लाइव न्यूज़ :

पीएम मोदी को 200 से ज्यादा अकादमिक विद्वानों ने लिखा पत्र, बिगड़ते शैक्षणिक माहौल के लिए लेफ्ट विंग को ठहराया जिम्मेदार

By भाषा | Updated: January 12, 2020 19:31 IST

जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर यादवपुर (विश्वविद्यालय) तक परिसरों में हुई हालिया घटनाएं हमें वामपथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति चौकन्ना करती हैं।’’

Open in App
ठळक मुद्दे208 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा पत्रलेफ्ट विंग पर शिक्षण माहौल खराब करने का आरोप

विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित 200 से अधिक शिक्षाविदों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए ‘वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह’ को जिम्मेदार ठहराया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि छात्र राजनीति के नाम पर एक विध्वंसकारी धुर वाम एजेंडा को आगे बढ़ाया जा रहा है।

जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर यादवपुर (विश्वविद्यालय) तक परिसरों में हुई हालिया घटनाएं हमें वामपथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति चौकन्ना करती हैं।’’

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति आर पी तिवारी, दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एचसीएस राठौर और सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति शिरीष कुलकर्णी सहित अन्य शामिल हैं। इसे ‘शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथी अराजकता के खिलाफ बयान’ शीर्षक दिया गया है। दो सौ आठ शिक्षाविदों के इस बयान को अकादमिक जगत में समर्थन जुटाने का शासन का प्रयास माना जा रहा है।

दरअसल, संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में हुए हालिया हमले सहित कई मुद्दों को लेकर कुछ विश्वविद्यालयों में हुए प्रदर्शनों को लेकर विद्वानों के एक हिस्से द्वारा सरकार आलोचना का सामना कर रही है। वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले समूहों को आड़े हाथ लेते हुए बयान में कहा गया है कि वामपंथी राजनीति द्वारा थोपे गए सेंसरशिप के चलते जन संवाद आयोजित करना या स्वतंत्र रूप से बोलना मुश्किल हो गया है।

मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है कि वाम के गढ़ों में हड़ताल, धरना और बंद आम बात हो गई है तथा वाम विचारधारा के अनुरूप नहीं होने पर लोगों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना, सार्वजनिक छींटाकशी और प्रताड़ना बढ़ रही है। बयान में कहा गया है कि इस तरह की राजनीति से सबसे बुरी तरह से गरीब छात्र और हाशिये पर मौजूद समुदायों के छात्र प्रभावित हो रहे हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘ये छात्र सीखने और अपने लिए बेहतर भविष्य बनाने का अवसर खो देंगे। वे अपने विचारों को प्रकट करने और वैकल्पिक राजनीति की स्वतंत्रता खो देंगे। वे खुद को बहुसंख्यक वाम राजनीति के अनुरूप करने के प्रति सीमित पाएंगे। हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों से एकजुट होने और अकादमिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा विचारों की बहुलता के लिए खड़े होने की अपील करते हैं।’’ 

टॅग्स :नरेंद्र मोदीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)नागरिकता संशोधन कानून
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

कारोबारIndiGo Crisis: 7 दिसंबर रात 8 बजे तक सभी यात्रियों को तत्काल पैसा वापस करो?, मोदी सरकार ने दिया आदेश, छूटे हुए सभी सामान अगले 48 घंटों के भीतर पहुंचाओ

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतModi-Putin Talks: यूक्रेन के संकट पर बोले पीएम मोदी, बोले- भारत न्यूट्रल नहीं है...

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत