ममता, कांग्रेस-वाम ने नहीं मिलाया हाथ, लेकिन साम्प्रदायिकता के खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में पारित
By भाषा | Published: July 12, 2019 01:22 AM2019-07-12T01:22:05+5:302019-07-12T01:22:05+5:30
पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य में बढ़ रही साम्प्रदायिकता के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दलों कांग्रेस-माकपा की ओर से पेश दो अलग-अलग प्रस्तावों को गुरुवार को पारित कर दिया।
कोलकाता, 11 जुलाईः पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य में बढ़ रही साम्प्रदायिकता के खिलाफ सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी दलों कांग्रेस-माकपा की ओर से पेश दो अलग-अलग प्रस्तावों को गुरुवार को पारित कर दिया। इस संबंध में तृकां का कहना है कि साम्प्रदायिकता से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही एकमात्र विश्वस्त चेहरा हैं। गौरतलब है कि राज्य के विधायी कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया था कि वे इस मुद्दे पर साथ आएं और सिर्फ एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक लाभ लेने के लिए अलग-अलग प्रस्ताव ना लाएं। लेकिन बात नहीं बनी और दोनों पक्षों ने सदन में अपना-अपना प्रस्ताव रखा।
पश्चिम बंगाल में साम्प्रदायिक बलों के सिर उठाने को लेकर अकसर तृणमूल कांग्रेस की आलोचना करने वाले कांग्रेस और माकपा का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा का अच्छा प्रदर्शन सिर्फ धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण का नतीजा है। वहीं भाजपा बनर्जी और उनकी सरकार पर मुसलमानों के तुष्टीकरण का आरोप लगाती है। हालांकि ‘शांति और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने’ से जुड़े प्रस्तावों पर सदन में एक साथ ही चर्चा हुई।
चर्चा के दौरान राज्य के निकाय मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, ‘‘साम्प्रदायिकता आज देश के सामने सबसे बड़ा खतरा है। ‘जय श्री राम’ और ‘अल्लाहू अकबर’ का नारा लगाना कोई अपराध नहीं है अगर यह मंदिर और मस्जिद में लगाए जाएं। लेकिन अगर दूसरों की भावनाओं को आहत करने के लिए ऐसा किया जाए तो वह अपराध है। हमें साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ना है।’’ चटर्जी ने कहा कि साम्प्रदायिकता से लड़ने में कौन ज्यादा गंभीर है, इसपर चर्चा करने के बजाए हमें साथ मिलकर इस बुराई से लड़ना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि साम्प्रदायिकता से लड़ने में ममता बनर्जी से ज्यादा विश्वस्त नेता और कोई नहीं।