उमर अब्दुल्ला ने कसा तंज- पद्मावत का विरोध करने वालों को जीप के आगे बांधकर क्यों नहीं घुमाते?
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 26, 2018 01:48 PM2018-01-26T13:48:08+5:302018-01-26T14:52:00+5:30
संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत के खिलाफ करणी सेना ने पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। फिल्म 25 जनवरी को रिलीज हुई।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने संजय लीला भंसाली की पद्मावत के विरोधियों और संबंधित सरकारों पर तंज कसा है। गुड़ग्राम में एक स्कूल बस पर पद्मावत का विरोध करने वालों के पथराव करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "करणी सेना के गुंडों को जीप के आगे क्यों नहीं बांधा जा रहा है और उन्हें स्कूलों और सिनेमाघरों के आगे क्यों नहीं घुमाया जा रहा हैं? क्या ये भीड़ को काबू करने का बहुप्रशंसित तरीका नहीं रहा?" भंसाली की फिल्म पद्मावत 25 जनवरी को पूरे देश में रिलीज हुई। फिल्म में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर, रणवीर सिंह और अदिति राव हैदरी मुख्य भूमिका में हैं।
राजपूत करणी सेना ने फिल्म के खिलाफ कई जगहों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन किए। बुधवार (24 जनवरी) गुरुग्राम के एक स्कूल बस पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव कर दिया। घटना के वक्त स्कूल में बच्चे भी सवार थे। स्कूल बस पर पथराव के लिए करणी सेना की मीडिया और सोशल मीडिया में आलोचना होने लगी। हालांकि करणी सेना ने साफ किया कि स्कूल बस पर हमला करने वाले लोग उनके सदस्य नहीं थे।
मंगलवार (23 जनवरी) को भी देश के कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ और आगजनी की थी। गुजरात में एक सिनेमाघर में तोड़फोड़ करने के आरोप में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हरियाणा में भी सरकारी बस को जलाने के मामले में और स्कूल बस पर हमला करने के मामले मेंं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पिछले साल भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के एक युवक को जीप के आगे मानव-ढाल के रूप में बांधकर घुमाने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया था। बाद में सामने आया कि वीडियो नौ अप्रैल का है राज्य में हुए लोक सभा उपचुनाव के दौरान का है। सेना ने फारूक़ डार नामक युवक को श्रीनगर के बीरवाह इलाके में जीप के आगे बांधकर घुमाया था।
सेना ने तर्क दिया था कि उसने हिंसा से बचने के लिए ये तरीका अपनाया और युवक को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया गया था। लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारतीय सेना की इसके लिए काफी आलोचना हुई थी। भारतीय सेना ने मामले की जाँच के आदेश दिए थे और संबंधित अफसर को बेगुनाह पाया था।
Why aren’t Karni Sena goons being tied to the front of jeeps & paraded in front of school buses & cinema halls? Isn’t that a much lauded crowd control measure?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) January 25, 2018