Parliament Monsoon Session LIVE: शकुनी छल और कपट का प्रतीक, चौपड़ में धोखे से हराया, चक्रव्यूह में फेयर वार से नहीं बल्कि घेर कर मारा, चौहान का कांग्रेस पर हमला, देखें वीडियो

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 2, 2024 14:54 IST2024-08-02T14:53:14+5:302024-08-02T14:54:28+5:30

Parliament Monsoon Session LIVE: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आदर करते हैं किंतु नेहरू ने पारंपरिक भारतीय कृषि की परवाह नहीं की।

Parliament Monsoon Session LIVE Shivraj Singh Chouhan attacks Congress Shakuni symbol deceit fraud defeated Chaupar killed not fair fight Chakravyuh see video | Parliament Monsoon Session LIVE: शकुनी छल और कपट का प्रतीक, चौपड़ में धोखे से हराया, चक्रव्यूह में फेयर वार से नहीं बल्कि घेर कर मारा, चौहान का कांग्रेस पर हमला, देखें वीडियो

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Highlightsचक्रव्यूह में फेयर वार (समुचित युद्ध) से नहीं बल्कि घेर कर मारा गया था।रूस गए, वहां का मॉडल देखा और कहा कि इसे यहां लागू करो।अमेरिका से सड़ा हुआ लाल गेहूं ‘पीएल-4’ भारत को खाने के लिए विवश होना पड़ता था।

Parliament Monsoon Session LIVE: कांग्रेस के ‘डीएनए में किसान विरोध होने’ का आरोप लगाते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेन्द्र मोदी सरकार ने कृषि के क्षेत्र में प्राथमिकताओं को बदला जिसके अच्छे परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने अपने मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि भारत राष्ट्र जितना प्राचीन है, कृषि भी उतनी ही प्राचीन है। चौहान ने कांग्रेस सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम लेते हुए कहा, ‘‘उन्होंने शकुनी का जिक्र किया। शकुनी छल और कपट का प्रतीक है। चौपड़ में तो धोखे से ही हराया गया था और चक्रव्यूह में फेयर वार (समुचित युद्ध) से नहीं बल्कि घेर कर मारा गया था।’’

उन्होंने प्रश्न किया कि कांग्रेस को अब क्यों चक्रव्यूह, शकुनी और चौपड़ याद आते हैं? उन्होंने कहा, ‘‘हम जब महाभारत काल में जाते हैं तो हमें तो भगवान कृष्ण ही याद आते हैं... यदा यदा ही धर्मस्य याद आता है... हमको तो कन्हैया याद आते हैं।’’ चौहान ने आरोप लगाया ‘‘कांग्रेस के डीएनए में ही किसान विरोध है, मैं यह कहना चाहता हूं।

आज से नहीं, प्रारंभ से ही कांग्रेस की प्राथमिकताएं गलत रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आदर करते हैं किंतु उन्होंने (नेहरू ने) पारंपरिक भारतीय कृषि की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि नेहरू रूस गए, वहां का मॉडल देखा और कहा कि इसे यहां लागू करो।

कृषि मंत्री ने कहा कि भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ने कहा कि यह नहीं हो सकता क्योंकि भारत की कृषि परिस्थितियां अलग हैं। उन्होंने कहा कि नेहरू ने 17 वर्ष तक प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया किंतु उस समय क्या होता था, अमेरिका से सड़ा हुआ लाल गेहूं ‘पीएल-4’ भारत को खाने के लिए विवश होना पड़ता था।

उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में किसानों से जबरदस्ती ‘लेवी’ वसूली जाती थी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी कृषि मूल्य नीति की बात अवश्य की किंतु किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। चौहान ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव के शासनकाल में, तब के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के समय में हुए उदारीकरण के दौर में भी कृषि उत्पादों को लाइसेंस राज से मुक्त नहीं किया गया, क्योंकि ‘प्राथमिकता गलत थी।’ उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के दौरान भारत घोटालों के देश के रूप में जाना जाने लगा था।

कृषि मंत्री ने कहा कि जब 2014 में नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तब कृषि क्षेत्र की प्राथमिकताएं बदलीं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए मोदी सरकार की छह प्राथमिकताएं हैं.. उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, उत्पादन के ठीक दाम दिलाना, प्राकृतिक आपदा में समुचित राहत की राशि देना, कृषि विविधीकरण और एवं मूल्यवर्द्धन तथा प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन।

