नड्डा हमला प्रकरण : विधानसभा चुनावों के पहले ममता, केन्द्र के बीच तलवारें खिंचीं

By भाषा | Updated: December 11, 2020 23:29 IST2020-12-11T23:29:50+5:302020-12-11T23:29:50+5:30

Nadda attack case: Mamata and Center draw swords before assembly elections | नड्डा हमला प्रकरण : विधानसभा चुनावों के पहले ममता, केन्द्र के बीच तलवारें खिंचीं

नड्डा हमला प्रकरण : विधानसभा चुनावों के पहले ममता, केन्द्र के बीच तलवारें खिंचीं

कोलकाता/नयी दिल्ली, 11 दिसंबर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के काफिले पर भीड़ के हमले के बाद केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के दो शीर्ष अधिकारियों को दिल्ली सम्मन किया लेकिन राज्य ने इस आदेश को मानने से सिरे से इंकार कर दिया। घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केन्द्र की भाजपा नीत सरकार के बीच तलवारें खिंच गई हैं।

केन्द्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच संबंधों की डोर पहले से ही नाजुक स्थिति में है, ऐसे में नयी घटना आग में घी का काम कर रही है। केन्द्र ने काफिले पर हुए हमले पर संभवत: स्पष्टीकरण मांगने के लिए मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय और पुलिस महानिदेशक विरेन्द्र को 14 दिसंबर को नयी दिल्ली बुलाया था, लेकिन राज्य सरकार ने इससे साफ इंकार कर दिया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ लंबे समय से तू-तू-मैं-मैं में फंसे राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इसबीच राज्य प्रशासन पर सत्ताधारियों का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने ‘‘अत्यधिक परेशान करने वाली घटनाओं’’ पर केन्द्र को रिपोर्ट भेजी है।

राज्य और केन्द्र में पहले से संबंध तनावपूर्ण हैं, ऐसे में शुक्रवार को जब गृह मंत्रालय ने राज्य के दोनों अधिकारियों को केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला के समक्ष उपस्थित होने और नड्डा की सुरक्षा में सेंध लगने के संबंध में स्पष्टीकरण देने को कहा तो, इसने आग में घी का काम किया।

जिस वक्त केन्द्र का यह संदेश पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के पास पहुंचा होगा, उस वक्त धनखड़ राजभवन में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि बृहस्पतिवार को हुई घटना लोकतंत्र के अनुकूल नहीं है।

राजभवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राज्यपाल ने कहा, ‘‘स्थिति की भयावहता को देखते हुए मैंने अपने संवैधानिक कर्तव्य के तहत बहुत ही परेशान करने वाली गतिविधियों की रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है जो लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं हैं, वे कानून के राज के खिलाफ हैं, यह संवैधानिक मापदंडों के खात्मे का संकेत करता है।’’

उन्होंने कहा कि वह यहां रिपोर्ट की विषयवस्तु को साझा नहीं करना चाहते हैं।

राज्यपाल की टिप्पणी पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें भाजपा की जुबान बोलने वाला करार दिया।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने सवांददाताओं से कहा, ‘‘राज्यपाल ने रोजाना प्रेस से बात करने की आदत बना ली है। हम उनके बयान पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि वह भाजपा की जुबान बोल रहे हैं।’’

तृणमूल कांग्रेस सांसद द्वारा राज्यपाल की यह आलोचना संकेत है कि राज्य में अगले साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी और मोदी सरकार की भिड़ंत में चीजें और मुश्किल होंगी।

इसके कुछ ही मिनट बाद मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें 14 दिसंबर को राज्य के अधिकारियों की मौजूदगी के बिना बैठक करने का अनुरोध करने का निर्देश दिया गया है। इस पत्र के जरिए उन्होंने परोक्ष तौर पर संकेत दिया कि वह महज राज्य सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।

बंदोपाध्याय ने अपने पत्र में लिखा है, ‘‘पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को जेड-श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के संबंध में घटनाओं समेत राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए 14 दिसंबर को दिन में सवा 12 बजे आपके (भल्ला के) कक्ष में बुलाया गया था।’’

उन्होंने दो पन्ने के अपने पत्र में कहा है, ‘‘राज्य सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगायी जा रही है और यह तैयार की जा रही है, ऐसी परिस्थिति में मुझे आपसे यह अनुरोध करने का निर्देश दिया गया है कि कि राज्य के अधिकारियों की मौजूदगी के बिना बैठक करें।’’

संवाददाता सम्मेलन में ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘‘राज्यपाल अपनी शपथ का अनुपालन करेंगे चाहे कुछ भी हो।’’

उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन हुयी। राज्यपाल ने कहा, ‘‘जवाबदेही तय की जाएगी।’’ उन्होंने ममता बनर्जी को चेताया कि वह आग से ना खेलें।

