पाकिस्तानी शायर की 90वीं जयंती पर होगा नाटक का मंचन, जानिए इनके बारे में
By विमल कुमार | Published: December 12, 2021 07:41 PM2021-12-12T19:41:23+5:302021-12-12T19:42:17+5:30
जौन एलिया 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान जाने वाले अपने खानदान के आखिरी शख्स थे। वे 1956 में कराची में अपने भाइयों के पास जाकर रहने लगे।
नई दिल्ली: भारत मे जन्मे पाकिस्तान के मकबूल शायर जौन एलिया के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन यहां 14 दिसम्बर को होगा। उत्तर प्रदेश के अमरोहा में 14 दिसम्बर को जन्मे एलिया की 90वीं जयंती पर इस नाटक का मंचन होगा। 'जौन का जिन्न' नाम के इस नाटक को इरशाद खान ने लिखा है और उन्होंने ही इसका निर्देशन भी किया है।
फैज अहमद फराज और परवीन शाकिर की तरह एलिया भी भारत मे तेजी से लोकप्रिय हुए हैं। खासकर युवा पीढ़ी में वे अधिक पसंद किए जाते हैं। 2002 में इंतकाल के बाद उनकी शायरी में लोगों की दिलचस्पी और बढ़ी है और हिंदी में उनका काफी तर्जुमा हुआ है।
नाटक के बाद एक मुशायरा भी होगा जिसमें तमाम शायर अपना- अपना कलाम पढ़ेंगे और अंत में गजल गायकी की महफिल होगी, जिसमें जाने माने गायक प्रवीण मुदगिल और पूनम मीरा जौन की गजलें गाएंगे। ये महफ़िल किसी संस्था या किसी अदबी शख़्सियत ने नहीं बल्कि जौन की दीवानी जौनसी ने सजाई है। उन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ मिल के इस महफिल का आयोजन किया है।
जौन एलिया के बारे में जानिए
जौन एलिया का पूरा नाम सैयद सिब्त ए असगर नकवी था और उन्होंने खुद ही 'जौन एलिया' का नामकरण किया था। जौन को 6 भाषाओं का इल्म हासिल था। इसमें ऊर्दू, अरबी, फारसी, हिब्रू, संस्कृत और अंग्रेजी शामिल हैं।
1947 में विभाजन के बाद जौन पाकिस्तान जाने वाले अपने खानदान के आखिरी शख्स थे। वे 1956 में कराची में अपने भाइयों के पास जाकर रहने लगे। वहां उन्होंने उर्दू आलमी डाइजेस्ट शुरू की। कई रिसालों और पत्रिका वगैरह की इदारत भी की। उन्हें पाकिस्तान लुग़द कमेटी का चैयरमैन भी बनाया गया, लेकिन उनकी मंज़िल शायरी थी।
इन दिनों लाखों सोशल साइट्स, हजारों यूट्यूब चैनल पर जौन के चाहने वालों की तादात दिन ब दिन बढ़ती जा रही है।