UNGA में बुद्ध और विवेकानंद पर पीएम मोदी का फोकस, कश्मीर का जिक्र नहीं, जानें भाषण की बड़ी बातें

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 27, 2019 21:32 IST2019-09-27T20:32:44+5:302019-09-27T21:32:35+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के 74वें सत्र को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा कि यह बहुत खास मौका है क्योंकि इस साल पूरा विश्व गांधी जी की 150वीं जयंती का जश्न मनाएगा। मोदी ने कहा, “उनका सत्य एवं अहिंसा का संदेश वैश्विक शांति, विकास एवं प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है।”

PM Modi in UNGA: Buddha and Vivekananda named, 17 minutes speech in Hindi, know big things | UNGA में बुद्ध और विवेकानंद पर पीएम मोदी का फोकस, कश्मीर का जिक्र नहीं, जानें भाषण की बड़ी बातें

हमारी प्रेरणा है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।

Highlightsमहात्मा गांधी का सत्य एवं अहिंसा का संदेश शांति, विकास एवं प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 14वें सत्र को 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संबोधित करना, मेरे लिए गौरव का अवसर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के 74वें सत्र को शुक्रवार को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी का सत्य एवं अहिंसा का संदेश शांति, विकास एवं प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि यह बहुत खास मौका है क्योंकि इस साल पूरा विश्व गांधी जी की 150वीं जयंती का जश्न मनाएगा।

मोदी ने कहा, “उनका सत्य एवं अहिंसा का संदेश वैश्विक शांति, विकास एवं प्रगति के लिए आज भी प्रासंगिक है।” उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में हिंदी में दिये अपने संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करना गौरव की बात है।

जानिए भाषण की मुख्य बातें

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 14वें सत्र को 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संबोधित करना, मेरे लिए गौरव का अवसर है।

संयुक्त राष्ट्र की इमारत की दीवार पर आज मैंने पढ़ा- “नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक”। मुझे सभा को ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, उस वक्त हम पूरे भारत को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के लिए एक बड़ा अभियान चला रहे हैं।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों ने वोट देकर, मुझे और मेरी सरकार को पहले से ज्यादा मजबूत जनादेश दिया। इस जनादेश की वजह से ही आज फिर मैं यहां हूं।

अगले 5 वर्षों में हम जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने वाले हैं। 2022 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हम गरीबों के लिए 2 करोड़ और घरों का निर्माण करने वाले हैं।

हमारे देश की संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है, जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है। हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति, जीव में शिव देखती है।

जब एक विकासशील देश, दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम सफलतापूर्वक चलाता है, 50 करोड़ लोगों को हर साल 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है, तो उसके साथ बनी संवेदनशील व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक नया मार्ग दिखाती हैं।

UN peacekeeping missions में सबसे बड़ा बलिदान अगर किसी देश ने दिया है, तो वो देश भारत है। हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं, शांति का संदेश दिया है।

हमारी प्रेरणा है- सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास। हम 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर प्रयास कर रहे हैं लेकिन ये प्रयास जिन सपनों के लिए हो रहे हैं, वो सारे विश्व के हैं, हर देश के हैं, हर समाज के हैं। प्रयास हमारे हैं, परिणाम सारे संसार के लिए हैं।

भारत जिन विषयों को उठा रहा है, जिन नए वैश्विक मंचों के निर्माण के लिए भारत आगे आया है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हैं, वैश्विक विषय हैं और गंभीर समस्याओं के समाधान का सामूहिक प्रयास है।

हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी। हम मानते हैं कि ये किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

आतंक के नाम पर बटी हुई दुनिया, उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर UN का जन्म हुआ है। इसलिए मानवता की खातिर आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना, एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।

21वीं सदी की आधुनिक टेक्नोलॉजी, समाज, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सामूहिक परिवर्तन ला रही है। इन परिस्थितियों में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है। ना ही हम सभी के पास अपनी-अपनी सीमाओं के भीतर सिमट जाने का विकल्प है।

सवा सौ साल पहले भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में World Parliament of Religions के दौरान विश्व को एक संदेश दिया था। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यही संदेश है- Harmony and Peace।

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