मिर्चपुर दलित हत्या कांड: निचली अदालत का हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, 33 लोग दोषी करार, 12 को हुई उम्रकैद

By भाषा | Updated: August 24, 2018 17:45 IST2018-08-24T17:45:47+5:302018-08-24T17:45:47+5:30

हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में अप्रैल 2010 में जाट समुदाय के सदस्यों ने 60 वर्षीय एक बजुर्ग दलित एवं उनकी दिव्यांग बेटी को जिंदा जला दिया था।

Mirchpur dalit killing: Delhi HC finds 20 accused who were earlier acquitted guilty | मिर्चपुर दलित हत्या कांड: निचली अदालत का हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, 33 लोग दोषी करार, 12 को हुई उम्रकैद

मिर्चपुर दलित हत्या कांड: निचली अदालत का हाईकोर्ट ने पलटा फैसला, 33 लोग दोषी करार, 12 को हुई उम्रकैद

नई दिल्ली, 24 अगस्तः दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में मिर्चपुर दलित हत्याकांड में 20 व्यक्तियों को बरी करने का निचली अदालत का फैसला शुक्रवार को पलट पलट दिया। अदालत ने माना कि आजादी के 71 साल बाद भी अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं कम नहीं हुई हैं। उच्च न्यायालय ने इस मामले में कुछ दोषियों की सजा बढ़ाते हुए उन 13 व्यक्तियों की दोषसिद्धि को भी बरकरार रखा, जिन्हें निचली अदालत ने मामले में दोषी ठहराया था।

हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में अप्रैल 2010 में जाट समुदाय के सदस्यों ने 60 वर्षीय एक बजुर्ग दलित एवं उनकी दिव्यांग बेटी को जिंदा जला दिया था। अदालत ने फैसले में 33 दोषियों में से 12 को आईपीसी के तहत हत्या और अजा/अजजा (अत्याचार रोकथाम) कानून के तहत अजा/अजजा से इतर समुदाय के एक सदस्य द्वारा आग या विस्फोटक सामग्री से हानि पहुंचाने, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदाय के किसी सदस्य की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अपराधों के लिये उम्रकैद की सजा सुनायी।

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि आजादी के 71 साल बाद भी दबंग जातियों से संबद्ध लोगों द्वारा अनुसूचित जाति से संबंधित लोगों के खिलाफ अत्याचार की घटनाओं में कमी के कोई संकेत नहीं दिखते हैं।

पीठ ने अपने 209 पृष्ठ के फैसले में कहा, ‘‘19 एवं 21 अप्रैल 2010 के बीच मिर्चपुर में हुई घटनाओं ने भारतीय समाज में नदारद उन दो चीजों की यादें ताजा कर दी हैं जिनका उल्लेख डॉ. बी आर आंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा के समक्ष भारत के संविधान का मसौदा पेश करने के दौरान किया था। इनमें से एक है ‘समानता’ और दूसरा है ‘भाईचारा’।’’ 

अदालत ने कहा कि जाट समुदाय के लोगों ने बाल्मीकि समुदाय के सदस्यों के घरों को जानबूझकर निशाना बनाया। इस मामले में जाट समुदाय के सदस्यों का मकसद ‘‘बाल्मीकि समुदाय के लोगों को सबक सिखाना था और आरोपी अपने इस मकसद में पूरी तरह कामयाब भी हुए।’’ 

इसमें कहा गया कि हरियाणा सरकार दोषियों से जुर्माने के रूप में मिली धनराशि का इस्तेमाल पीड़ितों को आर्थिक राहत एवं पुनर्वास के प्रावधानों के लिये करे। उच्च न्यायालय ने मामले में निचली अदालत द्वारा 13 व्यक्तियों की दोषसिद्धी तथा सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर यह फैसला सुनाया।

पीड़ितों एवं पुलिस ने भी उच्च न्यायालय में दोषियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध करने के साथ ही अन्य आरोपियों को बरी किये जाने को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने 24 सितंबर, 2011 को जाट समुदाय से संबद्ध 97 व्यक्तियों में से 15 को दोषी ठहराया था। अपील के विचाराधीन रहने के दौरान दो दोषियों की मौत हो गयी थी। अक्तूबर 2012 में 98वें आरोपी के खिलाफ मुकदमा चला और निचली अदालत ने उसे बरी कर दिया। आरोपी इससे पहले फरार चल रहा था।

गांव के जाट एवं दलित समुदाय के बीच विवाद के बाद 21 अप्रैल, 2010 को तारा चंद के घर को आग लगा दी गयी थी। घटना में पिता-पुत्री की जल कर मौत हो गयी थी।

निचली अदालत ने 31 अक्तूबर, 2011 को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 के तहत गैरइरादतन हत्या के अपराध के लिये कुलविंदर, धरमबीर और रामफल को उम्रकैद की सजा सुनायी थी। उच्च न्यायालय ने इन प्रावधानों को संशोधित करते हुए उन्हें आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के अपराध का दोषी ठहराया।

इसके अलावा पांच अन्य बलजीत, करमवीर, करमपाल, धरमबीर और बोबल को दंगा फैलाने, जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, हानि पहुंचाने और पीड़ितों के घर को आग के हवाले करने तथा अजा/अजजा (अत्याचार रोकथाम) कानून के प्रावधानों समेत उनके अपराधों के लिये पांच साल जेल की सजा सुनायी गयी थी।

हल्के दंड प्रावधानों के तहत दोषी ठहराये गये सात अन्य दोषियों को निचली अदालत ने परिवीक्षा पर रिहा कर दिया था। इससे पहले निचली अदालत ने मामले में 97 आरोपियों में से 82 को बरी कर दिया था।

Web Title: Mirchpur dalit killing: Delhi HC finds 20 accused who were earlier acquitted guilty

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