कोहिमा, एक जुलाई नगा स्टुडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (अफस्पा)-1958 के प्रावधानों के तहत पूरे नगालैंड को ‘‘अशांत इलाका’’ घोषित करने के फैसले की निंदा करते हुए बृहस्पतिवार को केंद्र से इस ‘विवादित कानून’ को राज्य से हमेशा के लिए हटाने की मांग की।
गृह मंत्रालय ने बुधवार को जारी अधिसूचना में कहा था कि केंद्र सरकार की राय है कि नगालैंड के तहत आने वाले सभी इलाके अशांत और खतरनाक स्थिति में है जिसकी वजह से असैन्य शक्तियों के सहयोग के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल जरूरी है। इसलिए अफस्पा अधिनियम की धारा-तीन का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार पूरे नगालैंड को 30 जून से अगले छह महीने तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करती है। यह कानून राज्य में कई दशकों से लागू है।
नगालैंड स्टुडेंट यूनियन के शीर्ष निकाय एनएसएफ ने एक बयान में कहा कि फेडरेशन राज्य में कानून व्यवस्था की पृष्ठभूमि में अमानवीय कानून की अवधि बढ़ाने के केंद्र सरकार के रुख की निंदा करता है।
एनएसएफ के अध्यक्ष केग्वेहुन तेप ने कहा कि ‘‘ राज्य को लगातार आराजक और अफरा-तफरी वाले स्थान के रूप में पेश करने की केंद्र सरकार की निरंतर कोशिश को उनका संगठन अस्वीकार करता है।’’
फेडरेशन ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह स्थिति की निष्पक्ष समीक्षा करे बजाय कि अपनी एजेंसियों की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के।
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