुनावों में हार के बाद अब लोकसभा की गणित तो बिगड़ी ही है, राज्यसभा की गणित भी गड़बड़ा जाएगी.

इस हार का सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि जिन नेताओं और सहयोगी दलों को यह भरोसा नहीं था कि पीएम मोदी टीम को हराया जा सकता है, उन्हें विश्वास होने लगा है कि मोदी मैजिक बेअसर हो रहा है. यही कारण है कि जहां उपेन्द्र कुशवाहा भाजपा को साथ छोड़ चुके हैं वहीं चिराग पासवान अपने हक की बात खुलकर बता रहे हैं.

इस हार के कारण भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा कायम एकतरफा अनुशासन को भी झटका लगा है और अब नेता केन्द्र सरकार द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णयों पर भी टिप्पणियां करने लगे हैं.

बहरहाल, पीएम मोदी टीम के समक्ष आम चुनाव 2019 से भी बड़ी चुनौती है कि उलझती जा रही एकाधिकार की सियासी समीकरण को कैसे सुलझाती है?

Web Title: PM Modi team's inner monopoli broken in BJP, started showing eyes "the other side"