वीरगति पार्ट 6: रेजांग ला के हीरो मेजर शैतान सिंह, जिनके नाम से आज भी चीन खौफ खाता है

By भारती द्विवेदी | Published: August 16, 2018 05:20 PM2018-08-16T17:20:40+5:302018-08-16T17:30:11+5:30

62 की लड़ाई में चीनियों को सबसे ज्यादा नुकसान रेजांग ला में हुआ था। इस जगह से चीन को वापस अपने कदम मोड़ने पड़े थे। 

Major Shaitan Singh hero of Rezang La who still scares Chinese | वीरगति पार्ट 6: रेजांग ला के हीरो मेजर शैतान सिंह, जिनके नाम से आज भी चीन खौफ खाता है

मेजर शैतान सिंह

साल 1962 का भारत-चीन युद्ध। दोनों देशों के बीच हुए उस जंग में भारत को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उस युद्ध ने हमें कई ऐसे योद्धाओं के बहादुरी के किस्से दिए, जिनके नाम से दुश्मन खौफ खाते हैं। ऐसा ही एक नाम था मेजर शैतान सिंह। एक ऐसा योद्धा जिसने 120 जांबाज जवानों की मदद से 1400 चीनी सैनिकों को वापस चीन लौटने को मजबूर कर दिया था। मेजर के अद्म्य साहस के लिए साल 1963 में उन्हें मरणोपरांत वीरता का सबसे बड़ा सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

मेजर शैतान सिंह के नाम से क्यों डरते हैं चीनी सैनिक

18 नवंबर 1962। लद्दाख का चुशूल सेक्टर, जहां कुमाउं बटालियन की ‘सी’ कंपनी के 120 जवानों की तैनाती थी। अपनी ड्यूटी निभा रहे उन 120 जवानों को दो मुश्किलों से मुकबला करना था। जवानों की पहली मुश्किल थी लद्दाख की हाड़कंपा देने वाली ठंड और दूसरी मुश्किल 1400 चीनी सैनिक। ठंड का जिक्र इसलिए क्योंकि वहां पर तैनात सभी जवान उस माहौल के लिए नए थे। सी कंपनी की उस बटालियन की अगुवाई कर रहे मेजर शैतान सिंह।

18 नवंबर सुबह के साढ़े तीन बजे भारतीय जवानों को रेजांग ला के पास कुछ हलचल होते दिखाई दी। उनकी ओर चीन की तरफ से टिमटिमाता हुए गोला करीबे आते जा रहे थे। दरअसल चीन ने अक्साई चीन पर कब्जा जमाने के लिए एक चाल चली थी। उन्हें पता था कि भारतीय जवानों के पास मात्र एक हजार हाथगोले और लगभग 400 सौ राउंड ही गोलियां हैं। उन्होंने उस बात का फायदा उठाते हुए यॉक के गले में लालटेन जलाकर भारत की सीमा की ओर भेजा था। चीनी सेना ने सोचा था कि भारतीय जवान रोशनी देखकर फायर करेंगे, जिससे उनके गोली और हाथगोले खत्म हो जाएंगे।

एक तरफ तोप-मोर्टारों का जखीरा, दूसरी तरफ पुरानी बंदूकों के साथ 120 जवान

चीन की चाल समझते ही मेजर शैतान सिंह ने सीनियर अफसरों से वायरलेंस के जरिए मदद मांगी लेकिन जवाब मिला कि अभी मदद नहीं मिल सकती है। आप अपने साथियों की जान बचाएं और चौकी छोड़कर पीछे हट जाएं। लेकिन मेजर को ये मंजूर नहीं था। उन्होंने अपने बटालियन को सारी बातें बताते हुए कहा कि जो पीछे हटना चाहता है हट सकता है। लेकिन हम लड़ेंगे। मेजर के हौसले को देखते हुए 120 जवानों ने भी लड़ने का फैसला किया।

चीन ने हमला शुरू किया और उसके हमले का जवाब देते हुए भारतीय सेना भी डंटे रहे। लेकिन चीन की तरफ से हो रही ताबतोड़ हमले के सामने धीरे-धीरे करके ज्यादातर सैनिक मारे गए। मेजर बुरी तरह घायल हो चुके थे। मेजर की जान बचाने के लिए उनके दो साथी ने उन्हें बर्फीली चट्टान के पीछे लेकर गए। क्योंकि वहां पर कोई मेडिकल हेल्प मौजूद नहीं था इसलिए वो चाहते थे कि मेजर को मेडिकल हेल्प के लिए पहाड़ी से नीचे लेकर जाएं। मेजर शैतान सिंह ने मेडिकल हेल्प के लिए मना कर दिया। खून से लथपथ होने के बवजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी। उन्होंने दो सैनिकों को मशीन गन लाने का आदेश दिया। मशीन गन आने के बाद उन्होंने जवानों को कहा कि वो उनके पैर में ट्रिगर की रस्सी बांध दें ताकि वो चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए फायरिंग कर सकें।  

जब तीन महीने बाद मिला शव

मेजर की अगुवाई में सैनिकों की जवाबी कार्रवाई के कारण चीनी सेना अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। 62 की लड़ाई में चीनियों को सबसे ज्यादा नुकसान रेजांग ला में हुआ था। इस जगह से चीन को वापस अपने कदम मोड़ने पड़े थे। लगभग 1800 चीनी सैनिकों को यहां मारे गए थे। लड़ाई के करीब तीन महीने बाद जब उस एरिया से बर्फ पिघली तब रेड क्रॉस सोसायटी और सेना के जवानों ने उन्हें खोजना शुरू किया। खोज के दौरान वहां रहने वाले एक गड़रिये ने बताया कि एक चट्टान के नीचे कोई दिख रहा है। जब लोग वहां पहुंचे तो मेजर का शव मशीन-गन के साथ मिला। उस समय भी उनके पैरों में रस्सी बंधी हुई थी। 

रेजांग ला युद्ध के हीरो की कहानी:

नोट: लोकमतन्यूज़ अपने पाठकों के लिए एक खास सीरीज़ कर रहा है 'वीरगति'। इस सीरीज के तहत हम अपने पाठकों को रूबरू करायेंगे भारत के ऐसे वीर योद्धाओं से जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की।

Web Title: Major Shaitan Singh hero of Rezang La who still scares Chinese

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