राहुल गांधी सहित विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में मार्गरेट अल्वा ने दाखिल किया उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन
By शिवेंद्र राय | Published: July 19, 2022 03:56 PM2022-07-19T15:56:22+5:302022-07-19T17:57:45+5:30
साल 2009 में मार्गरेट अल्वा को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया गया। अल्वा इस राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनीं। मार्गरेट अल्वा 2 साल तक राजस्थान की भी राज्यपाल रहीं। अब वह विपक्ष की उपराष्ट्रपति उम्मीदवार हैं।
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की तरफ से उम्मीदवार घोषित की गईं मार्गरेट अल्वा ने आज अपना नामांकन दाखिल किया। मार्गरेट अल्वा के नामांकन दाखिल करने के मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मौजूद रहे। राहुल गांधी के अलावा इस मौक पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। आज नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी।
मार्गरेट अल्वा का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राजग के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से होगा। उपराष्ट्रपति के लिए मतदान 6 अगस्त को होगा। नतीजे भी इसी दिन शाम तक घोषित कर दिए जाएंगे। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए रणनीति बनाने के लिए सोमवार को शरद पवार के घर पर प्रमुख नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश, माकपा महासचिव सीतराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, द्रमुक नेता कनिमोई, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में मार्गरेट अल्वा भी मौजूद रहीं। बैठक समाप्त होने पर अल्वा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह मुश्किल चुनाव होगा, लेकिन मुझे किसी चुनौती से डर नहीं है। मैं सभी विपक्षी दलों के नेताओं को मेरी उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देती हूं। अल्वा ने कहा कि मुझे पता है कि यह मुश्किल लड़ाई है, लेकिन राजनीति में जीत-हार कोई मुद्दा नहीं है, मुद्दा लड़ाई है।''
कौन हैं मार्गरेट अल्वा
उम्र के 80 बसंत देख चुकीं मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को कर्नाटक के मंगलुरु जिले के दक्षिण कनारा में हुआ था। कर्नाटक के एक इसाई परिवार से आने वाली अल्वा की शादी 1964 में निरंजन थॉमस अल्वा से हुआ था। दोनों के एक बेटी और तीन बेटे हैं। साल 1969 में अल्वा की राजनीति में एंट्री हुई। उनके ससुर कांग्रेस से सांसद थे। मार्गरेट अल्वा इसी समय इंदिरा गांधी के संपर्क में आईं और उन्हें कर्नाटक की राज्य इकाई का प्रमुख बना दिया गया। इंदिरा से अच्छे संबंधों का अल्वा को फायदा हुआ और जल्द ही वह राज्यसभा पहुंच गईं। मार्गरेट अल्वा 1974 से लगातार चार बार छह-छह साल की अवधि के लिए राज्यसभा से निर्वाचित हुईं। 1984 की राजीव गांधी सरकार में उन्हें संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया।