स्मृति ईरानी, रामदास अठावले, अर्जुन मुंडा, डॉक्टर हर्षवर्द्धन व रविशंकर प्रसाद ने पदभार संभाला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 3, 2019 20:21 IST2019-06-03T20:21:39+5:302019-06-03T20:21:39+5:30
साइकिल से निर्माण भवन स्थित अपने कार्यालय पहुंचे हर्षवर्द्धन ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के क्रियान्वयन को मजबूत करने की होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि देश के किसी भी कोने में रहने वाले व्यक्ति को इस योजना का लाभ मिले।

ईरानी ने उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को शिकस्त दी है।
स्मृति ईरानी ने सोमवार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री देबश्री चौधरी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने ईरानी का स्वागत किया। पदभार संभालने के कुछ देर बाद ही ईरानी ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
Delhi: Union Minister Smriti Irani takes charge as the Minister of Women and Child Development. pic.twitter.com/CQ9jiMi5ym
— ANI (@ANI) June 3, 2019
अमेठी से सांसद ईरानी के पास कपड़ा मंत्रालय का प्रभार भी बरकरार है, जो उनके पास नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी था। उन्होंने शनिवार को पूर्व महिला एवं विकास मंत्री मेनका गांधी से मुलाकात की थी और मंत्रालय में महत्वपूर्ण मुद्दों तथा उनसे निपटने के तरीके पर चर्चा की। ईरानी ने उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी को शिकस्त दी है।
अर्द्ध घुमंतू जनजातियों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की वकालत की
भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के सुप्रीमो रामदास अठावले ने सोमवार को दूसरे कार्यकाल के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री का कार्यभार ग्रहण किया और गैर अधिसूचित घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जनजातियों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की वकालत की।
अठावले ने कहा कि यह समुदाय पिछले कुछ समय से आरक्षण की मांग करता आ रहा है और इस मुद्दे पर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत करेंगे। उन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण बढ़ाने का सुझाव देते हुए कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के सरकार के कदम ने कुल आरक्षण को 60 प्रतिशत कर दिया है।
इससे इस बात को बल मिलता है कि संसद के पास आरक्षण की सीमा को और बढ़ाने की शक्ति है। अठावले ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा तय किये जाने के बावजूद संसद ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया। इससे पता चलता है कि संसद के पास आरक्षण की सीमा बढ़ाने की शक्ति है।’’
आरपीआई प्रमुख ने यह भी कहा कि उनका मंत्रालय डॉ अंबेडकर चिकित्सा सहायता योजना, अंतर-जातीय विवाह के जरिये डॉ अंबेडकर सामाजिक एकीकरण योजना, प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक योजनायें और अनुसूचित जातियों के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना के लिए धन बढ़ाने पर विचार करेगा।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुंडा का स्वागत किया
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रमुख आदिवासी चेहरों में से एक अर्जुन मुंडा ने सोमवार को आदिवासी मामलों के मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुंडा का स्वागत किया।
बाद में मंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक की जिन्होंने उन्हें मुद्दों से अवगत कराया । मुंडा झारखंड में खूंटी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं । मुंडा ने जुएल ओराम से कार्यभार लिया जो ओडिशा में सुंदरगढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। छत्तीसगढ़ में सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद रेणुका सिंह सरूता ने मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद भार संभाला।
सरूता रमन सिंह सरकार में 2003 से 2005 तक प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रह चुकी हैं।
पहली प्राथमिकता आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के क्रियान्वयन को मजबूत करने की होगी