उन्होंने कहा कि राजग सरकार कृषि के लिए रोडमैप तैयार कर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में कृषि के लिए बजटीय आवंटन 27,663 करोड़ रूपये था जो 2024-25 में बढ़कर 1,32,470 करोड़ रूपये हो गया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में यदि उर्वरक सब्सिडी सहित विभिन्न संबद्ध क्षेत्रों का बजट जोड़ दिया जाए तो यह राशि बढ़कर 1,75,444.55 करोड़ रुपये हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि इस राशि में सिंचाई का आवंटन नहीं जुड़ा है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए सबसे पहला काम, किसानों के सूखे खेतों में पानी पहुंचाना होगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकारों ने कभी सिंचाई की ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में नदियों को आपस में जोड़ने की बात थी जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान नर्मदा नदी के माध्यम से साकार करके दिखाया। चौहान ने कहा कि जब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब नर्मदा नदी को क्षिप्रा नदी से जोड़ने की बात उठी थी जिसे सिंह ने असंभव कहते हुए अस्वीकार कर दिया था किंतु बाद में भाजपा की सरकार ने इसे संभव कर दिखाया।

उन्होंने कहा कि आज मोदी सरकार के शासनकाल में कितनी ही नदियों को नर्मदा नदी से जोड़ कर हजारों एकड़ जमीन को सिंचित किया जा रहा है। कृषि मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत बीज तैयार किये और उन्नत किस्म के 109 बीज और जारी किए जाने वाले हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के इन प्रयासों की बदौलत 2023-24 में देश में कृषि उत्पादन बढ़कर 32.9 करोड़ टन पहुंच गया। उन्होंने कहा कि इस अवधि में बागवानी उत्पादन 35.2 करोड़ टन तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि देश में दलहन और तिलहन क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है और इनका उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।

उन्होंने उर्वरक सब्सिडी का उल्लेख करते हुए कहा कि 2013-14 में यह 71,280 करोड़ रुपये थी जो 2023-24 में बढ़कर 1,95,420 करोड़ रुपये पर पहुंच गयी। चौहान ने उर्वरक सब्सिडी घटाये जाने के विपक्षी सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि डीएपी लाने वाले जहाज घूमकर आ रहे थे, इसलिए उन्हें देश में आने में समय लग रहा था और कीमतें बढ़ रही थीं।

उन्होंने कहा कि इन बढ़ी हुई कीमतों का बोझ किसानों पर न पड़े, इसलिए सरकार ने 2,625 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज दिया। यूरिया के बोरे की मात्रा घटाये जाने के विपक्ष के आरोपों पर कृषि मंत्री ने कहा कि निश्चित ही इसे 50 किग्रा से घटाकर 45 किग्रा किया गया है किंतु इसकी लागत भी घटायी गयी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार 45 किग्रा के यूरिया बोरे पर 2100 रुपये की सब्सिडी देती है।

उन्होंने कहा कि 2,366 रूपये का यूरिया का यह बोरा मोदी सरकार किसानों को मात्र 266 रूपये में देती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार किसानों को मिलने वाले 50 किग्रा के डीएपी बोरे की कीमत भी सरकार ने बढ़ने नहीं दी। कृषि मंत्री ने देश के किसानों को यह आश्वासन दिया कि उन्हें सस्ती कीमतों पर उर्वरक मिलता रहेगा।

चौहान ने कहा कि सरकार ने दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य बनाया है। उन्होंने कहा कि किसान जितनी अरहर, मसूर और उड़द पैदा करेंगे, उसे वे पोर्टल पर पंजीकृत करायें, सरकार उनकी पूरी फसल एमएसपी पर खरीदेगी।

उन्होंने कहा कि किसान को यदि अपनी फसल पर एमएसपी से अधिक मिलेगा तो वह इसे ऊंची दरों पर ही बेचना पसंद करेगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश का शरबती गेहूं तथा पंजाब, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश का बासमती चावल न केवल एमएसपी से ऊंची दर पर बेचा जा रहा है बल्कि इनका निर्यात भी हो रहा है। मंत्री का जवाब अधूरा रहा।

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