अंग्रेजी जितनी निरर्थक और अवैज्ञानिक कोई दूसरी भाषा नहीं: एनसीबीसी अध्यक्ष

By भाषा | Published: September 26, 2019 06:49 AM2019-09-26T06:49:27+5:302019-09-26T06:49:27+5:30

संसद द्वारा पिछले साल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 को निरस्त कर एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा दिया गया था। साहनी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “कई लोग हैं जो हिंदी को देश के लिये खतरनाक बताते हैं। कुछ कह रहे हैं कि देश के टुकड़े (हिंदी की वजह से) हो जाएंगे।

No Other Language as Meaningless and Unscientific as English, Says NCBC Chairperson | अंग्रेजी जितनी निरर्थक और अवैज्ञानिक कोई दूसरी भाषा नहीं: एनसीबीसी अध्यक्ष

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsसाहनी ने कहा कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और यह वैदिक काल से एक देश है।उन्होंने कहा, “मैं कहना नहीं चाहता लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं ने हमारे देश को समझा नहीं।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) अध्यक्ष भगवानलाल साहनी ने बुधवार को कहा कि अंग्रेजी जितनी “निरर्थक” और “अवैज्ञानिक” कोई दूसरी भाषा नहीं है क्योंकि इसका हर अक्षर और लीपि का कोई ठोस आधार नहीं है। उन्होंने यहां “राष्ट्र निर्माण में हिंदी के महत्व” विषय पर कहा, “मैं कह सकता हूं कि अंग्रेजी जितनी निरर्थक और अवैज्ञानिक भाषा कोई दूसरी नहीं है। क्या आपको पता है अंग्रेजी की खोज कैसे हुई?

सोलोमन के लोगों ने इंग्लैंड पर हमला किया जिससे वहां की भाषा खत्म हो गई। इसलिये, सोलोमन की भाषा और यहां-वहां से कुछ भाषाओं को मिलाकर अंग्रेजी बनाई गई।” आयोग के अध्यक्ष ने कहा, “अंग्रेजी का कोई आधार नहीं है। इसलिये इसके प्रत्येक अक्षर और लिपी अवैज्ञानिक हैं...मुझे उसका कोई एक शब्द बताइए जिसका वैज्ञानिक आधार हो।”

साहनी ने कहा कि भारत एक प्राचीन राष्ट्र है और यह वैदिक काल से एक देश है। उन्होंने कहा, “मैं कहना नहीं चाहता लेकिन हमारे संविधान निर्माताओं ने हमारे देश को समझा नहीं। नेहरू ने भी यही कहा था, ‘इंडिया, जो भारत है, एक राष्ट्र बनने की प्रक्रिया में है।’ लेकिन भारत एक प्राचीन राष्ट्र है, यह वैदिक काल से देश है।”

संसद द्वारा पिछले साल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 को निरस्त कर एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा दिया गया था। साहनी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, “कई लोग हैं जो हिंदी को देश के लिये खतरनाक बताते हैं। कुछ कह रहे हैं कि देश के टुकड़े (हिंदी की वजह से) हो जाएंगे। तब सवाल यह है: क्या अंग्रेजी देश को एकजुट करेगी?”

Web Title: No Other Language as Meaningless and Unscientific as English, Says NCBC Chairperson

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