मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लगाई फटकार, जांच के लिए IPS अधिकारी नियुक्त करने का आदेश
By अंजली चौहान | Published: September 25, 2023 03:03 PM2023-09-25T15:03:59+5:302023-09-25T15:15:04+5:30
मुजफ्फरनगर बच्चे को थप्पड़ मारने का मामला: अदालत ने कहा कि राज्य बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद नहीं कर सकता।
नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक स्कूल से हैरान करने वाला वीडियो सामने आने के बाद मामले ने तूल पकड़ा तो सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यह घटना उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता है। राज्य की जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चों को शिक्षा प्रदान कराए लेकिन अगर आरोप सही हैं तो इससे राज्य की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने की। न्यायाधीशों की पीठ ने घटना को ''गंभीर'' बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को मामले की जांच के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अगर किसी छात्र को केवल इस आधार पर दंडित करने की मांग की जाती है कि वह एक विशेष समुदाय से है तो कोई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने उत्तर प्रदेश को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पीड़ित को एक पेशेवर परामर्शदाता द्वारा उचित परामर्श प्रदान किया जाए और उन छात्रों को भी, जिन्हें घटना में भाग लेने के लिए निर्देशित किया गया था। अदालत ने कहा कि राज्य बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद नहीं कर सकता।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया शिक्षा का अधिकार जाति, पंथ या लिंग का आधार अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने में उत्तर प्रदेश सरकार की विफलता का मामला है जो 14 साल तक के बच्चों को बिना किसी भेदभाव के गुणवत्तापूर्ण, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने से संबंधित है।
पीठ ने घटना को ''गंभीर'' बताते हुए राज्य सरकार से राज्य भर के स्कूलों में आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा।
बता दें कि महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी दायर की गई याचिका मामले में कोर्ट ने सुनवाई की और इस याचिका में जल्द जांच की मांग की गई है।