दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं भेजा जाता है, सीवर की हाथ से सफाई मामला : न्यायालय

By भाषा | Published: September 18, 2019 04:51 PM2019-09-18T16:51:46+5:302019-09-18T16:51:46+5:30

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से सवाल किया कि आखिर हाथ से मल साफ करने और सीवर के नाले या मैनहोल की सफाई करने वालों को मास्क और ऑक्सीजन सिलेण्डर जैसी सुविधायें क्यों नहीं मुहैया करायी जाती हैं।

People are not sent to die in the gas chamber in any country of the world, sewer cleaning case: Court | दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं भेजा जाता है, सीवर की हाथ से सफाई मामला : न्यायालय

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह मनुष्य के साथ इस तरह का व्यवहार सबसे अधिक अमानवीय आचरण है।’’

Highlightsपीठ ने कहा, ‘‘आप उन्हें मास्क और ऑक्सीजन सिलेण्डर क्यों नहीं उपलब्ध कराते?पीठ ने कहा कि संविधान में प्रावधान है कि सभी मनुष्य समान हैं लेकिन प्राधिकारी उन्हें समान सुविधायें मुहैया नहीं कराते।

देश में सीवर नालों की हाथ से सफाई के दौरान लोगों की मृत्यु होने पर बुधवार को गंभीर चिंता व्यक्त करते हुये उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दुनिया में कहीं भी लोगों को मरने के लिये गैस चैंबर में नहीं भेजा जाता है।

शीर्ष अदालत ने हाथ से मैला साफ करने की परंपरा पर तल्ख टिप्पणियां करते हुये कहा कि देश को आजाद हुये 70 साल से भी अधिक समय हो गया है लेकिन हमारे यहां जाति के आधार पर अभी भी भेदभाव होता है। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से सवाल किया कि आखिर हाथ से मल साफ करने और सीवर के नाले या मैनहोल की सफाई करने वालों को मास्क और ऑक्सीजन सिलेण्डर जैसी सुविधायें क्यों नहीं मुहैया करायी जाती हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आप उन्हें मास्क और ऑक्सीजन सिलेण्डर क्यों नहीं उपलब्ध कराते? दुनिया के किसी भी देश में लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं भेजा जाता है। इस वजह से हर महीने चार पांच व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है।’’ पीठ ने कहा कि संविधान में प्रावधान है कि सभी मनुष्य समान हैं लेकिन प्राधिकारी उन्हें समान सुविधायें मुहैया नहीं कराते।

पीठ ने इस स्थिति को ‘अमानवीय’ करार देते हुये कहा कि इन लोगों को सुरक्षा के लिये कोई भी सुविधा नहीं दी जाती और वे सीवर और मैनहोल की सफाई के दौरान अपनी जान गंवाते हैं। शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाति/जनजाति कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधान को लगभग हल्का करने के न्यायालय के पिछले साल के फैसले पर पुनर्विचार के लिये केन्द्र की याचिका की सुनवाई के दौरान अनेक तल्ख टिप्पणियां कीं।

वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि देश में नागरिकों को होने वाली क्षति और उनके लिये जिम्मेदार लोगों से निबटने के लिये अपकृत्य कानून (लॉ ऑफ टॉर्ट) विकसित नहीं हुआ है और ऐसी घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेने का मजिस्ट्रेट को अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़क पर झाडू लगा रहे या मैनहोल की सफाई कर रहे व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दायर नहीं किया जा सकता लेकिन उस अधिकारी या प्राधिकारी, जिसके निर्देश पर यह काम हो रहा है, उसको इसके लिये जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह मनुष्य के साथ इस तरह का व्यवहार सबसे अधिक अमानवीय आचरण है।’’ पीठ ने देश में अस्पृश्यता के पहलू पर भी टिप्पणियां कीं। पीठ ने कहा, ‘‘संविधान में देश में अस्पृश्यता समाप्त करने के बावजूद मैं आप लोगों से पूछ रहा हूं क्या आप उनके साथ हाथ मिलाते हैं? इसका जवाब नकारात्मक है। इसी तरह का हम आचरण कर रहे हैं। इस हालात में बदलाव होना चाहिए। आजादी के बाद हम 70 साल का सफर तय कर चुके हैं लेकिन ये सब अभी भी हो रहा है।’’ 

Web Title: People are not sent to die in the gas chamber in any country of the world, sewer cleaning case: Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे