'चली चलाई की बेला में नीतीश कुमार कर रहे हैं केवल झूठे वादे', बिहार CM के दलित कार्ड के बाद गरमाई सियासत
By एस पी सिन्हा | Published: September 5, 2020 04:18 PM2020-09-05T16:18:48+5:302020-09-05T16:18:48+5:30
बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि चली चलाई की बेला में नीतीश कुमार केवल झूठे वादे कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि सबको पता है कि चंद दिनों में बिहार के अंदर चुनाव की घोषणा हो जाएगी काम कुछ भी नहीं होना है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित कार्ड खेलते हुए हत्या के बाद परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की जो घोषणा की है, वह विरोधियों को रास नहीं आ रहा है. इसको लेकर बिहार की सियासत गर्मा गई है. बसपा प्रमुख मायावती और राजद नेता तेजस्वी यादव के बाद अब कांग्रेस ने भी नीतीश कुमार के इस घोषणा को लेकर हमला बोला है. कांग्रेस ने भी राजद के बाद नीतीश की इस घोषणा को चुनावी झुनझुना बता दिया है. बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि चली चलाई की बेला में नीतीश कुमार केवल झूठे वादे कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सबको पता है कि चंद दिनों में बिहार के अंदर चुनाव की घोषणा हो जाएगी काम कुछ भी नहीं होना है. लेकिन नीतीश कुमार चुनावी शिगूफा के तौर पर दलित प्रेम का दिखावा कर रहे हैं. गोहिल ने कहा कि नीतीश कुमार 15 सालों से बिहार की सत्ता में रहे, लेकिन उन्होंने इस दिशा में कुछ भी नहीं किया. अब जब चुनाव सामने हैं तो वह इसे मुद्दा बनाकर चुनावी नैया पार कराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब जो भी फैसला करना है, वह नई सरकार को करना है. गोहिल ने कहा कि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. समय आने पर इसकी घोषणा हो जाएगी. मांझी के एनडीए में जाने के सवाल पर कहा कि वे मन बना चुके थे. जाने वाले को कौन रोक पाया है? उन्होंने कहा कि महागठबंधन में सबकुछ ठीक है. सभी सहयोगी एकजुट हैं और पूरी मजबूती से एनडीए सरकार को उखाड फेंकने के लिए तत्पर हैं.
यहां बता दें कि आज एक पत्रकार वार्ता कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी नीतीश के इस फैसले को लेकर उनपर हमला किया. उन्होंने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है कि वह दलितों की हत्या का प्रमोशन कर रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने जो ऐलान किया है वह बताता है कि सरकार दलितों की हत्या चाहती है. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से यह सीधा सवाल किया है कि अगर दलितों की हत्या के बाद उनके परिजनों को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की जा रही है तो सबलो और पिछडे समाज के लोगों के लिए यह सुविधा क्यों नहीं है?