पेट्रोल-डीजल पर 6 रुपये तक एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी में सरकार, जानें आपकी जेब पर कितना पड़ेगा असर
By स्वाति सिंह | Published: October 26, 2020 07:17 PM2020-10-26T19:17:48+5:302020-10-26T19:17:48+5:30
इससे पहले सरकार ने मई महीने के दौरान पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया था। बता दें कि मई 2014 में पेट्रोल पर कुल टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था।
नई दिल्ली: त्योहारों के इस सीजन में आम आदमी को जल्द बड़ा झटका लग सकता है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार एक बार फिर से पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की तैयारी कर रही है। रिपोर्ट्स की मानें तो सरकार 6 रुपए तक एक्साइज ड्यूटी लगा सकती है।
इससे पहले सरकार ने मई महीने के दौरान पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया था। बता दें कि मई 2014 में पेट्रोल पर कुल टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था। तब से आज तक पेट्रोल पर टैक्स बढ़कर 32.98 प्रति लीटर और डीजल पर टैक्स 31.83 रुपये प्रति लीटर है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगातार टैक्स बढ़ाए जाने से क्रूड के सस्ते होने का फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पा रहा है, बल्कि उन्हें पेट्रोल और डीजल के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।
जानें क्यों बढ़ेगी एक्साइज ड्यूटी?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, महामारी के चलते अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। जल्द ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और इस बीच हुए नुकसान को पूरा करने के लिए फंड्स की जरूरत है। साथ ही सरकार अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए तीसरे राहत पैकेज का भी ऐलान जल्द कर सकती है। ऐसे में सरकार को बड़े फंड्स की जरूरत है। सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर फंड्स जुटाने की तैयारी कर रही है।
कितने बढ़ सकते हैं दाम?
सूत्रों के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल पर 3-6 रुपए प्रति लीटर तक ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। हालांकि, सरकार चाहती है कि टैक्स बढ़ने के बाद पेट्रोल-डीजल के रिटेल दाम में कोई इजाफा न हो। इसके लिए अलग से योजना पर भी विचार चल रहा है। दरअसल, सरकार सीधे तौर पर आम आदमी पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों का बोझ नहीं डालना चाहती। माना जा रहा है कि कच्चे तेल के दाम गिरने के बाद जितना पेट्रोल-डीज़ल सस्ता होना चाहिए था। अब वो नहीं होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल 45 डॉलर प्रति बैरल से गिरकर 40 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। सरकार इसका फायदा उठाना चाहती है।