मुंबई के बोर्डिंग स्कूल में 95 में से 22 छात्र कोरोना पॉजिटिव, बीएमसी ने किया सील, सभी की तबीयत स्थिर, खतरे से बाहर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 26, 2021 08:10 PM2021-08-26T20:10:18+5:302021-08-26T20:11:10+5:30

12 साल से कम उम्र के चार छात्रों को नगर निगम द्वारा संचालित नायर अस्पताल के बाल रोग वार्ड में भर्ती कराया गया है।

Mumbai's boarding school 22 out of 95 students corona positive BMC sealed everyone's health stable out of danger | मुंबई के बोर्डिंग स्कूल में 95 में से 22 छात्र कोरोना पॉजिटिव, बीएमसी ने किया सील, सभी की तबीयत स्थिर, खतरे से बाहर

छात्रों में कोविड-19 जैसे लक्षण पाए जाने के बाद 24 अगस्त को उनकी आरटी-पीसीआर जांच कराई थी।

Highlightsसभी की तबीयत स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं। कोई भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं है।शेष छात्रों में से 12 की आयु 12 से 18 साल के बीच है।

मुंबईः दक्षिण मुंबई के एक बोर्डिंग स्कूल के 22 छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से चार की आयु 12 वर्ष से कम है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

 

उन्होंने कहा, ''सभी की तबीयत स्थिर है और वे खतरे से बाहर हैं। उनमें से कोई भी ऑक्सीजन सपोर्ट पर नहीं है।'' उन्होंने कहा कि 12 साल से कम उम्र के चार छात्रों को नगर निगम द्वारा संचालित नायर अस्पताल के बाल रोग वार्ड में भर्ती कराया गया है।

अधिकारी ने कहा कि शेष छात्रों में से 12 की आयु 12 से 18 साल के बीच है। जबकि छह छात्रों की उम्र 18 साल से अधिक है। उन सभी को रिचर्डसन एंड क्रूडस कंपनी के परिसर में कोविड देखभाल केंद्र में भर्ती कराया गया है।

उन्होंने कहा कि बीएमसी ने डोंगरी इलाके में स्थित स्कूल के कुछ छात्रों में कोविड-19 जैसे लक्षण पाए जाने के बाद 24 अगस्त को उनकी आरटी-पीसीआर जांच कराई थी। कुल 95 में से 22 छात्र कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। एक और अधिकारी ने कहा, ‘’स्कूल के भवन को अब सील कर दिया गया है।’

कोविड-19 से पिता खोने वाले बच्चों फीस में छूट के लिये स्कूल का रुख करें: दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल कोविड-19 के चलते अपने पिता को खोने वाले नाबालिग भाई-बहन को फीस के भुगतान में किसी भी तरह की रियायत या माफी के लिये स्कूल का रुख करने का निर्देश दिया और कहा कि वह दिल्ली सरकार को निजी स्कूल की फीस भरने के लिये अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकता। बच्चों के परिवार में उनके पिता अकेले कमाने वाले थे। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ''मैं समझ सकती हूं (लेकिन) दिल्ली सरकार एक निजी स्कूल की फीस का भुगतान नहीं कर सकती। वे एक व्यकि के लिए ऐसा नहीं कर सकते।''

न्यायाधीश ने कहा कि सरकार दोनों बच्चों को अपने स्कूलों में मुफ्त शिक्षा प्रदान कर सकती है। बच्चों की ओर से पेश अधिवक्ता भरत मल्होत्रा ​​ने कहा कि बच्चों की मां गंभीर वित्तीय तनाव का सामना कर रही है और चूंकि सरकार ने पहले घोषणा की थी कि ऐसे बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाएगी। ऐसे में या तो शुल्क का भुगतान सीधे अधिकारियों द्वारा किया जाना चाहिए या इसकी प्रतिपूर्ति होनी चाहिये।

उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि दिल्ली सरकार ने 19 अगस्त को एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया था कि जो बच्चे अनाथ हो गए हैं या जिनके माता-पिता में से किसी की कोविड-19 के कारण मौत हो गई, उन्हें स्कूलों में अपनी शिक्षा जारी रखने में सक्षम बनाया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार के वकील अनुज अग्रवाल के इस बयान पर विचार करते हुए कि सर्कुलर केवल एक सप्ताह पहले जारी किया गया था, याचिकाकर्ताओं को अपने स्कूल जाने के लिए कहा।

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