तवज्जो न मिलने से एनपीएफ मणिपुर में भाजपा के साथ गठबंधन की समीक्षा करेगी
By भाषा | Published: May 17, 2019 03:09 PM2019-05-17T15:09:52+5:302019-05-17T15:09:52+5:30
उल्लेखनीय है कि 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के पास चार विधायक हैं। अगर पार्टी हटती भी है तो इसक भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के 28 में से आठ विधायक पिछले साल भाजपा में शामिल हो गये थे, जिससे विधानसभा में अब उसकी संख्या 21 से बढ़कर 29 हो गयी है।
मणिपुर में भाजपा नीत गठबंधन की सहयोगी पार्टी एनपीएफ ने कहा है कि पार्टी उसके विचारों और सुझावों को तवज्जो नहीं दे रही है।
एनपीएफ ने शनिवार को इस बात पर फैसला करने के लिये अपने नेताओं की बैठक बुलायी है कि उसे गठबंधन में बने रहना है या अपना समर्थन वापस लेना है। इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा ने कहा कि उसने सरकार के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये अपने सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी हैं।
उल्लेखनीय है कि 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीएफ के पास चार विधायक हैं। अगर पार्टी हटती भी है तो इसक भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले कांग्रेस के 28 में से आठ विधायक पिछले साल भाजपा में शामिल हो गये थे, जिससे विधानसभा में अब उसकी संख्या 21 से बढ़कर 29 हो गयी है।
सत्तारूढ़ गठबंधन में अन्य पार्टियां एनपीपी (चार), लोजपा (एक), निर्दलीय (एक) और एआईटीसी (एक) शामिल हैं। नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के प्रदेश इकाई के प्रमुख अवांगबू नेवमई ने दावा किया कि भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों को तुच्छ समझती है।
इस बारे में विस्तृत जानकारी दिये बिना उन्होंने कहा, ‘‘2016 में गठबंधन सरकार के गठन के बाद से भाजपा ने कभी गठबंधन की मूल भावना का सम्मान नहीं किया। ऐसे कई मौके आये जब उनके नेताओं ने हमारे सदस्यों को गठबंधन सहयोगी मानने से इनकार किया।’’
विधानसभा में एनपीएफ के चार विधायक हैं। नेवमई ने यह भी कहा कि भगवा पार्टी ने अपने गठबंधन सहयोगियों को जो वादे किये थे उसे कभी पूरा नहीं किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘एनपीएफ ने हमेशा भाजपा को अपने बड़े भाई की तरह समझा है लेकिन यह भगवा पार्टी को हमें झांसा देने से नहीं रोक पाया। हमें उचित सम्मान नहीं मिला।’’
नेवमई के दावों को गलत बताते हुए मणिपुर में भाजपा प्रवक्ता सीएच बिजॉय ने कहा कि एनपीएफ ने गठबंधन में शामिल होने के दौरान कहा था कि उसे मंत्री पद नहीं चाहिए लेकिन अब ऐसा लगता है कि पार्टी की कई मांगें हैं। एनपीएफ के चार विधायकों में से लोशी दिखो मंत्री, जो माओ विधानसभा सीट से विधायक हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘एनपीएफ की मांगें पूरी तरह निराधार और बेबुनियाद हैं। सरकार के सुचारू कामकाज के लिये हमारे गठबंधन सहयोगियों को हरसंभव सुविधाएं दी गयी हैं।’’