अमरनाथ यात्रा: अब तक 2.5 लाख से ज्यादा ने करवाया पंजीकरण, 8 लाख के आने की उम्मीद, इस बार की यात्रा को सबसे बड़ा बनाने में जुटा प्रशासन
By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 16, 2022 01:56 PM2022-06-16T13:56:56+5:302022-06-16T13:58:28+5:30
इस बार की यात्रा को सबसे बड़ी यात्रा बनाने की कवायद में सुरक्षा के इंतजाम भी बेहद जरूरी है। सुरक्षाधिकारियों को आशंका है कि दो साल स्थगित रहने के बाद इस बार होने जा रही अमरनाथ यात्रा में आतंकी बाधा पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।
जम्मू: अमरनाथ यात्रा में हिस्सा लेने के लिए इस बार अभी तक ढ़ाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पंजीकरण करा लिया है। ये पंजीकरण ऑनलाइन व देशभर में फैली बैंकों की 450 शाखाओं के सहारे किए जा रहे हैं। प्रशासन इस बार 6 से 8 लाख श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने का न्योता देते हुए इस बार की अमरनाथ यात्रा को जम्मू कश्मीर के इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने में जुटा हुआ है।
अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का मानना है इतनी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्याप्क स्तर पर प्रबंध भी जरूरी हैं। यही कारण है शिवभक्तों के प्रदेश में आने से पहले ही प्रशासन तैयारी में पहले से जुट चुका था।
प्रदेश के प्रवेशद्वार लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक दोनों मार्गों के अतिरिक्त अब श्रीनगर से गुफा तक की हेलीकाप्टर की सीधी उड़ान को कामयाब बनाने की खातिर प्रशासन ने पूरी ताकत और पूरा अमला झौंक दिया है। टेंटों की बस्तियों के साथ साथ श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्थाएं अंतिम चरण में हैं। यात्रा का पहला आधिकारिक जत्था इस महीने की 30 तारीख को जम्मू से रवाना होना है।
इस बार की यात्रा को सबसे बड़ी यात्रा बनाने की कवायद में सुरक्षा के इंतजाम भी बेहद जरूरी है। सुरक्षाधिकारियों को आशंका है कि दो साल स्थगित रहने के बाद इस बार होने जा रही अमरनाथ यात्रा पर ड्रोन के साथ साथ स्टिकी बमों का खतरा मंडरा रहा है तो हाइब्रिड आतंकी भी परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह के अनुसार उनके जवान किसी भी खतरे से निपटने को तैयार हैं तो वहीं सेना के अधिकारियों के अनुसार अमरनाथ यात्रा को सबसे बड़रा खतरा स्टिकी बमों से है। वहीं खुफिया विभाग के अधिकारियों के अनुसार आईएस टाइप वोल्फ हमले भी आतंकियों द्वारा अमरनाथ श्रद्धालुओं को नुक्सान पहुंचाने के लिए किए जा सकते हैं।
इन धमकियों और चेतावनियों के खतरे के बावजूद यात्रा में शामिल होने की इच्छा रखने वालों के चेहरों पर डर या शिकन नहीं दिखती। सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जा रहे हैं। यात्रा शुरू होने से पहले जम्मू पहुंच रहे साधु संत भी धमकियों के जवाब में सिर्फ बम बम बोले का उद्घोष कर रहे हैं।