भारत-नेपाल सीमा विवाद: नक्शे पर नरम पड़ा नेपाल! 'वर्चुअल मीटिंग' के लिए भी तैयार

By अजीत कुमार सिंह | Published: June 7, 2020 05:06 PM2020-06-07T17:06:14+5:302020-06-07T17:10:12+5:30

नेपाल, भारत के साथ अब बातचीत के संकेत दे रहा है.नेपाल विदेश सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने के लिए तैयार है.

Nepal has reportedly sought foreign secretary level talks with India Via Video Conferencing. | भारत-नेपाल सीमा विवाद: नक्शे पर नरम पड़ा नेपाल! 'वर्चुअल मीटिंग' के लिए भी तैयार

नेपाल लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर दावा कर रहा है...फोटो (फाइल)

Highlightsभारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल की सरकार ने 31 मई को संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था.नेपाल ने भारत के कुल 395 वर्ग किमी को क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल कर लिया है. भारत और नेपाल के बीच 1800 किलोमीटर की खुली सीमा है. 

चीन के 'नक्शे' कदम कदम पर चलते हुए नेपाल ने भी भारत को आंखें दिखाईं लेकिन अब बातचीत के संकेत दे रहा है. हालांकि जब नेपाल 9 जून को नेपाल की प्रतिनिधि सभा में संविधान संशोधन के जरिए नेपाल नए राजनीतिक नक्शे को अपनाएगा और इस बीच भारत बातचीत के लिए तैयार होगा ये कहना मुश्किल है. 

वर्चुअल मीटिंग के लिए तैयार नेपाल

नेपाल का कहना है कि वो विदेश सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने के लिए तैयार है. नेपाल सरकार का कहना है विदेश सचिव आमने सामने या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से तीनों विवादित जगहों लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी के मुद्दे पर बात कर सकते हैं. 

नेपाल पर नज़र बनाए रखने वाले जानकारों का मानना है कि भारत ने हमेशा बातचीत की पेशकश और कोशिश की है लेकिन यह तर्क पर निर्भर करता है- अगर नेपाल एकतरफा रूप से स्थिति का पूर्वाग्रह ग्रस्त होकर आंकलन करता है तो बातचीत के जरिए हल निकालना मुश्किल हो जाएगा. 

9 जून को पास होगा संविधान संशोधन  

नेपाल ने इस बीच दूसरे संविधान संशोधन लाने में तेज़ी दिखाई है. सरकार के इस संविधान संशोधन को विपक्षी नेपाली कांग्रेस का भी समर्थन हासिल हैं. इस समर्थन के बाद नेपाल की संसद में इस दूसरे संविधान संशोधन के दो तिहाई बहुमत से पास होने की पूरी संभावना है. अगर मधेशी पार्टियो ने इसका विरोध भी किया फिर भी सरकार को इसे पास कराने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी. 

एक 'सड़क' ने बढ़ा दी दूरी ! 

नेपाल और भारत के बीच हालिया विवाद तब बढ़ना शुरू हुआ जब भारत ने 8 मई को लिपुलेख से होकर कैलाश मानसरोवर जाने वाले लिंक रोड का उद्घाटन किया. इस सड़क का नेपाल सरकार ने विरोध किया था. इस विवाद में तेज़ी तब आई जब नेपाल ने 20 मई को अपना नक्शा तैयार किया. इस विवादित नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया है. नेपाल के इस नक्शे पर भारत ने आपत्ति जताते हुए कहा है "नेपाल का ने नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं हैं." पिछले महीने भारत की ओर से कहा गया था कि कोविड 19 से उबर जाने के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन सिंगला और नेपाली विदेश सचिव शंकर बैरागी इस मुद्दे पर बात करेंगे.

नेपाल ने संसद में पेश किया नक्शे से जुड़ा संविधान संशोधन

भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल की सरकार ने 31 मई को संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था. इस संविधान संशोधन का मकसद नेपाल के नक्शे में बदलाव करना है. नेपाल की कानून, न्याय और संसदीय मामलों के मंत्री शिवमाया तुम्बाहांगफे ने नेपाल सरकार की तरफ से विधेयक पेश किया. नेपाल ने हाल में देश का संशोधित राजनीतिक एवं प्रशासनिक मानचित्र जारी किया था जिसमें उसने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा पर दावा किया था. 

इस नक्शे में नेपाल ने भारत के कुल 395 वर्ग किमी को क्षेत्र को शामिल कर लिया है. इसमें लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के अलावा नाभी, कुटी और गुंजी गांव भी आते हैं. भारत के विदेश मंत्रालय इस विवाद पर कहता रहा है कि नेपाल की सरकार को सीमा से जुड़े विवाद पर बात के लिए अनुकूल माहौल बनाना चाहिए. भारत और नेपाल के बीच 1800 किलोमीटर की खुली सीमा है. 

Web Title: Nepal has reportedly sought foreign secretary level talks with India Via Video Conferencing.

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