केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉडल किरायेदारी कानून के मसौदे को मंजूरी दी, जानिए क्या है पूरा मामला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 2, 2021 08:21 PM2021-06-02T20:21:44+5:302021-06-02T20:23:30+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अंगीकार के लिये मॉडल किरायेदारी अधिनियम के मसौदे को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसके तहत जिलों में पृथक किराया प्राधिकार, अदालत और न्यायाधिकरण का गठन किया जायेगा ताकि मालिकों एवं किरायेदारों के हितों की रक्षा की जा सके।
मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मसौदा अब राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा/वितरित किया जायेगा। इसे नया कानून बनाकर या वर्तमान किरायेदार कानून में उपयुक्त संशोधन करके लागू किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में उक्त आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
इसके तहत आवासीय परिसरों के लिये किरायेदारों को अधिकतम दो महीने के किराये के रूप में सुरक्षा जमा राशि अदा करनी होगी जबकि वाणिज्यिक सम्पत्ति के मामले में छह महीने का किराया जमा करना होगा । कानून में सभी नये किराये के संबंध में लिखित समझौता करने की बात कही गई है जिसे संबंधित जिला किराया प्राधिकार में पेश करना होगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस कदम से देश भर में आवासीय किराया संबंधी कानूनी ढांचे को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी ।
सरकार का कहना है कि मॉडल किरायेदारी अधिनियम अग्रगामी प्रभाव से लागू होगा और वर्तमान किरायेदार व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगा । किराया और अवधि का निर्धारण मालिक एवं किरायेदार की आपसी सहमति से होगा। सरकारी बयान के अनुसार, इससे देशभर में किराये पर मकान देने के संबंध में कानूनी ढांचे को दुरुस्त करने में मदद मिलेगी, जिससे आगे इस क्षेत्र के विकास का रास्ता खुलेगा।
इसमें कहा गया है कि मॉडल किरायेदारी अधिनियम का मकसद देश में एक विविधतापूर्ण, टिकाऊ और समावेशी किराये के लिये आवासीय बाजार सृजित करना है । इससे हर आय वर्ग के लोगों के लिये पर्याप्त संख्या में किराये के लिये आवासीय इकाईयों का भंडार बनाने में मदद मिलेगी और बेघर होने की समस्या का हल निकलेगा।
इससे खाली पड़े घरों को किराये पर उपलब्ध कराया जा सकेगा। सरकार को उम्मीद है कि इसके जरिये किरायेदारी बाजार को व्यापार के रूप में विकसित करने में निजी भागीदारी बढ़ेगी, ताकि रिहायशी मकानों की भारी कमी को पूरा किया जा सके। मॉडल किरायेदारी अधिनियम से आवासीय किराया व्यवस्था को संस्थागत रूप देने में मदद मिलेगी।