नूपुर शर्मा मामले में विवादित टिप्पणी करने वाले जस्टिस सूर्यकान्त के लिए 15 पूर्व जस्टिस, 77 पूर्व नौकरशाह और 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने जारी किया खुला बयान

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 5, 2022 12:03 PM2022-07-05T12:03:31+5:302022-07-05T14:22:12+5:30

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भाजपा से निलंबित नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी को लेकर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि उनकी (नुपुर की) ‘अनियंत्रित जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया।

Nupur Sharma Justice Surya Kant Justice Pardiwala judges bureaucrats armed forces officers issue an open statement | नूपुर शर्मा मामले में विवादित टिप्पणी करने वाले जस्टिस सूर्यकान्त के लिए 15 पूर्व जस्टिस, 77 पूर्व नौकरशाह और 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने जारी किया खुला बयान

नूपुर शर्मा मामले में विवादित टिप्पणी करने वाले जस्टिस सूर्यकान्त के लिए 15 पूर्व जस्टिस, 77 पूर्व नौकरशाह और 25 पूर्व सैन्य अफसरों ने जारी किया खुला बयान

Highlightsबीते शुक्रवार को नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनावई करते हुए उच्चतम न्यायालय के जज सूर्यकांत और जे बी पारदीवाला ने विवादित टिप्पणी की थीअवकाशकालीन पीठ ने नूपुर शर्मा पर गैर-जिम्मेदाराना बयान देने और पूरे देश को आग में झोंक का जिम्मेदार ठहराया था

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय में नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनावई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पारदीवाला की कथित 'दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व' टिप्पणी के खिलाफ 15 सेवानिवृत्त न्यायाधीश, 77 सेवानिवृत्त नौकरशाह और 25 सेवानिवृत्त सशस्त्र बल अधिकारियों ने खुला बयान जारी किया है।

उन्होंने पत्र में कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत के सेवानिवृत्ति होने तक रोस्टर को वापस लिया जाए और नुपुर शर्मा मामले की सुनवाई के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियों और टिप्पणियों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए।

फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशल जस्टिस, जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख एट जम्मू के खुले पत्र में न्यायमूर्ति सूर्यकांत के रोस्टर को तब तक वापस लेने की मांग की गई जब तक कि वह सेवानिवृत्त नहीं हो जाते और सुनवाई के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियों को वापस लेने का निर्देश दिया जाए।

गौरतलब है कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भाजपा से निलंबित नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी को लेकर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि उनकी (नुपुर की) ‘अनियंत्रित जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया। शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा कि ‘‘देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए शर्मा अकेले जिम्मेदार हैं।’’ 

नूपुर शर्मा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए उच्चतम न्यायालय में उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में हुए प्राथमिकी को नई दिल्ली स्थानांतरित करने संबंधी याचिका दाखिल की थी जिसकी न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ सुनावई कर रही थी।

पीठ ने शर्मा की विवादित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने संबंधी उनकी अर्जी स्वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने (शर्मा ने) पैगंबर मोहम्मद के बारे में टिप्पणी या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए या किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत या किसी घृणित गतिविधि के तहत की।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘उनका (शर्मा का) अपनी जुबान पर काबू नहीं है और उन्होंने टेलीविजन चैनल पर गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए हैं तथा पूरे देश को आग में झोंक दिया है। लेकिन फिर भी वह 10 साल से वकील होने का दावा करती हैं। उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए तुरंत पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए थी।’’

टेलीविजन पर प्रसारित एक बहस के दौरान पैगंबर के बारे में की गई शर्मा की टिप्पणी के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए थे और कई खाड़ी देशों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भाजपा ने बाद में शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया था।

पीठ के बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई थी। कइयों ने इस न्यायमूर्ति सूर्यकांत और पारदीवाला की व्यक्तिगत टिप्पणी के तौर पर देखा। पीठ ने नूपुर शर्मा को फटकार लगाते हुए आगे कहा था, ‘‘ये बयान बहुत व्यथित करने वाले हैं और इनसे अहंकार की बू आती है। इस प्रकार के बयान देने का उनका क्या मतलब है? इन बयानों के कारण देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं... ये लोग धार्मिक नहीं हैं। वे अन्य धर्मों का सम्मान नहीं करते। ये टिप्पणियां या तो सस्ता प्रचार पाने के लिए की गईं अथवा किसी राजनीतिक एजेंडे या घृणित गतिविधि के तहत की गईं।’’

 

Web Title: Nupur Sharma Justice Surya Kant Justice Pardiwala judges bureaucrats armed forces officers issue an open statement

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