Loksabha Election 2024: गया लोकसभा सीट से जीतते रहे हैं मांझी समाज से जुड़े उम्मीदवार, पिछले 50 से ज्यादा साल से आरक्षित है यह सीट

By एस पी सिन्हा | Published: March 10, 2024 01:08 PM2024-03-10T13:08:03+5:302024-03-10T13:17:44+5:30

गया जिला फल्गु नदी के तट पर बसा कई छोटी-छोटी पहाड़ि‍यों से घिरा है। इसे मोक्ष और ज्ञान की भूमि भी कहा जाता है, क्योंकि फल्गु में तर्पण-अर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Manjhi has been winning on the land of salvation and knowledge, candidates associated with the society, this seat has been reserved for the last 50 years | Loksabha Election 2024: गया लोकसभा सीट से जीतते रहे हैं मांझी समाज से जुड़े उम्मीदवार, पिछले 50 से ज्यादा साल से आरक्षित है यह सीट

फाइल फोटो

Highlightsगया जिला इसे मोक्ष और ज्ञान की भूमि भी कहा जाता हैबोधगया वह भूमि है, जहां ज्ञान पाकर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बनेगया अपने तिलकुट के लिए प्रसिद्ध है

Loksabha Election 2024: गया जिला फल्गु नदी के तट पर बसा कई छोटी-छोटी पहाड़ि‍यों से घिरा है। इसे मोक्ष और ज्ञान की भूमि भी कहा जाता है, क्योंकि फल्गु में तर्पण-अर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बोधगया वह भूमि है, जहां ज्ञान पाकर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बने। यहां बड़े कल-कारखाने नहीं हैं। लेकिन गया अपने तिलकुट के लिए प्रसिद्ध है।

वहीं, गया बिना पेड़ के पहाड़ और बिना पानी के नदी के लिए मशहूर है| यहां की पटवा टोली में बुनकरों की बड़ी तादाद है, जहां कपड़े तैयार किए जाते हैं। सैकड़ों लोग कुटीर उद्योग से जुड़े हैं। गया लोकसभा सीट बिहार का ऐसा सीट है जो पिछले 50 से ज्यादा साल से आरक्षित सीट रहा है। 1952 में अस्तित्व में आया गया लोकसभा सीट से पहली बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

उसके बाद 1952 में ही प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का परचम बुलंद हुआ था। फिर कांग्रेस ने जीत की हैट्रिक लगाई थी। साल 1967 में गया लोकसभा सीट के आरक्षण की घोषणा हुई थी। आरक्षित सीट होने के बाद पहली बार 1967 कांग्रेस ने यहां से पार्टी के जीत का परचम लहराया था। 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते यह सीट जनसंघ के पाले में चली गई।

इसके बाद से यहां के सियासी समीकरण बदले, सांसद की कुर्सी पर अन्य दलों के प्रत्याशियों ने भी अपनी पार्टी का परचम लहराया। जनसंघ के कुर्सी पर कब्जा जमाने के बाद गया लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने वापसी की और लगातार दो बार जीत दर्ज की। कांग्रेस के लगातार दो बार जीत दर्ज करने के बाद भाजपा प्रत्याशी ने अपनी पार्टी का झंडा बुलंद किया। इसके बाद राजद ने भाजपा को चुनावी मात देते हुए अपना क़ब्ज़ा जमाया।

फिर भाजपा ने राजद को सियासी मात दी तब से लेकर साल 2019 तक भाजपा का ही गया लोकसभा सीट पर कब्जा रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने साथ मिलकर चुनावी बिगुल फूंका। एनडीए गठबंधन के सहयोगी दल होने के नाते इस सीट पर जदयू प्रत्याशी ने चुनावी दांव खेला और उन्होंने जीत हासिल की। बता दें कि इस सीट पर 2009 तक मांझी समुदाय के उम्मीदवारों ने ही जीत दर्ज की थी।

2019 के आम चुनाव में विजय मांझी यहां से जीतकर सांसद बने। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी एनडीए और महागठबंधन की ओर से महादलित समाज से मांझी ही उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं। हालांकि, अभी सीटों का तालमेल नहीं होने से कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। झारखंड की सीमा से सटा यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित भी है।

जिले के 24 प्रखंडों में शहर को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में नक्सल समस्या व्याप्त है। नक्सलियों पर नकेल के लिए सीआरपीएफ की स्थायी बटालियन भी तैनात है। यहां सेना की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। गया जिले में कुल 10 विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें छह विधानसभा क्षेत्र गया संसदीय क्षेत्र में आते हैं। गया संसदीय क्षेत्र में गया, बोधगया, बेलागंज, शेरघाटी, बाराचट्टी और वजीरगंज विस क्षेत्र शामिल है।

गया में कुल मतदाताओं की संख्या 28,62,060 है। यह देश के अति पिछड़े जिलों में शामिल है। इन मतदाताओं में सबसे बड़ी संख्या मांझी समाज के लोगों की है। जो यहां जीत और हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां 5 लाख के करीब एससी/एसटी मतदाताओं की संख्या है। अल्पसंख्यकों की संख्या भी यहां बड़ी है। भूमिहार और राजपूत के साथ यादव और वैश्य तो यहां की बड़ी आबादियों में से हैं।

सीट आरक्षित है, लेकिन हर जाति के वोट को यहां महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सीट का इतिहास बड़ा अनोखा रहा है यहां चुनाव प्रचार के दौरान दो पूर्व सांसदों की हत्या तक कर दी गई। बता दें कि 19 जनवरी 2018 को दलाई लामा के बोधगया प्रवास और सूबे के तत्कालीन राज्यपाल के बोधगया आगमन के दौरान आतंकियों द्वारा बम विस्फोट किया गया था। 2013 में भी बोधगया में सीरियल ब्लास्ट किया गया था।

2005 के विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने बाराचट्टी में वेंकैया नायडू का हेलीकॉप्टर जला दिया था। धार्मिक रूप से यह बिहार का सबसे महत्वपूर्ण नगर है। पितृपक्ष पर हजारों लोग पिंडदान के लिए यहां जुटते हैं। इस क्षेत्र से कुछ दूरी पर बोधगया स्थित है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। इस क्षेत्र का उल्लेख महाकाव्य रामायण में भी मिलता है। गया मौर्य काल में एक महत्वपूर्ण नगर था। मध्यकाल में यह शहर मुगल सम्राटों के अधीन था।

Web Title: Manjhi has been winning on the land of salvation and knowledge, candidates associated with the society, this seat has been reserved for the last 50 years