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जम्मू कश्मीर पर गृहमंत्री अमित शाह की बैठक, परिसीमन और अमरनाथ पर चर्चा, जल्द करेंगे दौरा

By भाषा | Updated: June 4, 2019 20:35 IST

अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गृह मंत्री को इस संवेदनशील राज्य की जमीनी स्थिति से अवगत कराया गया। जम्मू कश्मीर बीते तीन दशकों से आतंकवाद की चपेट में है और वहां शांति कायम रखने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई है।

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ठळक मुद्देगृहमंत्री अमित शाह को मंगलवार को जम्मू कश्मीर की स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया गया।भाजपा राज्य विधानसभा में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा सीटों के लिए परिसीमन अभियान चलाने के लिए प्रयासरत है।

गृहमंत्री अमित शाह को मंगलवार को जम्मू कश्मीर की स्थिति का विस्तृत ब्योरा दिया गया। भाजपा राज्य विधानसभा में जम्मू क्षेत्र से ज्यादा सीटों के लिए परिसीमन अभियान चलाने के लिए प्रयासरत है।

अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। गृह मंत्री को इस संवेदनशील राज्य की जमीनी स्थिति से अवगत कराया गया। जम्मू कश्मीर बीते तीन दशकों से आतंकवाद की चपेट में है और वहां शांति कायम रखने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई है।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि शाह को सालाना अमरनाथ यात्रा के लिए किये जा रहे सुरक्षा इंतजाम के बारे में जानकारी दी गई। यह यात्रा एक जुलाई से शुरू होनी है। उन्होंने कहा कि शाह जल्द ही इस राज्य का दौरा कर सकते हैं।

केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा और गृह मंत्रालय में कश्मीर संभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस दौरान मौजूद रहे। सत्तारूढ़ भाजपा का जम्मू कश्मीर पर विशेष ध्यान केन्द्रित रहा है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि सत्ता में आने पर, वह जम्मू कश्मीर को विशेष शक्ति देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने तथा इस राज्य के लोगों को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 35 ए को खत्म करने के लिए काम करेगी।

भाजपा जम्मू कश्मीर की सीटों के लंबे वक्त से अटके परिसीमन को फिर से तैयार करने की मजबूती से वकालत करती रही है। संभावना है कि केन्द्र की नई सरकार विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन तथा अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों की संख्या तय करने के लिए परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है।

जम्मू कश्मीर के परिसीमन की मांग भाजपा ने पहली बार 2008 में अमरनाथ भूमि विवाद के समय उठाई थी। माना जाता है कि भाजपा की इस मांग का उद्देश्य जम्मू संभाग के साथ कथित असमानता तथा क्षेत्रीय विषमता को ठीक करना तथा राज्य विधानसभा में सभी आरक्षित श्रेणियों को प्रतिनिधित्व देना है।

कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, संविधान में संशोधन को राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा निरस्त किया जा सकता है लेकिन इसके लिए इस तरह का अध्यादेश जारी करने के बाद छह महीने के भीतर संसद की सहमति की जरूरत होगी। जम्मू कश्मीर में भाजपा राज्य के पुनर्गठन का मुद्दा इसलिए उठा रही है ताकि जम्मू को 87 सदस्यीय राज्य विधानसभा में पहले से ज्यादा संख्या में सीटें मिलें। फिलहाल, कश्मीर क्षेत्र में 46, जम्मू क्षेत्र में 37 और लद्दाख में चार सीटें हैं। 

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