एमजे अकबर मानहानि मामलाः पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आरोप तय, अगली सुनाई चार मई को
By रामदीप मिश्रा | Published: April 10, 2019 11:13 AM2019-04-10T11:13:12+5:302019-04-10T11:32:16+5:30
#Metoo अभियान के दौरान प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने तकरीबन 20 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था। इन आरोपों का अकबर ने खंडन किया था।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर मानहानि के मामले में बुधवार (10 अप्रैल) को दिल्ली की कोर्ट ने सुनवाई की। इस दौरान पत्रकार प्रिया रमानी ने खुद को निर्दोष होने का दावा किया है और कहा है कि वह सुनवाई का सामना करेंगी। वहीं, दिल्ली की अदालत ने उनके खिलाफ मानहानि के आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख चार मई-2019 तय की है।
आपको बता दे कि इस मानहानि मामले में कोर्ट ने 25 फरवरी को सुनवाई करते हुए पत्रकार प्रिया रमानी को जमानत दे दी थी और सुनवाई के लिए अगली तारीख 10 अप्रैल तय की थी।
Journalist Priya Ramani has pleaded not guilty and claimed trail as a Delhi court frames defamation charge against her in a case filed by former Union minister MJ Akbar. Next date of hearing is May 4. pic.twitter.com/5Ps4LTZphB
— ANI (@ANI) April 10, 2019
इससे पहले की सुनवाई में कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को एक आरोपी के तौर पर तलब किया था, जिसके बाद 25 फरवरी को प्रिया रमानी कोर्ट में पेश हुईं थी। मी टू अभियान के दौरान प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। रमानी ने आरोप लगाया था कि अकबर ने तकरीबन 20 साल पहले उनका यौन उत्पीड़न किया था। इन आरोपों का अकबर ने खंडन किया था।
कई महिलाओं ने लगाए थे यौन शोषण के आरोप
मीटू अभियान के तहत एमजे अकबर पर पत्रकार प्रिया रमानी के अलावा यूके बेस्ड पत्रकार रुथ डेविड, यूएस बेस्ड पत्रकार डीपी कांप , सबा नकवी, संपादक गज़ाला वहाब, सुतापा पॉल, शुमा राहा, फ्रीलांस जर्नलिस्ट कनिका गहलोत, प्रेरणा सिंह बिंद्रा, कादंबरी वेड, सुपर्णा शर्मा सहित तकरीबन 20 महिलाओं ने अकबर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।
इस्तीफे की उठी थी मांग
इन आरोपों के बाद विपक्षी पार्टियों ने अकबर से इस्तीफे की मांग की थी। कांग्रेस का कहना था कि मोदी कैबिनेट को अकबर को अपने पद ने हटा देना चाहिए। कई शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों ने भी तत्काल अकबर के इस्तीफे का स्वागत किया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।