MP: मिलिए देश के सबसे कम उम्र वाले सरपंच अनिल यादव से, केवल 12 वोटों से ही विरोधी को हराकर हासिल की सरपंची, कर रहे है एमए की पढ़ाई
By आजाद खान | Published: July 17, 2022 03:29 PM2022-07-17T15:29:27+5:302022-07-17T15:32:03+5:30
आपको बता दें कि अनिल बहुत पहले से राजनीति कर रहे है। उनकी मां भी पहले सरपंच रह चुकी है। वे फिलहाल सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा के साथ रहकर राजनीति सीख रहे है।
भोपाल: मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के रहने वाले अनिल यादव देश के सबसे कम उम्र वाले सरपंच बन गए है। अनिल को विदिशा जिले के सिरोंज तहसील के ग्राम पंचायत सरेखों का नया सरपंच चुना गया है। उन्होंने हाल में ही हुए सरपंच के चुनाव में भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा के भतीजे को हराया है। बताया जा रहा है कि अनिल भाजपा की विचारधारा को मानते है और अपने ग्राम में विकास करना चाहते है।
आपको बता दें कि इससे पहले देश के सबसे कम उम्र वाले सरपंच का खिताब राजस्थान के भरतपुर जिले की डिंग पंचायत की सरपंच असरूनी खान के नाम पर था। असरूनी खान का उम्र 21 साल 18 दिन था जब वह सरपंच बनी थी।
वहीं अगर अनिल के उम्र की बात करें तो उनका उम्र 21 साल 06 दिन है। ऐसे में उम्र में असरूनी खान से छोटे होने के कारण वह देश के सबसे कम उम्र वाले सरपंच बन गए है।
MP | 21-year-old from Sarekhon Gram Panchayat of Vidisha dist becomes youngest Sarpanch
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) July 17, 2022
I defeated BJP MLA Rameshwar Sharma's nephew by 12 votes. I am a political science student, had come home after covid. My mother was a sarpanch, this kept me connected with people: Anil Yadav pic.twitter.com/gVdMJc6Dzc
क्या है अनिल का प्रोफाइल
आपको बता दें कि सरपंची की पंचायत जीतने वाले अनिल यादव पोलिटिकल साइंस एमए कर रहे है। वे इससे पहले शहर में रहते थे और वहां MMPSC की तैयारी कर रहे थे। लॉकडाउन के कारण उन्हें घर वापस आना पड़ा और वह तब से गांव में ही है। बताया जा रहा है कि अनिल पढ़ाई में भी अच्छे है।
कैसे लोगों के बीच अनिल ने बनाई अपनी जगह
अनिल ने बताया कि जब से वह ल़ॉकडाउन में घर आया था, तब से वह गांव के लोगों की मदद कर रहा है। बताया जाता है कि अनिल पहले पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ रहते थे। लेकिन आजकल वे सिरोंज विधायक उमाकांत शर्मा के साथ रह रहे है और उनसे राजनीति सीख रहे है।
वह गांव के लोगों के लिए हमेशा खड़ा रहते थे और हर दुख-सुख में उनके पास जाते थे। उनकी इसी स्वभाव के कारण गांव वालों ने उन्हें सरपंच का चुनाव लड़ने को कहा और वे लड़े और जीत भी गए है। अनिल ने बताया है कि उनकी मां भी पहले सरपंच रह चुकी है।
गौरतलब है कि अनिल को 562 वोट मिले जबकि इनके विरोधी विवेक को केवल 550 वोट ही मिले है। ऐसे में अनिल की 12 वोटों से जीत हुई है।