रेल मंत्री पीयूष गोयल ने रेल सेवाओं के विलय से अधिकारियों की वरीयता को नुकसान होने की आशंकाओं को दूर करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि पद किसी अधिकारी के कैडर के आधार पर तय नहीं किए जाएंगे।
गोयल ने ट्वीट किया, ‘‘अधिकारियों के पास रेल बोर्ड का हिस्सा बनने के लिए योग्यता एवं वरीयता के आधार पर समान अवसर होगा। पद अधिकारी के कैडर के अनुसार तय नहीं किए जाएंगे।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास एक वैकल्पिक तंत्र होगा तो यह सुनिश्चित करेगा कि सभी 8,400 अधिकारियों की पदोन्नति और वरीयता सुरक्षित रहे।’’
कैडरों के विलय का अधिकारियों की वरिष्ठता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा : रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी.के. यादव ने गुरुवार को कहा कि कैडर के विलय से जुड़ी रुपरेखा तय होने तक सभी अधिकारी अपनी-अपनी विशेषज्ञता सेवा क्षेत्रों में काम करना जारी रखेंगे। यादव ने संवाददाताओं से कहा कि रेलवे यह सुनियश्चित करेगा कि किसी भी अधिकारी की करियर प्रगति में कोई बाधा/रुकावट ना आए। गौरतलब है कि कैडरों के विलय की घोषणा के बाद अधिकारियों के बीच अपनी वरिष्ठता खोने को लेकर उत्पन्न आशंकाओं की पृष्ठभूमि में यादव ने यह घोषणा की है।
रेलवे के विभिन्न संवर्गों का विलय एकल रेलवे प्रबंधन प्रणाली में किए जाने की घोषणा के कारण रेल अधिकारी पदोन्नति और वरीयता क्रम को लेकर अनिश्चितता के कारण चिंतित हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस कदम की आवश्यकता थी क्योंकि ‘‘कई विभागों की जटिलता’’ के कारण कई परियोजनाओं में देरी हो रही थी।
सरकार ने कहा है कि सचिवों की समिति और मंत्रियों के पैनल द्वारा 8200 अधिकारियों संबंधी नीति पर निर्णय लेने के बाद इस मामले पर स्पष्टता होगी। हालांकि कुछ अधिकारियों का कहना है कि नीति बनने के बाद ही विलय की घोषणा की जानी चाहिए थी।
वरिष्ठ अधिकारियों ने दावा किया कि हालांकि सरकार ने कहा है कि इस कदम के पीछे का मकसद विभागों की जटिलता को समाप्त करना है, लेकिन इससे दरअसल दो वर्ग पैदा होंगे-एक में मैकेनिकल और इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी अधिकारी और दूसरे में संचालनात्मक एवं कार्मिक मामलों से निपटने वाले अधिकारी होंगे। अधिकारी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि यह काम करेगा। यह बहुत साफ है। यदि कोई अधिकारी अपनी वरीयता को लेकर आश्वस्त नहीं होगा, तो वह काम क्यों करेगा? इससे अंतत: रेलवे का कामकाज प्रभावित होगा।
यदि वरीयता और प्रदर्शन को मिला दिया गया तो चीजें बहुत मनमानी हो सकती हैं।’’ एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार ‘डेटा ऑफ इंक्रीमेंट इन टाइम स्केल’ (डीआईटीएस) को देख सकती है जिसके आधार पर वरीयता तय की जाती है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस व्यवस्था से यह दिक्कत है कि विशेष कौशल वाले लोगों को कोई और काम करने को कहा जा सकता है और इसे लेकर कुछ स्पष्ट नहीं है।