देवदासी परंपरा पर सख्त हुआ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्र समेत 6 राज्यों को भेजा नोटिस, मांगी 6 हफ्ते में रिपोर्ट
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: October 14, 2022 09:29 PM2022-10-14T21:29:51+5:302022-10-14T21:32:50+5:30
एनएचआरसी ने दक्षिण भारत के मंदिरों में चलने वाली देवदासी परंपरा पर चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित 6 राज्यों को 6 हफ्तों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।
दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने केंद्र और छह राज्यों को नोटिस भेजकर विभिन्न मंदिरों में चलने वाली देवदासी परंपरा के बारे में रिपोर्ट मांगी है। एनएचआरसी ने विशेष रूप से दक्षिण भारत के मंदिरों में चलने वाली देवदासी परंपरा पर चिंता व्यक्त करते हुए संबंधित राज्यों को कार्रवाई के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। एनएचआरसी ने यह आदेश एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दिया है।
एनएचआरसी के आदेश में कहा गया है, "देवदासी जैसी बेहद बुरी प्रथा को रोकने के लिए पूर्व में कई सख्त कानून बनाये गये थे लेकिन उसके बावजूद यह अभी भी प्रचलन में है। सुप्रीम कोर्ट भी युवा लड़कियों को देवदासी के रूप में मंदिरों को सौंपने वाली प्रथा का कड़ी निंदा कर चुका है, उसके बाद भी यह प्रथा थमने का नाम नहीं ले रही है।"
मानवाधिकार आयोग ने कहा कि इस प्रथा में कथित यौन शोषण और वेश्यावृत्ति जैसी बुराईयों के शामिल होने की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे महिलाओं के जीवन के अधिकार, उनके सम्मान और समानता के खिलाफ एक गंभीर मुद्दा बताया है।
आयोग द्वारा उजागर की गई मीडिया रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि देवदासी परंपरा में शामिल होने वाली लड़कियां या महिलाएं अधिकांशतः अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति परिवार से ताल्लूक रखती हैं और बेहद गरीब परिवार से आती हैं।
देवदासी व्यवस्था की व्याख्या करते हुए मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, "लड़की को देवदासी बनाने की प्रक्रिया में मंदिर के देवता से उसकी शादी करा दी जाती है और उसके बाद उसका शेष जीवन पुजारी और मंदिर के दैनिक कार्यों की देखभाल में गुजरता है।
आयोग के अनुसार इस कथित अमानवीय प्रथा में अधिकांश पीड़ित महिलाओं या लड़कियों का यौन शोषण भी किया जाता है। यौन शोषण के बाद जब वो गर्भवती हो जाती हैं तो उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ दिया जाता है।
एनएचआरसी ने कहा कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सरकारों ने क्रमशः 1982 और 1988 में देवदासी प्रथा को अवैध घोषित कर दिया था लेकिन उसके बाद भी यह सिलसिला आज भी बदस्तूर चल रहा है।
जस्टिस रघुनाथ राव की अध्यक्षता में गठित एक आयोग ने माना था कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अब भी 80,000 देवदासियां हैं। हालांकि, आंकड़ों के संबंध में कथित तौर पर एक बात यह भी सामने आ रही है कि अकेले कर्नाटक में 70,000 से अधिक महिलाएं आज भी देवदासी के रूप में अपना जीवन गुजार रही हैं।
इस संबंध में सख्ती दिखाते हुए मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय सहित कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करके उनसे इस संबंध में छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।