नेपाल के विवादित नक्शा पास करने पर भारत ने कहा- इसका कोई मतलब नहीं, हमने स्थिति पहले ही स्पष्ट की है
By पल्लवी कुमारी | Published: June 13, 2020 07:44 PM2020-06-13T19:44:30+5:302020-06-13T19:44:30+5:30
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई 2020 को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इसपर कहा था, यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है।
नई दिल्ली: नेपाल की संसद के विशेष सत्र में विवादित नक्शा पास कर दिया गया है। नए नक्शे में भारतीय सीमा से लगे लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे रणनीतिक क्षेत्र को शामिल किया गया है। भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर प्रतिक्रिया दी गई है। विदेश मंत्रालय की ओर कहा गया है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने भारतीय क्षेत्र के कुछ हिस्सों को शामिल करने के लिए नेपाल के नक्शे को बदलने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है। हमने इस मामले पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नेपाल के दावें ऐतिहासिक तथ्य या सबूतों पर आधारित नहीं है और न ही इसका कोई मतलब है।
This artificial enlargement of claims is not based on historical fact or evidence and is not tenable. It is also violative of our current understanding to hold talks on outstanding boundary issue: Ministry of External Affairs https://t.co/tW9jfddhwW
— ANI (@ANI) June 13, 2020
भारत ने पिछले महीने नेपाल द्वारा नए नक्शे में इन तीनों क्षेत्रों को नेपाल के क्षेत्र में दर्शाने जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश किए जाने के ऐसे किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत यह कहता रहा है कि यह तीनों इलाके उसके हैं।
भारत ने कहा है कि यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिए समाधान निकालने की हमारी वर्तमान समझ का भी उल्लंघन है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अपने बयान में कहा, '' हमने नेपाल द्वारा नए मानचित्र में बदलाव करने और कुछ भारतीय क्षेत्र को शामिल करने के संविधान संशोधन विधेयक वहां के हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव में पारित होने को देखा है। हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।''
नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस महीने के शुरू में कहा था कि उनकी सरकार कालापानी मुद्दे का समाधान ऐतिहासिक तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर कूटनीतक प्रयासों और बातचीत के जरिए चाहती है।
नेपाल की संसद के विशेष सत्र में शनिवार (13 जून) को सरकार द्वारा देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने से संबंधित महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया है। इस नए नक्शे में भारतीय सीमा से लगे लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा जैसे रणनीतिक क्षेत्र को शामिल किया गया है। भारत ने 20 मई को इसे खारिज करते हुए इसे अनुचित मानचित्र संबंधी दावा बताया था।
नेपाल के साथ भारत का तनाव लिपुलेख में सड़क उद्घाटन के साथ शुरू हुआ
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई 2020 को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है।
लिपुलेख दर्रा कालापानी के निकट सबसे पश्चिमी क्षेत्र है, जो नेपाल और भारत के बीच एक विवादित सीमा है। भारत और नेपाल दोनों ही कालापानी के अपना अभिन्न हिस्सा होने का दावा करते हैं। भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा मानता है, जबकि नेपाल इसे धारचुला जिले का हिस्सा बताता है।