एनसीपी नेता के फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाने पर छिड़ा विवाद, दी ये सफाई
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 21, 2022 07:06 PM2022-01-21T19:06:42+5:302022-01-21T19:06:42+5:30
एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे ने जिस फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाया है, उसका नाम 'व्हाई आई किल्ड गांधी' है।

एनसीपी नेता के फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाने पर छिड़ा विवाद, दी ये सफाई
मुंबई: शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सांसद अमोल कोल्हे द्वारा एक फिल्म में अभिनय करने को लेकर विवाद मच गया है। शिरूर से लोकसभा के सांसद अमोल कोल्हे ने फिल्म में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की भूमिका निभाई है। इसे ही लेकर विवाद हो रहा है।
सांसद अमोल कोल्हे ने जिस फिल्म में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाया है, उसका नाम 'व्हाई आई किल्ड गांधी' है और ट्रेलर आने के बाद से फिल्म सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।
यह फिल्म महात्मा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के लाल किले में चले नाथूराम गोडसे पर चले मुकदमे पर आधारित बताई जा रही है। फिल्म में नाथूराम बने सांसद कोल्हे सियासत में शरद पवार के नजदीकी लोगों में से माने जाते हैं।
2019 में एनसीपी से जुड़े थे अमोल कोल्हे
शिवसेना से राजनीति की शुरुआत करने वाले सांसद कोल्हे एनसीपी के चर्चित नेताओं में शुमार किये जाते हैं। साल 2019 में शिवसेना छोड़कर शरद पवार की पार्टी ज्वाइन करने वाले कोलहे को शरद पवार ने शिरूर से लोकसभा का टिकट दे दिया।
लोकसभा चुनाव में शिवसेना के शिवाजी अधलराव पाटिल को 50 हजार से अधिक मतों से हराकर संसद पहुंचे कोल्हे राजनीति के साथ-साथ मराठी टीवी के चर्चित अभिनेता भी हैं। इस विवादास्पद फिल्म के पहले कोल्हे छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी महाराज का किरदार भी निभा चुके हैं।
विवाद बढ़ने के बाद अमोल कोल्हे ने दी सफाई
फिल्म पर बढ़ते हुए विवाद को देखते हुए अमोल कोल्हे ने गुरुवार को सोशल मीडिया के जरिए सफाई दी और कहा कि 'रील लाइफ' और 'रियल लाइफ' के बीच अंतर होता है और जो भी फिल्म के किरदार को लेकर मेरा विरोध कर रहे हैं, उन्हें यह बात समझनी चाहिए।
कोल्हे ने सोशल मीडिया के जरिये कहा, "... कभी-कभी ऐसी भूमिकाएं आती हैं, जहां आप विचारधारा से सहमत नहीं होते हुए भी एक कलाकार के रूप में उसे निभाते हैं। फिल्म में मेरे लिए नाथूराम गोडसे का रोल भी कुछ इसी तरह का था। व्यक्तिगत तौर पर मैं कभी गांधीजी की हत्या या नाथूराम के विचारों का समर्थक नहीं करता हूं, लेकिन फिल्म के निर्देशक ने मुझे जो भूमिका दी, एक कलाकार होने के नाते मैंने उसे इमानदारी से निभाने की कोशिश की है। हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए! उम्मीद है कि लोग मेरे काम को खुले दिमाग से देखेंगे।"