नड्डा अपने काफिले के साथ जनसभा को संबोधित करने के लिए डायमंड हार्बर जा रहे थे उसी दौरान सिराकोल में तृणमूल कांग्रेस का झंडा पकड़े प्रदर्शनकारियों ने उनपर पत्थराव किया जिसमें कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और भाजपा नेता तथा कार्यकर्ता घायल हो गए।

उन्होंने रेखांकित किया कि भारतीय नागरिक को बाहरी कहना संविधान पर हमला है। धनखड़ ने कहा, ‘‘ यह किसी के द्वारा स्वीकार करना खतरनाक होगा जो भारतीय संविधान और कानून के राज में विश्वास करता है।’’

उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कई मौकों पर कहा कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में बाहरी लोगों को ला रही है।

उन्होंने दावा किया कि था भाजपा बाहर से कथित गुंडों को लाकर पश्चिम बंगाल के गांवों में भेज रही है। ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार के यहां आयोजित किसान विरोध रैली में कहा कि वे उन्हें चुनौती दें और प्राथमिकी दर्ज कराएं।

राज्यपाल ने कहा, ‘‘अगर आप संविधान के रास्ते से विमुख होंगे तो मेरी जिम्मेदारी शुरू हो जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हर बीतते दिन के साथ राज्य में कानून व्यवस्था खराब हो रही है। मुख्यमंत्री और प्रशासन को अगाह करने के बावजूद कुछ नहीं हो रहा है।’’

धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री का राजभवन के प्रति ‘‘गैर उत्तरदायी’’ रवैया इंगित करता है कि संविधान के अनुसार शासन नहीं चल रहा है।

उन्होंने कहा ‘‘ विधि के शासन से प्रशासन की दूरी लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है। धनखड़ ने कहा कि असंवैधानिक मापदंड खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं और इससे मेरे लिए यह निष्कर्ष निकालना कठिन है कि राज्य में शासन संविधान के तहत चल रहा है।’’

भाजपा अध्यक्ष नड्डा के काफिले पर हमले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और लोकतंत्र पर धब्बा’’ करार देते हुए राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने वालों को पुलिस और प्रशासन से संरक्षण प्राप्त है।

उन्होंने कहा, ‘‘ पश्चिम बंगाल में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य यह है कि किसी भी विपक्ष (विरोध) को बेरहमी से दबा दिया जाता है...कल मानवाधिकार को तिलांजलि दे दी गई।’’

नड्डा के काफिले पर हुए हमले पर ममता बनर्जी की टिप्पणी को बेहद दुर्भाग्यपूण करार देते हुए राज्यपाल ने कहा, ‘‘ मैंने माननीय मुख्यमंत्री के बयान को गंभीरता से लिया है। किस तरह से एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री, कानून के राज ...संविधान में विश्वास करने वाला, बंगाली संस्कृति पर भरोसा करने वाला ऐसा कह सकता है जैसा उन्होंने कहा।’’

धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री को नड्डा पर हुए हमले के संदर्भ में दिए अपने बयान और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष पर की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

बनर्जी ने बृहस्पतिवार को भाजपा अध्यक्ष के काफिले पर हुए हमले को उनकी रैली में भीड़ नहीं जुटने पर ध्यान भटकाने के लिए किया गया नाटक करार दिया था और सवाल किया था कि क्या हमला दुष्प्रचार के लिए ‘पूर्वनियोजित’ था। बनर्जी ने बृहस्पतिवार को भाजपा अध्यक्ष के उपनाम का भी मखौल उड़ाया था।

धनखड़ ने कहा कि हमला उनके द्वारा राज्य के दोनों शीर्ष अधिकारियों को नड्डा की रैली के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताने के बावजूद हुआ।

जब कल्याण बनर्जी से धनखड़ द्वारा पूर्व में ही आगाह करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राज्यपाल के सूत्र भाजपा से हैं जिन्होंने यह स्थिति पैदा की।

बंदोपाध्याय ने अपने पत्र में कहा है कि 10 दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव के अनुरोध के मद्देनजर राज्य सरकार ने सुरक्षा प्राप्त व्यक्तियों के लिए पर्याप्त इंतजाम किया था।

उन्होंने लिखा है, ‘‘जेड-श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त लोगों के संबंध में हुई घटनाओं की हम पड़ताल कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस ने जे पी नड्डा को एक बुलेटप्रूफ कार और एक पायलट वाहन मुहैया कराया था। इसके अलावा जेड श्रेणी की सुरक्षा हासिल होने के कारण उनके साथ एक एस्कार्ट (राज्य का वाहन, सीआरपीएफ के कर्मी) और पीएसओ (सीआरपीएफ) भी थे।

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Web Title: Nadda attack case: Mamata and Center draw swords before assembly elections

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