कृषि विधेयक पर देश भर में हंगामा, सड़क पर उतरे अन्नदाता, चक्का जाम, ट्रेन सेवा पर असर

By शीलेष शर्मा | Published: September 25, 2020 08:22 PM2020-09-25T20:22:48+5:302020-09-25T20:22:48+5:30

एक ओर पंजाब में किसानों ने रेल लाइनों पर बैठकर चक्का जाम कर दिया तो दूसरी तरफ कर्नाटक के किसानों ने किसान एसोसिएशन के झंडे तले कर्नाटक, तमिलनाडु हाई वे पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद यातायात को रोक कर रखा। 

Parliament Congress attack Modi government Uproar across country Agriculture Bill chakka jam impact on train service | कृषि विधेयक पर देश भर में हंगामा, सड़क पर उतरे अन्नदाता, चक्का जाम, ट्रेन सेवा पर असर

आरजेडी, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आप,  टीएमसी भी इन किसानों का समर्थन कर रहे थे।  (photo-ani)

Highlightsउत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में जान जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया।पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत, बड़ौत, खेकड़ा, रमाला, टिटरी सहित दूसरे पूरे इलाके में चक्का जाम कर दिया।राजधानी दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैक्टर और ट्रोलइयों की लम्बी कतार लगी थी। 

नई दिल्लीः विपक्ष के समर्थन से कृषि सम्बन्धी विधेयकों और समर्थन मूल्य को लेकर खड़ा हुआ किसान आंदोलन अब और उग्र होता जा रहा है।

आज भारत प्रबंध के किसानों के आवाहन ने पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में जान जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। जहां एक ओर पंजाब में किसानों ने रेल लाइनों पर बैठकर चक्का जाम कर दिया तो दूसरी तरफ कर्नाटक के किसानों ने किसान एसोसिएशन के झंडे तले कर्नाटक, तमिलनाडु हाई वे पर भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद यातायात को रोक कर  रखा। 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बागपत, बड़ौत, खेकड़ा, रमाला, टिटरी सहित दूसरे पूरे इलाके में चक्का जाम कर दिया। किसान हुक्का लेकर सड़कों पर जा बैठे जिसके कारण कोई वाहन इन इलाकों से नहीं गुज़र सका। राजधानी दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैक्टर और ट्रोलइयों की लम्बी कतार लगी थी। 

हुक्कों के साथ इन पर बैठे किसान मोदी सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नोएडा में जब किसानों ने रास्तों को घेर लिया तो प्रसाशन को मजबूर हो कर जाम से निपटने के लिए दूसरे रास्तों से यातायात को निकालना पड़ा। 

बिहार में आरजेडी के नेतृत्व में किसान सड़कों पर उतर आये, आगे आगे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ट्रैक्टर पर सवार थे तो उनके पीछे हरे झंडे लहराते हुए किसान बंद के समर्थन में निकल पड़े। जहां एक ओर कांग्रेस इन किसानों के समर्थन में खुल कर सड़कों पर थी तो दूसरी ओर आरजेडी, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, आप,  टीएमसी भी इन किसानों का समर्थन कर रहे थे। 

भारत बंद का सबसे ज़्यादा असर पंजाब में देखने को मिला जहां अमृतसर,फरीदकोट , हरियाणा का अम्बाला किसानों के हुज्जूम से भरा था, मानो कोई मानव सैलाब निकल पड़ा हो। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार कांग्रेस इस बार बंद को अपनी कोशिश की बानगी के तौर पर देख रही है। उसका इरादा इस आंदोलन को और तेज़ करने का है। 

कांग्रेस से मिली खबरों के अनुसार देश के 25 राज्यों में किसान विरोधी विधेयक को वापस लेने की आवाज़ उठाते हुए सड़कों पर उतरे। कुछ स्थानों पर पुलिस ने बल प्रयोग भी किया, बावजूद इसके किसान डटे  रहे।  किसानों की मांग है कि  इन क़ानूनों को वापस लिया जाए और समर्थन मूल्य की गारंटी दी जाए। 

वामपंथी नेता अतुल कुमार अनजान ने मोदी सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि  मोदी ने 2014 में स्वामी नाथन आयोग की सिफ़ारिशें की लागू करने का वादा किया था लेकिन अब वे वादे से मुकर रहे हैं। 

कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना था कि मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने एमएसपी को कानूनी तौर पर अनिवार्य करने की बात कही थी, उन्होंने पूछा कि आज ऐसा क्या हो गया कि  एक मोदी दूसरे  मोदी की बात याद नहीं रख पा रहा है। राहुल गाँधी ने भारत बंद का समर्थन करते हुए टिप्पणी की कि अब नए कृषि क़ानून हमारे किसानों को गुलाम बनाएँगे।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने ट्वीट किया "किसानों से एमएसपी छीन  ली जाएगी , उन्हें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के ज़रिये ख़रबपतियों का  गुलाम बनने  पर मज़बूर किया जाएगा।  न दाम मिलेगा न सम्मान।  किसान अपने ही खेत पर मज़दूर बन जाएगा,  हम ये अन्याय नहीं होने देंगे।"

Web Title: Parliament Congress attack Modi government Uproar across country Agriculture Bill chakka jam impact on train service

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