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कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, तीन तलाक प्रथा पर सरकार संसद में फिर से विधेयक लाएगी

By भाषा | Updated: June 3, 2019 16:11 IST

प्रसाद ने कहा, ‘‘बिल्कुल। फौरी तीन तलाक (का मुद्दा) हमारे (भाजपा) घोषणापत्र का हिस्सा है। क्यों नहीं ?’’ समान नागरिक संहिता को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीतिक विचार-विमर्श करेगी।

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ठळक मुद्देमुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में फौरी तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाया गया था। लोकसभा से पारित और राज्यसभा में लंबित विधेयक की मियाद समाप्त हो जाती है।

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि फौरी तीन तलाक की प्रथा पर पाबंदी लगाने के लिए सरकार संसद में फिर से विधेयक लाएगी।

पिछले महीने 16 वीं लोकसभा के भंग होने के साथ फौरी तीन तलाक पर पाबंदी लगाने वाले विवादित विधेयक की मियाद समाप्त हो गई क्योंकि यह संसद में पारित नहीं हुआ और राज्यसभा में लंबित रह गया। राज्यसभा में पेश किया गया और लंबित विधेयक लोकसभा के भंग होने के साथ समाप्त नहीं होता।

हालांकि, लोकसभा से पारित और राज्यसभा में लंबित विधेयक की मियाद समाप्त हो जाती है। विपक्ष राज्यसभा में विधेयक के प्रावधानों का विरोध कर रहा था, जहां पर सरकार के पास इसे पारित कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं थी।

यह पूछे जाने पर कि क्या फौरी तीन तलाक पर विधेयक को फिर से लाया जाएगा, इस पर प्रसाद ने कहा, ‘‘बिल्कुल। फौरी तीन तलाक (का मुद्दा) हमारे (भाजपा) घोषणापत्र का हिस्सा है। क्यों नहीं ?’’ समान नागरिक संहिता को लेकर एक सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर राजनीतिक विचार-विमर्श करेगी।

वह इस मुद्दे पर विधि आयोग की रिपोर्ट पर भी गौर करेगी। पिछले साल 31 मई को विधि आयोग ने मुद्दे पर संपूर्ण रिपोर्ट जारी करने की बजाए जारी परामर्श पत्र में कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता की ‘न तो जरूरत है और ना ही वांछित’ है।

आयोग ने विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता तथा महिलाओं और पुरुषों की विवाह योग्य आयु से संबंधित कानूनों में बदलाव के सुझाव दिए थे। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक में फौरी तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाया गया था। विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया था। 

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