राष्ट्रीय शिक्षा नीति आमसहमति के आधार पर लागू हो : प्रधान ने कुलपतियों से कहा

By भाषा | Published: September 3, 2021 05:26 PM2021-09-03T17:26:50+5:302021-09-03T17:26:50+5:30

National Education Policy should be implemented on the basis of consensus: Pradhan told Vice Chancellors | राष्ट्रीय शिक्षा नीति आमसहमति के आधार पर लागू हो : प्रधान ने कुलपतियों से कहा

राष्ट्रीय शिक्षा नीति आमसहमति के आधार पर लागू हो : प्रधान ने कुलपतियों से कहा

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को आम सहमति के आधार पर लागू करना चाहिए तथा रचनात्मकता एवं नवाचार पर जोर देते हुए नियमित एव समयबद्ध तरीके से पाठ्यक्रम को अद्यतन किया जाना चाहिए । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ डिजिटल माध्यम से बैठक में यह बात कही । इस बैठक का मुख्य विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का क्रियान्वयन, अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, खुली और ऑनलाइन शिक्षा, अकादमिक सत्र 2021-22 की शुरूआत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के शिक्षकों की बकाया रिक्तियों को भरा जाना एवं आजादी के अमृत महोत्सव है। प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि देश में उच्च शिक्षा में करीब 5 करोड़ विद्यार्थी हैं जबकि स्कूली शिक्षा के स्तर पर 26 करोड़ छात्र हैं । यह भारत में शिक्षा का एक चित्र प्रस्तुत करता है । उच्च शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों का दायित्व है कि अनुसंधान एवं विकास कार्यो को भारत की जरूरतों के हिसाब से आगे बढ़ाया जाए। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होना शुरू हो गया है । कुछ विश्वविद्यालयों ने अपनी जिम्मेदारी निभायी भी है और नयी नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम तैयार करने सहित अन्य कार्यो पर काम शुरू किया है। उन्होंने इस संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) द्वारा वर्तमान तीन साल के पाठ्यक्रम के साथ चार वर्षीय कोर्स शुरू करने के कार्य का जिक्र किया । धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा, ‘‘ उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नयी नीति को आमसहमति के आधार पर लागू करना चाहिए । इसमें रचनात्मकता एवं नवाचार पर जोर देने के साथ नियमित रूप से एवं समयबद्ध तरीके से पाठ्यक्रम को अद्यतन करना जरूरी है। ’’ उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा, ‘‘ यह तभी संभव होगा जब सभी इस दिशा में प्रयास करेंगे । आप सभी को इसे अपने तरीके से लागू करना है।’’ भारतीय भाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘ मैं अंग्रेजी भाषा का विरोधी नहीं हूं लेकिन भारतीय भाषाओं को महत्व देना होगा।’’ उन्होंने जर्मन एवं विभिन्न यूरोपीय भाषाओं, अरबी, जापानी भाषा पढ़ने के महत्व पर जोर दिया । प्रधान ने कहा कि कोई भी छात्र किसी विषय को अपनी मातृभाषा में पढ़ने पर उसे सूक्ष्मता से समझता है और उसे किसी भी भाषा में पुन: प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे में हमें मातृ भाषा को महत्व देना होगा । उन्होंने प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा जैसे विषयों पर शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि जब एमआईटी जैसे दूसरे देश में स्थित संस्थान में आतंकवाद निरोधक (काउंटर टेररिज्म) विषय पर चर्चा हो सकती है तब भारतीय संस्थानों में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। आजादी के अमृत महोत्सव का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा कि इस संबंध में शिक्षण संस्थानों की एक व्यापक रूपरेखा होनी चाहिए कि आने वाले 25 वर्ष में और साल 2047 तक देश कैसा बनना चाहिए।

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Web Title: National Education Policy should be implemented on the basis of consensus: Pradhan told Vice Chancellors

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