डॉक्टर हर्षवर्द्धन ने सोमवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में पदभार संभाल लिया। वर्ष 2014 में भी उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन बाद में मंत्रालय जगत प्रकाश नड्डा को सौंप दिया गया था। साइकिल से निर्माण भवन स्थित अपने कार्यालय पहुंचे हर्षवर्द्धन ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के क्रियान्वयन को मजबूत करने की होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि देश के किसी भी कोने में रहने वाले व्यक्ति को इस योजना का लाभ मिले।
उन्होंने कहा, ‘‘पीएम-जेएवाई की शुरुआत से अभी तक 27 लाख लोगों ने इस योजना का लाभ लिया है। लेकिन अभी तक बहुत लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।’’
दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुखों के साथ विस्तृत चर्चा भी की
Delhi: Union Minister Ravi Shankar Prasad takes charge as the Minister of Communications. pic.twitter.com/jLzKtaGncK
— ANI (@ANI) June 3, 2019
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पटना साहिब से लोकसभा सदस्य निर्वाचित रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को दूरसंचार मंत्री का पदभार ग्रहण कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं दूरसंचार क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के प्रमुखों के साथ विस्तृत चर्चा भी की।
भाजपा सांसद संजय धोत्रे ने भी संचार राज्य मंत्री का पदभार ग्रहण किया। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में दूरसंचार मंत्रालय की जिम्मेदारी भी मिलने से प्रसाद का कद और बढ़ गया है। उनके पास पहले से कानून एवं सूचना-प्रौद्योगिकी जैसे भारी-भरकम मंत्रालय हैं।
दूरसंचार क्षेत्र वित्तीय दबाव की स्थिति से गुजर रहा है लेकिन साथ ही उसके सामने दुनिया के अन्य देशों के साथ 5जी सेवाओं को लागू करन की चुनौती भी है। ऐसे में प्रसाद की शीर्ष प्राथमिकता दूरसंचार क्षेत्र को वापस वृद्धि के मार्ग पर ले जाने की होगी। चार बार राज्यसभा सदस्य रहे, रविशंकर प्रसाद ने इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार की अग्रणी योजनाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इनमें डिजिटल इंडिया प्रमुख रही है। इसके साथ ही देश में इलेक्ट्रानिक्स और मोबाइल विनिर्माण को गति देने में भी उन्होंने कई पहल की हैं।
न्यायिक नियुक्ति: विधि मंत्रालय की भूमिका महज खानापूर्ति की नहीं, बल्कि एक हिस्सेदार की : प्रसाद
केंद्रीय कानून मंत्री के रूप में सोमवार को कामकाज संभालने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न तो वह और न ही उनका मंत्रालय न्यायिक नियुक्तियों पर खानापूर्ति की भूमिका निभाएंगे और वह न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज करने के लिए उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के साथ परामर्श में एक पक्ष की तरह काम करेंगे।
प्रसाद ने कहा कि सरकार निचली अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा गठित करने के लिए सभी पक्षों के साथ बातचीत तेज करना चाहती है। पदभार संभालने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में प्रसाद ने कहा, ‘‘कानून मंत्री और कानून मंत्रालय एक पक्ष हैं।
जाहिर तौर पर कॉलेजियम प्रणाली को उचित सम्मान दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अपना पक्ष रखेंगे और नियुक्तियों को तेज करने के लिए उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के साथ बातचीत में पक्ष बने रहेंगे।’’ मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में कई बार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों को विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए लौटा दिया था। सरकार कहती रही है कि कानून मंत्रालय केवल खानापूर्ति की भूमिका में नहीं है, जो महज फाइलों को स्वीकार करता रहेगा।
प्रसाद का आज का बयान सरकार की इस नीति को दोहराता है। देशभर की जिला और अन्य निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 5000 से अधिक पद खाली हैं। इसके मद्देनजर नवनियुक्त कानून मंत्री ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि न्यायपालिका में अच्छे लोग आएं। चयन प्रक्रिया योग्यता के आधार पर होनी चाहिए। समाज के वंचित तबके को योग्यता के आधार पर इसमें प्रवेश मिलना चाहिए।’’ सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा राज्यों के अधिकारों का हनन नहीं करेगी। निचली अदालतों में न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति की जिम्मेदारी संबंधित उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों की है।