फहमीदा रियाज़: मैं जब फ़िराक़ की रातों में उस के साथ रही...

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 22, 2018 06:31 PM2018-11-22T18:31:23+5:302018-11-22T18:31:23+5:30

फहमीदा रियाज़ का जन्म 28 जुलाई 1946 को ब्रिटिश भारत में मेरठ में हुआ था।

pakistani urdu writer FAHMIDA RIAZ best 6 poem and sher | फहमीदा रियाज़: मैं जब फ़िराक़ की रातों में उस के साथ रही...

फहमीदा रियाज़: मैं जब फ़िराक़ की रातों में उस के साथ रही...

पाकिस्तान की मशहूर लेखिका और कवि फहमीदा रियाज़ का बुधवार (21 नवंबर) को पाकिस्तान में लाहौर में निधन हो गया। 72 वर्षीय रियाज़ को उर्दू के प्रमुख हस्ताक्षरों में शुमार किया जाता था। रियाज़ का जन्म 28 जुलाई 1946 को ब्रिटिश भारत में मेरठ में हुआ था। उनके पिता रियाज़-उद-द्दीन शिक्षाविद् थे। फहमीदा रियाज़ युवावस्था से ही प्रगतिशील आंदोलन से जुड़ गयी थीं। राजनीतिक विरोध के कारण सैन्य तानाशाह जियाउलहक़ के जमाने में फहमीदा रियाज़ को छह साल से ज्यादा वक़्त तक भारत में शरण लेनी पड़ी थी। फहमीदा रियाज़ उर्दू में शायरी करने के अलावा फारसी से उर्दू में अनुवाद भी करती रही थीं। उन्होने रेडियो पाकिस्तान और बीबीसी उर्दू में ब्रॉडकास्टर के तौर पर काम किया था।

पढ़ें फहमीदा रियाज़ की कुछ प्रमुख कविताओं के अंश और शेर-

1- तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छिपे थे भाई 
वो मूरखता, वो घामड़पन
जिसमें हमने सदी गँवाई
आखिर पहुँची द्वार तुम्‍हारे
अरे बधाई, बहुत बधाई।

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

2- कल दुख से सोचा करती थी
सोच के बहुत हँसी आज आयी
तुम बिल्‍कुल हम जैसे निकले
हम दो कौम नहीं थे भाई।

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

3- मुझे मआल-ए-सफ़र का मलाल क्यूँ-कर हो 
कि जब सफ़र ही मिरा फ़ासलों का धोखा था 
मैं जब फ़िराक़ की रातों में उस के साथ रही 
वो फिर विसाल के लम्हों में क्यूँ अकेला था। 

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

4- दिल्ली! तिरी छाँव बड़ी क़हरी 
मिरी पूरी काया पिघल रही 
मुझे गले लगा कर गली गली 
धीरे से कहे'' तू कौन है री?'' 

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

5- पथरीले कोहसार के गाते चश्मों में 
गूँज रही है एक औरत की नर्म हँसी 
दौलत ताक़त और शोहरत सब कुछ भी नहीं 
उस के बदन में छुपी है उस की आज़ादी। 

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

6- ये चार-दीवारियाँ ये चादर गली सड़ी लाश को मुबारक 
खुली फ़ज़ाओं में बादबाँ खोल कर बढ़ेगा मिरा सफ़ीना 
मैं आदम-ए-नौ की हम-सफ़र हूँ 
कि जिस ने जीती मिरी भरोसा-भरी रिफ़ाक़त। 

फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)
फहमीदा रियाज (28 जुलाई 1946-21 नवंबर 2018)

Web Title: pakistani urdu writer FAHMIDA RIAZ best 6 poem and sher

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