बिहार के सरकारी विद्यालयों में बच्चों को अब उपलब्ध कराया जाएगा पका-पकाया भोजन, पीएम पोषण योजना के तहत होगा नया प्रयोग
By एस पी सिन्हा | Published: November 10, 2024 03:26 PM2024-11-10T15:26:39+5:302024-11-10T15:37:35+5:30
पहले चरण में 10 जिलों के 20 पंचायतों के सभी स्कूलों में यह योजना लागू होगी। इन जिलों में मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय और औरंगाबाद शामिल हैं।
पटना: बिहार के सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के लिए खाना बनाने की परंपरा को समाप्त किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने पीएम पोषण योजना के तहत एक नया प्रयोग शुरू किया है। इस प्रयोग के तहत मध्याह्न भोजन व्यवस्थापक के माध्यम से बच्चों को पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना से रसोइयों को भी लाभ होगा। उन्हें व्यवस्थापक बनने का मौका मिलेगा। हालांकि, व्यवस्थापक बनने के लिए उन्हें स्नातक की डिग्री होनी जरूरी है।
पहले चरण में 10 जिलों के 20 पंचायतों के सभी स्कूलों में यह योजना लागू होगी। इन जिलों में मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गया, वैशाली, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, लखीसराय और औरंगाबाद शामिल हैं। बच्चों और शिक्षकों का समय बचेगा। पहले विद्यालयों में भोजन बनाने में काफी समय लगता था। अब बच्चों को पका हुआ भोजन मिलेगा, जिससे बच्चों और शिक्षकों के पास पढ़ाई के लिए ज्यादा समय होगा। जो रसोइया स्नातक हैं, उन्हें व्यवस्थापक बनने का मौका मिलेगा। व्यवस्थापक भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान देंगे।
व्यवस्थापक के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। मध्याह्न भोजन योजना में काम करने वाले रसोइयों को प्राथमिकता दी जाएगी। व्यवस्थापक को भोजन की खरीदारी, भोजन बनवाना, बच्चों को भोजन खिलाना और रसोई घर की साफ-सफाई जैसी जिम्मेदारियां निभानी होंगी। व्यवस्थापक को अपने मौजूदा काम के साथ-साथ यह काम करना होगा। उन्हें इसके लिए अलग से कोई वेतन या भत्ता नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रत्येक पंचायत के लिए एक सहायक व्यवस्थापक भी होगा।
सहायक व्यवस्थापक के लिए कम से कम मैट्रिक या इंटरमीडिएट पास होना जरूरी है। यह योजना बिहार के बच्चों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे बच्चों को स्वस्थ भोजन मिलेगा और उनकी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।