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NCP चीफ शरद पवार ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा पत्र, कोरोना लॉकडाउन में इस चीज की उठाई मांग

By पल्लवी कुमारी | Updated: May 15, 2020 14:14 IST

कोरोना वायरस की महामारी के कारण चीनी उद्योग गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। बड़े उपभोक्ताओं की मांग नगण्य होने की वजह से जहां मिलों के पास चीनी का भारी स्टॉक हो गया है, वहीं नगदी का भी गंभीर संकट पैदा हो गई है।

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ठळक मुद्देअपने पत्र में शरद पवार ने विशेष तौर पर महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के लिए फौरन कदम उठाने की मांग की है।शरद पवार ने पत्र में पांच ऐसे बिंदुओं का जिक्र किया है, जिससे चीनी उद्योग को तत्काल राहत मिल सके।

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महाराष्ट्र के गन्‍ना उद्योग/चीनी उद्योग को कोविड-19 संकट से हुए नुकसान से उबारने के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की है। अपने पत्र को अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर करते हुए शरद पवार ने लिखा है, 'प्रधानमंत्री का कोरोना लॉकडाउन की वजह से देश के गन्‍ना उद्योग/चीनी उद्योग की खराब हालात के बारे में अवगत कराया है। पीएम से इसके लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है।' शरद पवार ने अपने इस ट्वीट के साथ प्रधानमंत्री ऑफिस (PMO) को टैग किया है। 

अपने पत्र में शरद पवार ने विशेष तौर पर महाराष्ट्र के चीनी उद्योग के लिए फौरन कदम उठाने की मांग की है। शरद पवार ने पत्र में लिखा है "मैं महामारी कोविड -19 के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन द्वारा संकट आर्थिक संकट से गुजर रहे चीनी उद्योग को बाहर निकालने के लिए आपके तत्काल हस्तक्षेप के लिए ईमानदारी से अनुरोध कर रहा हूं।"

उन्होंने आगे लिखा, "लॉकडाउन से पहले भी आप कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा सकते थे, जैसे MSP, चीनी का निर्यात, बफर स्टॉक, इंवेस्टमेंट सबमिशन, जिससे चीनी उद्योग को मदद मिलती।''

शरद पवार ने पत्र में पांच ऐसे बिंदुओं का जिक्र किया है, जिससे चीनी उद्योग को तत्काल राहत मिल सके।  

1. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2018-19 और 2019-20 से लंबित बफर स्टॉक खर्चों के लिए फंड दिए जाए। 

2. चीनी की एमएसपी (MSP) में 3450 रुपये से लेकर 3750 रुपये तक ग्रेड वाइज वृद्धि की जाए। 

3. पिछले दो वर्षों के दौरान गन्ने की औसत दर पर 650 रुपये प्रति टन के एक बार अनुदान का प्रावधान किया जाए। 

4. शॉर्ट टर्म लोन में बकाया कार्यशील पूंजी का रूपांतरण किया जाए। इसके साथ ही मित्रा समिति की सिफारिशों की पर दो साल की मोहलत के साथ 10 साल के लिए सभी अवधि के ऋणों का रिशेड्यूलिंग हो। 

5. चीनी मिलों की भट्टियों को स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट्स (SBUs) और स्टैंड अलोन बेसिस पर मानते हुए बैंकों को 2018 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित ब्याज सब्वेंशन कैपेक्स स्कीम के तहत स्वीकृत इथेनॉल प्रोजेक्ट्स को भी फंड देना चाहिए। 

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